हिंदुस्तान के लिहाज से कबड्डी का इतिहास काफी पुराना रहा है और इस खेल को लोकप्रिय बनाने का काम हमारे पूर्वजों ने ही किया। यदि हम इतिहास के पन्नों को पलट कर देखें तो पता चलता है कि हजारों साल पहले से इसको खेला जाता है। जानकारों के मूताबिक कबड्डी को बीते 4 हजार सालों से खेला जा रहा है। इस खेल की सबसे खास बात ये है कि इसमें खिलाड़ी को शाररिक रूप से काफी मजबूत होना पड़ता है। हालांकि सौ या दो सौ साल पहले इसकी लोकप्रियता में कमी आ गई थी, लेकिन बीते कुछ दशक से कबड्डी दुनिया में लोकप्रिता की रफ्तार को पकड़ रहा है।
कबड्डी का परिचय
कबड्डी भी अन्य खेलों की तरह दो टीमों के बीच खेला जाता है। इसमें प्रत्येक टीम में 7-7 खिलाड़ी होते हैं और खेल का समय कुल 40 मिनट का होता है। इसमें दो हाफ होते है, जो कि 20-20 मिनट के होते हैं। इस दौरान दोनों हाफ के बीच कुल पांच मिनट का ब्रेक भी लिया जाता है और जैसे ही ब्रेक होता है उसके बाद दोनों टीमें अपनी साइड बदलती हैं। लेकिन इस खेल का ये भी नियम है कि जब महिलाएं खेल रही हो या फिर कोई टूर्नामेंट चल रहा हो ऐसी स्थिति में इसका फॉर्मेट अलग-अलग हो सकता है।
हांलाकि कबड्डी वर्तमान समय में लोकप्रिय हो चुका है, लेकिन कई लोग इस खेल की कुछ अहम बातों के बारे में नहीं जानते हैं। जैसे कि लोना इस खेल का अहम भाग होता है और लोगों को इसके बारे में पता ही नहीं होता है। अब हम लोना के बारे में ही बात करने जा रहे हैं। जैसे कि लोन क्या है, इसमें कितने अंक दिए जाते हैं यह कैसे काम करता है?
लोना क्या है?
यदि बात करें के मतलब की तो बता दें कि लोना का हिंदी में मतलब हारना या असफल होना होता है। अब कबड्डी में इसको इस हिसाब से समझ सकते हैं कि जब एक टीम उनके विपक्षी टीम के प्रत्येक खिलाड़ियों को मैट के बाहर भेजने में सफल होती होती है तो ऐसे में उसको एक्सट्रा पाइंट्स दिए जाते हैं और इसको ही कबड्डी में लोना कहा जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि कबड्डी में एक टीम द्वारा दूसरी टीम को बाहर भेजने यानी ऑलआउट करने पर उसे दो प्वाइंट मिलते हैं। अब इसको ही ऑलआउट की जगह लोना के नाम से जाना जाता है।
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