Narayan Kambali: भारत का ऐसा खिलाड़ी जो कभी टीम इंडिया के लिए नहीं खेला, घरेलू क्रिकेट में रहा था बेहतरीन प्रदर्शन
Narayan Kambali: भारतीय क्रिकेट टीम में काफी ऐसे खिलाडी भी रहे है जिन्होंने डोमेस्टिक क्रिकेट के लेवल पर काफी शानदार प्रदर्शन किया था। लेकिन भारतीय टीम में वह जगह बनाने में कामयाब नहीं हो सके।
Narayan Kambali: भारतीय क्रिकेट टीम में काफी ऐसे खिलाडी भी रहे है जिन्होंने डोमेस्टिक क्रिकेट के लेवल पर अच्छा प्रदर्शन किया था। लेकिन भारतीय टीम में वह जगह बनाने में कामयाब नहीं हो सके। भारतीय क्रिकेट में एक ऐसा ही नाम है नारायण कांबली (Narayan Kambali) का है। वहीं पूर्व भारतीय स्टार विनोद कांबली की तरह उनका भी सरनेम कांबली है।
इसके अलावा उनकी (Narayan Kambali) कहानी काफी अलग है। एक तरफ जहां विनोद कांबली इंटरनेशनल क्रिकेट में चमके थे। इसके बाद वह अनुशासनहीनता और शराब की लत के कारण अपना करियर खो बैठे थे। लेकिन नारायण कांबली (Narayan Kambali) ने घरेलू क्रिकेट में अपनी पहचान बनाई थी। जबकि वह कभी टीम इंडिया तक नहीं पहुंच पाए थे।
कौन थे Narayan Kambali :-
नारायण कांबली का जन्म 24 अक्टूबर 1967 को गोवा के रायबंदर में हुआ था। इसके अलावा उन्होंने (Narayan Kambali) साल 1992 में गोवा की टीम से क्रिकेट खेलना शुरू किया था। वह मीडियम फास्ट बॉलर थे। लेकिन जरुरत पड़ने पर वह बल्लेबाजी भी कर लेते थे।
कैसा रहा था नारायण कांबली का क्रिकेट करियर :-
पूर्व भारतीय खिलाड़ी नारायण कांबली (Narayan Kambali) ने अपने करियर में 39 फर्स्ट क्लास मैच और 20 लिस्ट ए मैच खेले थे। तब फर्स्ट क्लास क्रिकेट में खेलते हुए उन्होंने 72 विकेट लिए और 192 रन बनाए थे। जबकि दो बार उन्होंने (Narayan Kambali) एक पारी में 5 विकेट भी लिए थे।
इसके अलावा लिस्ट ए क्रिकेट में खेलते हुए नारायण कांबली (Narayan Kambali) ने 19 विकेट लिए और 14 रन बनाए थे। उनका सबसे यादगार मैच साल 2006 में हिमाचल प्रदेश के खिलाफ रहा था। वहीं इस मैच की पहली पारी में उन्होंने 26 ओवर में 58 रन देकर 5 विकेट लिए थे। जबकि मैच की दूसरी पारी में उन्होंने 1 विकेट लिया था। लेकिन तब उनकी टीम यह मुकाबला हार गई थी।
विनोद कांबली और नारायण कांबली में अंतर :-
एक तरफ विनोद कांबली ने इंटरनेशनल क्रिकेट खेला और खूब नाम कमाया था। तो वहीं दूसरी तरफ नारायण कांबली (Narayan Kambali) ने सिर्फ घरेलू क्रिकेट खेला था। विनोद कांबली का क्रिकेट करियर उनकी गलतियों के कारण जल्दी खत्म हो गया था। जबकि नारायण कांबली ने अपने खेल को पूरी ईमानदारी और मेहनत से खेला था।
इसके अलावा नारायण कांबली (Narayan Kambali) का करियर भले ही इंटरनेशनल लेवल तक नहीं पहुंच पाया था। लेकिन उन्होंने तब घरेलु क्रिकेट में खेलते हुए अपनी अलग पहचान बनाई थी। तभी तो अब उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि मेहनत और ईमानदारी से किए गए काम की हमेशा तारीफ होती है। चाहे इस दौरान खेलते हुए वह बड़े मंच तक पहुंचे या नहीं। तभी तो ऐसे खिलाड़ियों को याद करना और उनकी मेहनत की सराहना करना बहुत ही जरूरी होता है।
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