भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट हमेशा चर्चा का मुद्दा रहा है। जब भी दोनों टीमों के बीच मुकाबला होता है, तो मैदान के बाहर की राजनीति और माहौल अक्सर मैच से भी बड़ी खबर बन जाती है। लेकिन अब हालात कुछ और ही कह रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर दोनों देशों के क्रिकेट रिश्तों को मुश्किल मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है।
अब बात सिर्फ क्रिकेट की नहीं रही
पहले कई बार ऐसा हुआ जब दोनों देशों ने क्रिकेट के जरिए रिश्तों में नरमी लाने की कोशिश की। 2004 का पाकिस्तान दौरा हो या 2011 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल, जब भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री साथ बैठे थे तो सबको लगा कि क्रिकेट के बहाने दोनों देशों के रिश्तों में सुधार हो रहा है। लेकिन अब ऐसा लगता है कि यह तरीका पुराना हो चुका है।
पिछले कुछ सालों में भारत और पाकिस्तान के बीच कोई भी द्विपक्षीय सीरीज नहीं हुई। अब तो ICC और ACC के टूर्नामेंटों में भी साथ खेलना मुश्किल लगने लगा है। पहलगाम जैसे आतंकी हमलों के बाद जब देश के जवानों और आम लोगों की जान जाती है, तो ऐसे माहौल में पाकिस्तान के खिलाफ क्रिकेट खेलने का सवाल ही नहीं उठता।
BCCI की सोच और टूर्नामेंट्स की मुश्किलें
बीसीसीआई ने साफ कर दिया है कि अब क्रिकेट सिर्फ खेल नहीं रहा। जब देश में तनाव हो और देश के लोग गुस्से में हों, तब मैदान पर जाकर पाकिस्तान के खिलाफ खेलना सही फैसला नहीं होगा। हाल ही में जिस तरह IPL 2025 और PSL 2025 के शेड्यूल पर असर पड़ा, उससे ये भी साफ हो गया है कि दोनों देशों की क्रिकेटिंग व्यवस्था भी अब स्थिर नहीं रही।
इस साल सितंबर में होने वाला एशिया कप पहले ही टेंशन में था। पाकिस्तान ने भारत आने से मना किया था और भारत ने भी पाकिस्तान जाने से इनकार कर दिया था। ऐसे में मिडल ग्राउंड की बात हो रही थी, लेकिन अब हालात देखकर लगता है कि वो रास्ता भी बंद हो सकता है।
भारत और श्रीलंका में होने वाला टी20 वर्ल्ड कप 2026 का टूर्नामेंट भी खतरे में दिख रहा है। भले ही टूर्नामेंट अभी कुछ महीने दूर हो, लेकिन जिस तरह का माहौल है, उसमें दोनों देशों की टीमें एक ही ग्रुप में हों या एक-दूसरे से भिड़ें, ये सोच पाना भी मुश्किल है।
क्या अब कोई रास्ता बचा है?
भारत में जिस तरह का गुस्सा है, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अब क्रिकेट को एक इमोशनल इश्यू माना जा रहा है। अगर सरकार और बीसीसीआई मिलकर ये तय करते हैं कि पाकिस्तान के खिलाफ नहीं खेलना है, तो इसे जनता का पूरा सपोर्ट मिलेगा। क्योंकि अब सवाल टूर्नामेंट जीतने या हारने का नहीं, बल्कि देश की भावनाओं और सम्मान का है।
खेल से पहले देश की इज्जत
भारत-पाकिस्तान क्रिकेट हमेशा से रोमांचक रहा है, लेकिन अब हालात ऐसे नहीं हैं कि सिर्फ स्पोर्ट्समैनशिप की बात की जाए। देश की सुरक्षा, जनता की भावनाएं और जवानों की कुर्बानी इन सबसे ऊपर है। ऐसे में कोई भी फैसला जो देश के स्वाभिमान के साथ खड़ा हो, वही सही फैसला होगा।
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