Saturday, July 12

Paris Paralympics 2024 में भारतीय पैरा खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 29 मेडल जीतकर अपने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। उन्होंने इस संस्करण में टोक्यो 2020 के मुकाबले 10 मेडल ज्यादा जीते। दूसरी ओर, Paris Olympics 2024 में भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन कुछ ख़ास नहीं रहा। उन्होंने टोक्यो 2020 में 7 मेडल के मुकाबले एक कम यानी सिर्फ 6 मेडल जीते। चौंकाने वाली बात यह रही कि, कोई भी भारतीय खिलाड़ी इस ओलंपिक में एक भी गोल्ड मेडल अपने नाम नहीं कर सका।

भारतीय पैरालंपिक खिलाड़ियों के मुकाबले ओलंपिक खिलाड़ियों पर सरकार और संस्थाओं ने ज्यादा रकम खर्च की और उन्हें अधिक से अधिक सुविधाएँ भी उपलब्ध कराई थीं, लेकिन उन्हें वह सफलता नहीं मिल सकी, जबकि पैरा खिलाड़ियों ने कम खर्च और कम सुविधाओं के साथ ऐतिहासिक परिणाम दिए। रियो पैरालंपिक 2016 में मात्र 4 मेडल जीतने वाले भारत ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में 7 गुना से भी ज्यादा मेडल जीते।

Paris Paralympics 2024 में भारत सरकार ने भारतीय दल पर कितना किया था खर्च?

बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट की मानें तो, भारत सरकार ने Paris Paralympics 2024 में 84 खिलाड़ियों वाले भारतीय दल पर 74 करोड़ रूपए का बजट खर्च किया था, जबकि टोक्यो 2020 के लिए यह बजट 26 करोड़ था। इसके साथ ही साथ, भारतीय पैरालंपिक कमेटी ने यह अनुमान लगाया था कि भारतीय पैरा खिलाड़ी 25 से ज्यादा मेडल जीतेंगे। पैरा खिलाड़ी कमेटी की उम्मीदों पर पूरी तरह से ज्यादा खरे उतरे और भारत को 29 मेडल दिलाए। इतना ही नहीं, 7 खिलाड़ी इसलिए मेडल से चूक गए, क्योंकि वह अलग-अलग इवेंट में चौथे स्थान पर रहे।

Paris Olympics 2024 में भारत सरकार ने भारतीय दल पर कितना किया था खर्च?

Manu Bhaker & Neeraj Chopra (Paris Olympics 2024)

Paris Olympics 2024 में 117 खिलाड़ियों वाले भारतीय दल ने 16 खेलों के अलग-अलग इवेंट्स में हिस्सा लिया था। उनके ऊपर भारत सरकार ने सभी सुविधाएँ देते हुए 470 करोड़ से ज्यादा का बजट खर्च किया था, जो पेरिस पैरालंपिक में भारतीय पैरा खिलाड़ियों पर खर्च हुए बजट के मुकाबले 6.35 गुना ज्यादा है।

इतनी बड़ी रकम खर्च करके अधिक सुविधाएँ देने के बावजूद भारतीय ओलम्पियंस ने सिर्फ 6 मेडल जीते, जो पिछली बार के मुकाबले एक कम थी। इतना ही नहीं, टोक्यो 2020 में गोल्ड मेडल जीतने वाले नीरज चोपड़ा को भी इस बार सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा। अब सवाल यह उठता है कि, आखिर क्यों Paris Olympics 2024 में Paris Paralympics 2024 जैसा परिणाम नहीं दिखा?

आखिर क्यों Paris Olympics 2024 में नहीं दिखा Paris Paralympics 2024 जैसा परिणाम?

Avani Lekhara

Paris Olympics 2024 में भारत 6 मेडल के साथ मेडल टैली में 74वें स्थान पर रहा, जबकि Paris Paralympics 2024 में भारत 29 मेडल के साथ मेडल टैली में 18वें पर रहा। भारतीय समर्थकों में मैन में सबसे बड़ा सवाल यह है कि, दोनों के बजट में जमीन आसमान का फर्क, दोनों प्रकार के खिलाड़ियों में शारीरिक क्षमता का फर्क और सुविधाओं का फर्क होने के बावजूद पैरा खिलाड़ी मेडल के मामले में ओलंपिक खिलाड़ियों से आगे कैसे निकल गए?

पेरिस पैरालंपिक चक्र के लिए सरकार ने कुल 74 करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि टोक्यो चक्र के लिए 26 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। 84 खिलाड़ियों में से 50 एलीट टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS) का हिस्सा थे, जबकि 19 को खेलो इंडिया और 17 को शनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्कीम के माध्यम से अतिरिक्त सहायता दी गई थी। टोक्यो के लिए, केवल 30 ही खिलाड़ी पूरे चक्र के लिए TOPS का हिस्सा थे, जिनमें से कुछ को पैरालंपिक शुरू होने से कुछ समय पहले ही शामिल किया गया था।

यह बढ़ा हुआ बजट पैरा-खिलाड़ियों के लिए एक बूस्टर खुराक साबित हुआ है, जिसकी उन्हें तलाश थी, ताकि वे आगे की ओर कदम बढ़ा सकें। पैरा खिलाड़ी अब विश्व स्तरीय कोचिंग, उच्च-स्तरीय पोषण का खर्च उठा सकते हैं और अत्याधुनिक उपकरणों के साथ अपने शरीर को फिट रख सकते हैं। इसके अलावा, अपने ओलंपिक साथियों की तरह, उन्हें भी इस क्षेत्र के टॉप क्वालिटी कोच मिल गए हैं, जिससे वे मानसिक रूप से मजबूत हो गए हैं।

पेरिस में पैरा खिलाड़ियों के बेहतर प्रदर्शन में अहम भूमिका निभाने वाली चीज एक्सपोज़र ट्रिप्स है। बहुत से बेहतरीन सक्षम खिलाड़ी विदेशों में ट्रेनिंग लेना पसंद करते हैं और पैरा-खिलाड़ियों के लिए भी कुछ ऐसा ही किया गया। पेरिस साइकिल में पैरा खिलाड़ियों ने कुल मिलाकर 110 विदेशी एक्सपोज़र ट्रिप्स किए, जबकि टोक्यो 2024 चक्र में 40 ट्रिप्स हुईं थीं। इन ट्रिप्स में ट्रेनिंग के साथ-साथ प्रतियोगिताएं भी शामिल थीं।

स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के एक सूत्र ने डेक्कन हेराल्ड को दिए गए इंटरव्यू में कहा था:

पैरा-खिलाड़ियों में बेहतर प्रदर्शन करने की चाहत और इच्छा बहुत ज़्यादा होती है। स्वाभाविक रूप से, वे जानते हैं कि कठिनाई क्या होती है और सफलता उस दर्द से मुक्ति दिलाने में मदद करती है। साथ ही, वे हर पैसे और अवसर का पूरा फ़ायदा उठाना चाहते हैं और सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनकी सफलता अगली पीढ़ी के लिए बेहतर भविष्य का मार्ग प्रशस्त करे।

यह तथ्य पूरी तरह से सही भी साबित होती है, क्योंकि पैरा खिलाड़ी हर बार अपने प्रदर्शन को बेहतर करते जा रहे हैं। वह अधिक जोश के साथ मुकाबले खेलते नजर आ रहे थे और किसी भी हाल में मेडल को जीतना चाहते थे। इसीलिए, शारीरिक रूप से अक्षम होने के बावजूद उन्होंने सक्षम खिलाड़ियों के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन किया और पेरिस में भारत का परचम लहराया।

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नीतिश कुमार मिश्र (Neetish Kumar Mishra) एक अनुभवी स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट हैं, जो खेलों की दुनिया की बारीकियों को समझने और उसे सरल, सटीक और प्रभावशाली अंदाज में पेश करने के लिए जाने जाते हैं। वे क्रिकेट, फुटबॉल, टेनिस और अन्य खेलों की गहरी समझ के साथ, खेल समाचार, आंकड़े, मैच प्रीव्यू, हेड टू हेड रिकॉर्ड और फैंटेसी 11 प्रेडिक्शन में महारत रखते हैं। उनकी लेखनी का उद्देश्य पाठकों को ताजा और सटीक जानकारियों के साथ अपडेट रखना है।

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