भारतीय बॉक्सिंग की सबसे भरोसेमंद नामों में शुमार निकहत ज़रीन एक बार फिर इंटरनेशनल रिंग में उतरने के लिए तैयार हैं। 28 साल की यह खिलाड़ी वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम में वापसी कर चुकी हैं और उनका सारा फोकस अब देश के लिए एक और मेडल जीतने पर टिका है।
लंबे ब्रेक और चोट से उबरने के बाद निकहत ने न सिर्फ रिंग में वापसी की है, बल्कि उन्होंने यह भी साफ कर दिया है कि उनकी हसरतें अब भी बाकी हैं। उनका कहना है कि वह खुद उस ‘पुरानी निकहत’ को फिर से देखना चाहती हैं, जो लगातार मेडल जीतती थी और जिसे रिंग में हर बार जीत का ही ख्वाब आता था।
“फिर से वही जोश लेकर आई हूं” – निकहत ज़रीन
निकहत ने अपनी वापसी को लेकर जो बात कही, उसमें आत्मविश्वास साफ झलकता है। उन्होंने कहा, “इंटरनेशनल सीन पर लौटना मेरे लिए बेहद खास है। लोग चाहते हैं कि मैं मेडल जीतूं, लेकिन मेरे लिए सबसे ज़रूरी है कि मैं फिर से उस निकहत को वापस लाऊं जो वर्ल्ड चैंपियनशिप में लगातार मेडल जीतती थी।”
उनका मानना है कि वर्ल्ड लेवल पर अपनी पहचान दोबारा पुख्ता करने का यह बेहतरीन मौका है, और इस बार वह किसी भी हाल में खुद से समझौता नहीं करने वाली हैं।
फेवरेट 51 किलोग्राम वर्ग में उतरेंगी ज़रीन
निकहत ज़रीन इस बार अपने फेवरेट 51 किलोग्राम भार वर्ग में उतरेंगी। यह वही कैटेगरी है, जिसमें उन्होंने 2022 में इस्तांबुल और 2023 में नई दिल्ली में वर्ल्ड चैंपियनशिप के गोल्ड मेडल जीते थे।
वर्ल्ड बॉक्सिंग द्वारा आयोजित हो रही इस नई चैंपियनशिप के लिए वह पूरी तरह तैयार हैं और इस बार भी उनका लक्ष्य भारत के लिए एक और मेडल जीतना है।
पेरिस की नाकामी के बाद फिर खड़ी हुईं ज़रीन
पेरिस ओलंपिक 2024 के बाद यह पहली बार है जब निकहत दोबारा नेशनल टीम में शामिल हुई हैं। ओलंपिक में मिली हार ने उन्हें तोड़ने की बजाय और मज़बूत कर दिया। उन्होंने हाल ही में आयोजित एलीट महिला बॉक्सिंग टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन उन्हें चोट के चलते फाइनल मुकाबले से हटना पड़ा। इसके बावजूद, उन्होंने यह साफ कर दिया कि उनका आत्मविश्वास कभी नहीं डगमगाया।
उन्होंने कहा, “कभी-कभी हार हो जाती है। शायद वो मेरी किस्मत में नहीं था, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं ओलंपिक मेडल जीतने लायक नहीं हूं। मैं खुद को कभी कम नहीं आंकती। मैं कोशिश करना नहीं छोड़ूंगी।”
चोट के बाद मुश्किल सफर लेकिन फोकस बरकरार
निकहत ज़रीन ने हाल ही में घुटने की चोट (मेनिस्कस इंजरी) से जूझते हुए कड़ी मेहनत की है। इस चोट से उबरना उनके लिए आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से लगातार मजबूत बनाए रखा।
उन्होंने बताया कि कई बार उन्हें लगा कि शायद वापसी अब नहीं हो पाएगी, लेकिन जब भी ऐसा लगा, उन्होंने खुद को उस मकसद की याद दिलाई, जिससे उन्होंने बॉक्सिंग की शुरुआत की थी।
निकहत ने कहा, “रिकवरी का सफर आसान नहीं था। लेकिन जब भी लगा कि अब और नहीं हो पाएगा, मैंने खुद से कहा कि यही तो वजह थी जिससे मैंने यह रास्ता चुना था। यह अंत नहीं है।”
अब नजरें लॉस एंजेलिस ओलंपिक पर
निकहत का कहना है कि पेरिस ओलंपिक की नाकामी ने उनमें और ज़्यादा भूख भर दी है। अब उनकी निगाहें 2028 में होने वाले लॉस एंजेलिस ओलंपिक पर टिकी हैं। वह मानती हैं कि उनका सबसे बड़ा सपना अब भी जिंदा है और वह उसे हर हाल में पूरा करना चाहती हैं।
उन्होंने कहा, “मेरा सबसे बड़ा सपना ओलंपिक मेडल जीतना है। और मैं इतनी आसानी से हार मानने वाली नहीं हूं।”
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