भारतीय क्रिकेट टीम के नए हेड कोच गौतम गंभीर ने रोहित शर्मा और विराट कोहली के भविष्य को लेकर आखिरकार अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने साफ कर दिया है कि इन दिग्गजों का टीम में स्थान सिर्फ और सिर्फ उनके प्रदर्शन पर निर्भर करेगा, ना कि उनके बीते हुए करियर की चमक या भावनात्मक विदाई योजनाओं पर। गंभीर ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी खिलाड़ी को सिर्फ नाम या लोकप्रियता के दम पर टीम में नहीं रखा जा सकता।
ABP के ‘इंडिया एट 2047 समिट’ में बोलते हुए गंभीर ने कहा, “जब तक कोई खिलाड़ी प्रदर्शन कर रहा है, तब तक वह टीम का हिस्सा बना रहना चाहिए। चयन का आधार सिर्फ प्रदर्शन है। ना कोई कोच, ना कोई सिलेक्टर और ना ही BCCI किसी को यह कह सकता है कि अब मत खेलो, अगर वह अच्छा कर रहा है।”
विदाई पर भावनाओं की नहीं, प्रदर्शन की होगी बात
गंभीर ने टीम इंडिया के बदलावों और दिग्गजों की विदाई को लेकर चल रही अटकलों पर भी विराम लगाया। उन्होंने कहा, “कोई भी खिलाड़ी विदाई के लिए नहीं खेलता। खिलाड़ी के लिए सबसे बड़ी विदाई और सबसे बड़ा सम्मान देश का प्यार है।”
यह बयान ऐसे समय में आया है जब यह बहस चल रही है कि क्या टी20 वर्ल्ड कप 2024 के बाद रोहित और विराट का सफर खत्म हो सकता है। गंभीर ने दो टूक कहा कि यदि कोई खिलाड़ी प्रदर्शन कर रहा है, तो उसे टीम में रहने से कोई नहीं रोक सकता।
योग्यता और टीम का हित है गंभीर का फोकस
पूर्व सलामी बल्लेबाज़ और अब कोच बने गंभीर ने यह भी स्पष्ट किया कि कोच का काम पसंदीदा खिलाड़ियों को चुनना नहीं, बल्कि चयनित खिलाड़ियों को तैयार करना है। उन्होंने कहा, “टीम चुनना कोच का काम नहीं है, वह सिलेक्टर्स का जिम्मा है। मेरा काम है चुने गए खिलाड़ियों को भारत के लिए प्रदर्शन के लिए तैयार करना।”
यह बयान यह संकेत देता है कि गंभीर भारतीय क्रिकेट में पारदर्शिता और प्रदर्शन आधारित चयन नीति पर जोर देने वाले हैं, चाहे खिलाड़ी कितना ही बड़ा नाम क्यों ना हो।
विराट कोहली से रिश्ते पर भी बोले गंभीर
विराट कोहली के साथ अपने रिश्ते को लेकर भी गंभीर ने एक हल्का-फुल्का लेकिन दिलचस्प जवाब दिया। उन्होंने कहा, “यह बस दो दिल्ली के लड़कों की मस्ती है। अगर इससे किसी को दिक्कत है, तो मैं BCCI से कहूंगा कि हमारे बारे में पोस्ट करना बंद कर दें।”
गंभीर ने यह भी जोड़ा कि वह हमेशा एक विजेता की सोच के साथ खेलते हैं और अपने रवैये में कोई बदलाव नहीं लाना चाहते। उन्होंने कहा, “मैं जीतना चाहता हूं, हारना किसी को पसंद नहीं। मुझे अपने व्यवहार में कुछ भी बदलने की जरूरत नहीं लगती।”
भावनाओं से नहीं, नतीजों से तय होगी जगह
गंभीर का यह संदेश साफ हैकि टीम में जगह भावनाओं या पुराने रिकॉर्ड से नहीं मिलेगी, बल्कि वर्तमान के प्रदर्शन से तय होगी। भारतीय क्रिकेट अब एक नई दिशा में बढ़ रहा है, जहां पुरानी लय और रिश्तों से ज़्यादा तवज्जो उस खिलाड़ी को दी जाएगी जो मैदान पर नतीजे देगा।
गंभीर की यह सोच भारतीय क्रिकेट के लिए लंबे समय में स्थिरता और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दे सकती है। अब देखना होगा कि आने वाले महीनों में उनके नेतृत्व में टीम इंडिया किस दिशा में आगे बढ़ती है, और क्या रोहित-विराट जैसे सीनियर खिलाड़ी अपनी जगह को प्रदर्शन से फिर साबित कर पाते हैं।
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