How Rohit Sharma Was Picked For India A Even Before His Mumbai Debut: भारतीय क्रिकेट के सीनियर खिलाड़ियों में शुमार रोहित शर्मा के करियर की शुरुआत बेहद खास रही। आमतौर पर हर खिलाड़ी अपने राज्य की टीम से डेब्यू करता है, लेकिन रोहित का सफर इससे उलट रहा। उन्होंने मुंबई के लिए डेब्यू किए बिना ही इंडिया ए टीम में जगह बना ली थी। यह किस्सा 2006 का है, जब रोहित ने पहली बार फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेला। उनका पहला मैच न्यूजीलैंड ए के खिलाफ था, जो ऑस्ट्रेलिया के डार्विन में खेला गया था।
वासु परांजपे की दूरदर्शिता
पूर्व क्रिकेटर और चयनकर्ता जतिन परांजपे ने हाल ही में एक पॉडकास्ट में बताया कि उनके पिता वासु परांजपे, जो मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (MCA) के टैलेंट स्काउट थे, ने सबसे पहले रोहित में खास प्रतिभा देखी थी।
जतिन के मुताबिक, वासु परांजपे ने कहा था,
“जतिन, सचिन तेंदुलकर के बाद मैंने एक लड़के को देखा है जो दुनिया को अपने खेल से चौंका देगा।”
जब जतिन ने नाम पूछा तो वासु ने कहा, “रोहित शर्मा। वह अब तक कोई बड़ा क्रिकेट नहीं खेला है और लोग उसे बहुत तवज्जो नहीं देते, लेकिन मैंने कोचों से बातचीत की है और उसे डेवलपमेंट स्क्वॉड में जगह मिल गई है।”
उस समय मुंबई के ड्रेसिंग रूम में भी रोहित के नाम की चर्चा शुरू हो गई थी। वासु परांजपे ने तब ही अंदाजा लगा लिया था कि रोहित शर्मा मुंबई से इंडिया के लिए खेलने वाले अगले बड़े खिलाड़ी बनेंगे।
किरण मोरे ने दिलाई नेशनल टीम में पहचान
जतिन परांजपे ने बताया कि रोहित को आगे लाने में उस समय के चयनकर्ता और पूर्व विकेटकीपर किरण मोरे की अहम भूमिका थी।
उन्होंने कहा, “किरण मोरे की नजर में गजब की टैलेंट पहचानने की क्षमता है। MCA से पहले उन्होंने रोहित को पहचान लिया था और इंडिया ए टीम में चुन लिया।”
इस तरह रोहित बिना मुंबई की सीनियर टीम से खेले सीधे इंडिया ए टीम में पहुंचे। इसके बाद डोडा डहर ट्रॉफी में वेस्ट जोन के लिए खेलते हुए उन्होंने 31 रनों की नाबाद पारी खेली और जल्द ही भारतीय वनडे टीम का हिस्सा बन गए।
2007 वर्ल्ड कप जीत का हिस्सा रहे रोहित शर्मा
रोहित शर्मा ने अपने इंटरनेशनल करियर की शुरुआत जून 2007 में आयरलैंड के खिलाफ वनडे मैच से की थी। इसके कुछ ही महीनों बाद उन्होंने 2007 में टी20 वर्ल्ड कप जीता, जिसमें वह भारत की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले खिलाड़ियों में से एक रहे।
टेस्ट क्रिकेट में रवि शास्त्री ने बदली रोहित की किस्मत
हाल ही में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने वाले रोहित शर्मा को इस फॉर्मेट में भी बड़ा मौका मिला, लेकिन शुरुआत में उनका टेस्ट करियर उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा। हालांकि, 2019 में कोच रवि शास्त्री की सलाह ने उनके करियर को नया मोड़ दिया। शास्त्री ने रोहित को टेस्ट में ओपनिंग करने का सुझाव दिया, जो उनके लिए गेमचेंजर साबित हुआ।
जतिन परांजपे ने कहा, “रवि शास्त्री ने उन्हें ओपनिंग का सुझाव दिया, जो बड़ा टर्निंग पॉइंट रहा। रवि गेम को बाकी सबसे 3-4 कदम आगे सोचते हैं।”
रोहित ने खुद जतिन से बातचीत में कहा था कि, “मैंने क्रिकेट की शुरुआत रेड बॉल से की है। आप कैसे कह सकते हैं कि मुझे टेस्ट क्रिकेट में दिलचस्पी नहीं। मैं टेस्ट क्रिकेट के लिए जीता हूं।”
हालांकि, जतिन को इस बात का मलाल भी है कि 2021 में सिडनी टेस्ट में रोहित ने खुद को ड्रॉप कर लिया था, वरना भारत सीरीज बराबर कर सकता था।
टेस्ट में 4000 से ज्यादा रन, लेकिन बनी रह गई कमी
रोहित शर्मा ने टेस्ट क्रिकेट में 4000 से ज्यादा रन बनाए और उनका औसत 40 से ऊपर रहा। इसके बावजूद जतिन का मानना है कि रोहित टेस्ट क्रिकेट में और बेहतर कर सकते थे।
‘रोहित खुद भी मानते हैं कि वे टेस्ट क्रिकेट में और ज्यादा कर सकते थे।’
रोहित शर्मा का करियर उनके टैलेंट, मौके और सही समय पर मिली सलाह का बेहतरीन उदाहरण है। वासु परांजपे की नजर, किरण मोरे का समर्थन और रवि शास्त्री की योजना ने रोहित को वह मुकाम दिलाया, जहां वह आज खड़े हैं। इंटरनेशनल क्रिकेट में 18 साल पूरे करने वाले रोहित ने कई मुकाम हासिल किए, लेकिन उनका सफर यह बताने के लिए काफी है कि सही पहचान और समय पर मिले मौके से करियर किस तरह चमक सकता है।
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