क्या होता है ‘नाइटवॉचमैन’, क्रिकेट में क्या होता है इसका मतलब?
टेस्ट क्रिकेट में नाइटवॉचमैन अब उहम किरदार निभाने लग गए हैं। अक्सर टीम के कप्तान को उनकी दिन बचाने के लिए जरूरत पड़ती है।
भारत बनाम इंग्लैंड के बीच पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में एक शब्द काफी सुनने को मिला। वो शब्द है नाइटवॉचमैन। अगर आपने इसके बारे में नहीं सुना है तो आज के इस लेख में इसी के बारे में चर्चा करने वाले हैं। सबसे पहले ये जान लेते हैं कि ऐसा कौन से हालात हैं जब मैदान पर नाइटवॉचमैन की जरूरत पड़ती है।
कौन होता है नाइटवॉचमैन?
इसको एक उदाहरण के साथ समझते हैं। भारत बनाम बाग्लादेश के टेस्ट मैच में तेज गेंदबाज जयदेव उनादकट को नाइटवॉचमैन की भूमिका दी गई थी। बांग्लादेश के खिलाफ जीत के लिए भारत को कुल 145 रन की जरूरत थी। लेकिन भारत का टॉप ऑर्डर बुरी तरह से फेल रहा था। दिन का खेल खत्म होते-होते 45 रन पर चार विकेट गिर गए। ऐसे में श्रेयस अय्यर और विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत की जगह जयदेव उनादकट को खेलने के लिए भेज दिया गया था। जिसका सीधा-सीधा मतलब हुआ कि अपने प्रमुख खिलाड़ियों के विकेट बचाने के लिए जिस गेंदबाज को बल्लेबाजी करने के लिए भेजा जाता है उसको नाइनवॉचमैन की संज्ञा दी जाती है।
इसलिए पड़ती है नाइटवॉचमैन की जरूरत
किसी भी टीम के लिए उनके स्पेशलिस्ट बल्लेबाजों को आउट होने से बचाने का प्लान के लिए ही मैदान पर नाइटवॉचमैन को उतारा जाता है। नाइटवॉचमैन का काम पिच पर जाकर गेंदें झेलना और खेल खत्म होने तक बिना विकेट गवाएं पिच पर बने रहना होता है। इस खिलाड़ी के क्रीज पर आने के लिए कोई नियम नहीं है। अक्सर आपने देखा होगा कि जब टेस्ट मैच में दिन खत्म होने वाला होता तब बल्लेबाज थके-थके से नजर आते हैं। ऐसे में अगले दिन फ्रेश माइंड के साथ खेल सके, इसलिए उनकी जगह पर नाइटवॉचमैन को भेजा जाता है। किसी भी टीम का कप्तान अपने टॉप आर्डर को बचाने के लिए इस प्रकार के निर्णय लेता है और नाइटवॉचमैन को बल्लेबाजी करने के लिए भेज देता है।
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