Tuesday, August 12

भारत में हम महात्मा गांधी की तस्वीर को हर करेंसी नोट पर देखते आए हैं। यह किसी भी महान व्यक्ति को सम्मान देने का एक खास तरीका है। लेकिन अगर आपसे पूछा जाए कि दुनिया में किसी क्रिकेटर की तस्वीर कभी किसी देश की करेंसी पर छपी है या नहीं, तो ज्यादातर लोग इसका जवाब ‘नहीं’ में देंगे।

हकीकत यह है कि क्रिकेट के 150 साल से ज्यादा के इतिहास में सिर्फ एक खिलाड़ी को ये सम्मान मिला है। और वो हैं वेस्टइंडीज़ के पूर्व दिग्गज कप्तान फ्रैंक वॉरेल। उनकी शख्सियत और योगदान इतने बड़े थे कि बारबाडोस के सेंट्रल बैंक ने उन्हें देश की करेंसी पर जगह दी।

Frank Worrell Picture on Currency Note
Frank Worrell Picture on Currency Note

फ्रैंक वॉरेल की अनोखी पहचान

फ्रैंक वॉरेल का जन्म बारबाडोस में हुआ था, लेकिन उनका नाम सिर्फ अपने देश में ही नहीं, बल्कि पूरी क्रिकेट दुनिया में आदर के साथ लिया जाता था। वो वेस्टइंडीज़ के पहले ऐसे नियमित कप्तान बने, जिन्होंने टीम को एकजुट कर खेल के स्तर को ऊँचाई पर पहुँचाया।

उनके नेतृत्व में वेस्टइंडीज सिर्फ मैच नहीं जीतती थी, बल्कि खेल भावना और सम्मान का भी उदाहरण पेश करती थी। शायद यही वजह है कि उनके जाने के बाद भी उन्हें याद करने के लिए बारबाडोस ने इतनी बड़ी पहल की और उनकी तस्वीर को करेंसी नोट पर अमर कर दिया।

शानदार करियर, शानदार शख्सियत

वॉरेल ने वेस्टइंडीज के लिए 51 टेस्ट मैच खेले, जिसमें उन्होंने 3860 रन बनाए। उनका बल्लेबाज़ी औसत 49.48 था, जो उस दौर में बेहद शानदार माना जाता था। हालांकि, वह सिर्फ बल्लेबाज़ नहीं, बल्कि एक उपयोगी गेंदबाज़ भी थे, जिन्होंने अपने करियर में 69 विकेट भी झटके थे।

फर्स्ट क्लास क्रिकेट में भी उनका दबदबा साफ दिखाई देता था। उन्होंने बारबाडोस और जमैका के लिए 208 मैच खेले और हर बार टीम के लिए योगदान दिया। लेकिन आंकड़ों से भी ज्यादा उनकी सबसे बड़ी पूंजी उनका स्वभाव था। वो मैदान के अंदर और बाहर, दोनों जगह अपने व्यवहार से दिल जीत लेते थे।

इंसानियत का बड़ा उदाहरण

1962 में भारत की क्रिकेट टीम वेस्टइंडीज दौरे पर गई थी। एक मैच के दौरान भारतीय कप्तान नारी कांट्रैक्टर को बाउंसर लगी और वो बुरी तरह घायल हो गए। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन रास्ते में उनके सिर से काफी खून निकल चुका था। इसी के चलते डॉक्टरों ने तुरंत खूब की मांग की। उस समय फ्रैंक वॉरेल ने बिना किसी हिचक के आगे बढ़कर अपना खून दान किया।

यह सिर्फ एक खिलाड़ी का दूसरे खिलाड़ी की मदद करना नहीं था, बल्कि इंसानियत की एक मिसाल थी। इस घटना ने क्रिकेट इतिहास में वॉरेल की छवि को और भी महान बना दिया।

भारत में भी वॉरेल को किया जाता है याद

वॉरेल के इस मानवीय काम को भारत ने भी हमेशा याद रखा है। 1981 से, क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ़ बंगाल हर साल ईडन गार्डन्स, कोलकाता में रक्तदान शिविर आयोजित करता है, जो उनके नाम से जुड़ा है। इसमें हजारों लोग हिस्सा लेते हैं और इसे एक परंपरा की तरह निभाया जाता है।

ये आयोजन सिर्फ वॉरेल की याद में नहीं, बल्कि उस भावना को जिंदा रखने के लिए होता है, जो उन्होंने दिखाया था कि इंसानियत खेल से ऊपर होती है। इसीलिए, आज भी उनका नाम सिर्फ क्रिकेट के महान खिलाड़ियों में ही नहीं, बल्कि महान इंसानों में भी लिया जाता है।

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नीतिश कुमार मिश्र (Neetish Kumar Mishra) एक अनुभवी स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट हैं, जो खेलों की दुनिया की बारीकियों को समझने और उसे सरल, सटीक और प्रभावशाली अंदाज में पेश करने के लिए जाने जाते हैं। वे क्रिकेट, फुटबॉल, टेनिस और अन्य खेलों की गहरी समझ के साथ, खेल समाचार, आंकड़े, मैच प्रीव्यू, हेड टू हेड रिकॉर्ड और फैंटेसी 11 प्रेडिक्शन में महारत रखते हैं। उनकी लेखनी का उद्देश्य पाठकों को ताजा और सटीक जानकारियों के साथ अपडेट रखना है।

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