एक समय था जब माता – पिता अपने बच्चों को बोलते थे कि “खेलोगे कूदोगे तो होगे खराब, पढ़ोगे – लिखोगे तो बनोगे नबाब” लेकिन बदलते दौर के ज़माने में ये कहावत बिल्कुल उल्टी हो चुकी है। आज की इस दुनिया में लोग खेल के क्षेत्र में ही अच्छा करियर बना रहे हैं और पैसे के साथ -साथ अच्छा पैसा भी कमा रहे हैं। ऐसा ही एक बहुत पॉपुलर खेल मैराथन दौड़ है। जिसकी शुरुआत 490 ईस्वी पूर्व यूनान के एथेंस नगर से 26 मील दूर मैराथन के मैदान में यूनानी और फारसी सैनिको के बीच युद्ध हुआ था। इस युद्ध में यूनान के सैनिको ने फारस के करीब 1 लाख सैनिको को हरा दिया था। दरअसल, इस जीत की जानकारी देने के लिए यूनान का “फिडिपिडेस” नामक सैनिक युद्ध के मैदान से लगभग 26 मील तक बिना रुके लगातार दौड़ते हुए एथेंस पहुंचा था। इस लेख के माध्यम से हम आपको मैराथन से जुड़ी हुई कुछ रोचक और मैराथन में दौड़ने वाले धावक कमाई के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
मैराथान का इतिहास
मैराथन का इतिहास बहुत पुराना है। इसकी शुरुआत 490 ईसा पूर्व यूनान के एथेंस नगर से 26 मील दूर मैराथन के मैदान में यूनानी और फारसी सैनिको के बीच युद्ध हुआ था। इस युद्ध में यूनान के सैनिको ने फारस के करीब 1 लाख सैनिकों को हरा दिया था। दरअसल, ये जीत यूनानी सैनिको के लिए बहुत बड़ी जीत थी। बता दें कि “फिडिपिडेस” नामक सैनिक इस जीत से इतना ज्यादा खुश था कि वह अपने थकान को भूलकर अपने अस्त्र-शस्त्र और कवच को भी उतार दिया था। इस जीत की जानकारी अपने देशवासियों को देने के लिए वह जंगल के कटीली झाड़ियों और पहाड़ों वाले रास्तों से होते हुए युद्ध के मैदान से लगभग 26 मील तक बिना रुके लगातार दौड़ते हुए एथेंस पहुंचा था | जब वे अपने नगर में पहुंचा था तो उसके पैर पूरे खून से लतपत हो चूका था और उसकी साँस उखड़ चुकी थी। बता दें कि ये जानकारी अपने देशवाशियों को सुनाने के बाद ही उसकी मौत हो गयी थी।
मैराथन दौड़ की दूरी
इस रेस की दूरी 26 मील अर्थात 42.195 किलोमीटर की होती है। बता दें इस दौड़ में 26 मील की दूरी रखने का कारण यह था क्योंकि मैराथन और एथेंस की दूरी भी लगभग इतनी ही थी। फिडिपिडेस नामक की याद में ओलंपिक में इस खेल को शामिल किया गया था | पहले ओलंपिक खेल यूनान में साल 1896 में शुरू हुआ था। तब से लेकर मौजूदा समय तक पूरी दुनिया के अलग-अलग जगहों पर मैराथन दौड़ का आयोजन किया जाता है। जिसमे बहुत सारे धावक प्रतिभाग भाग लेते हैं और उनको अव्वल आने पर उचित इनाम भी दिया जाता है। आपको बता दें कि इस दौड़ की दूरी 26 मील वर्ष 1908 में लंदन में किया गया था। इसकी वजह ये थी कि ब्रिटेन का शाही परिवार चाहता था कि दौड़ ‘विंडसर कैसल’ से शुरू हो और व्हाइट सिटी स्टेडियम आकर समाप्त हो।
जब महिलाओं ने रखा कदम
वर्ष 1896 से ही पुरुष मैराथन में हिस्सा लेते आ रहे थे लेकिन महिलाओं की एंट्री ने सभी को चौंका दिया। इस खेल में शुरुआत में केवल पुरुष ही प्रतिभाग लेते थे लेकिन समय के साथ-साथ महिलाओं का भी रुझान इस क्षेत्र में होने लगा और वर्ष 1984 से महिलाएं भी इसमें हिस्सा लेने लगी। जहाँ अमेरिकी धावक जोन बेनोइट ने स्वर्ण पदक जीतकर पहला इतिहास अपने नाम दर्ज और दुनिया को बता दिया कि महिलाएं किसी के कम नहीं है। वर्तमान में केन्या के एलीउड किपचोगे पुरुषों के मैराथन चैम्पियन हैं और महिलाओं की ओलंपिक चैम्पियन केन्या की जेमिमा जेलाबेट हैं।
धावकों की कमाई
मैराथन धावकों को मिलने वाली पुरस्कार राशि अलग-अलग राज्यों और शहरों पर निर्भर करता है। बात करें तो सबसे ज्यादा पुरस्कार राशि दिल्ली की एयरटेल मैराथन देती है जो करीब 25 हजार डॉलर लगभग 10 लाख रुपये होते हैं। प्रयागराज में आयोजित प्रतिवर्ष 19 नवम्बर को आयोजित किये जाने वाले में मैराथन में पहले स्थान पर आने वाले धावक को 2 लाख, दूसरे स्थान को 1 लाख, तीसरे स्थान पर रहने वाले को 75 हजार और 4 से लेकर 14 स्थान पर रहने वाले धावक को 10-10 हजार रुपये मिलते हैं। वैसे हर जगह आयोजित होने वाले मैराथन की पुरस्कार राशि लगभग 2 से 3 लाख के करीब पहले स्थान पर आने वाले धावक को दिया जाता है। दूसरे और तीसरे स्थान पर आने वाले धावक को क्रमशः 1 से 1.50 लाख व 75,000 से 1 लाख तक की पुरस्कार राशि दी जाती है। बाकि के लगभग टॉप 15 स्थान तक के धावकों को करीब 10 से 15 हजार तक की धनराशि प्रदान किया जाता है।
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