HIL Auction: ऑक्शन की कुछ दिलचस्प और महत्वपूर्ण बातें, जिन्हें जानकर बढ़ जाएंगी धड़कनें 

HIL Auction: सभी फ्रेंचाइजी ने विदेशी खिलाड़ियों के मुकाबले भारतीय खिलाड़ियों पर इस बार खूब पैसा लुटाया है। 

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हॉकी इंडिया लीग (HIL Auction) के खिलाड़ियों की तीन दिवसीय नीलामी मंगलवार को समाप्त हुई, जिसमें 8 पुरुष टीमों और 4 महिला टीमों ने 24 खिलाड़ियों का कोटा पूरा किया। वैसे तो सभी टीमों ने संतुलित टीम बनाने की पूरी कोशिश की, लेकिन अब बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि मैदान पर आखिर में क्या होता है।

इस ऑक्शन में भारतीय खिलाड़ियों का जलवा रहा फिर चाहे वो पुरुष खिलाड़ी हों या फिर महिला खिलाड़ी। बता दें कि, सभी फ्रेंचाइजी ने विदेशी खिलाड़ियों के मुकाबले भारतीय खिलाड़ियों पर इस बार खूब पैसा लुटाया है। 

HIL Auction: 2013 से 2024 तक क्या-क्या हुआ बदलाव ?

HIL Auction: Some interesting and important things about HIL auction, knowing which will increase your heartbeats
HIL Auction/© Getty Images

साल 2013 में जब पहली बार हॉकी इंडिया लीग (HIL Auction) की नीलामी हुई थी, तो उस समय विदेशी खिलाड़ियों की बहुत मांग थी। बता दें कि, ऑक्शन के दौरान छह सबसे महंगे खिलाड़ियों में से चार विदेशी थे और 24 खिलाड़ियों की टीम में 10 विदेशी खिलाड़ी शामिल हो सकते थे। अब 2024 में, जब HIL 7 साल के लंबे समय के बाद वापस आ रहा है, तो इसमे बहुत कुछ बदल गया है। 

बता दें कि, पहली बार के ऑक्शन में सबसे महंगे टॉप 6 खिलाड़ियों में सिर्फ 2 ही भारतीय खिलाड़ी शामिल थे लेकिन साल 2024 के ऑक्शन के बाद पूरी कहानी ही बदल गई है। ऑक्शन में 10 सबसे महंगे खिलाड़ियों में 8 भारतीय खिलाड़ी शामिल हैं और उनमे सिर्फ 2 ही विदेशी हैं और शीर्ष 10 सबसे ज़्यादा कीमत पाने वाली महिलाओं में सिर्फ़ एक विदेशी खिलाड़ी नीदरलैंड की यिब्बी जेनसन का नाम शामिल है। 

बड़ें मंच पर भारतीय खिलाड़ियों ने किया है शानदार प्रदर्शन  

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HIL Auction-Harman Preet Singh/© Getty Images

साल 2013 में भारतीय हॉकी संघर्ष कर रही थी और पुरुष टीम 2012 के लंदन ओलंपिक में अंतिम स्थान पर रही थी लेकिन  उसके बाद से उन्होंने निरंतर अच्छे प्रयास किए, जिसके बदौलत बीते 11 वर्षों में उनके पास ओलंपिक पदक भी है और उनकी टीम में कई विश्व स्तरीय खिलाड़ी भी मौजूद हैं।

हरमनप्रीत सिंह, अभिषेक, हार्दिक सिंह, अमित रोहिदास, सुमित और मनप्रीत सिंह जैसे खिलाड़ी न केवल भारत के सर्वश्रेष्ठ हैं, बल्कि दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में भी गिने जाते हैं इसलिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि, सभी फ्रैंचाइजी ने भारतीय खिलाड़ियों को बड़ी कीमत पर खरीदना पसंद किया।

HIL Auction: कुछ बड़े विदेशी नाम सस्ते क्यों हो गए?

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HIL Auction-Christopher Ruhr/© Getty Images

दिल्ली एसजी पाइपर्स ने जर्मन खिलाड़ी क्रिस्टोफर रूहर पर 18 लाख रुपए खर्च किए, लेकिन अंकित पाल पर 20 लाख रुपए खर्च किए, जिन्होंने अभी तक सीनियर राष्ट्रीय टीम में पदार्पण (डेब्यू) तक नहीं किया है। वहीं दूसरी तरफ तमिलनाडु ड्रैगन्स ने भी स्थानीय खिलाड़ी सेल्वम कार्ति पर 24 लाख रुपए खर्च किए जबकि ऑस्ट्रेलिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक नाथन एफ्राम्स पर सिर्फ 17 लाख रुपए खर्च किए।

यहां तक ​​कि दुनिया के सबसे बेहतरीन क्रिएटिव मिडफील्डर्स में से एक जैक वालेस को भी नीलामी के दूसरे दिन हैदराबाद ने मात्र 26 लाख रुपये में खरीदा और वहीं पर युवा भारतीय राजिंदर सिंह पर 23 लाख रुपये खर्च किए। सभी टीमों में कई ऐसे उदाहरण हैं, जहां बड़े-बड़े नामी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के मुकाबले उन भारतीय खिलाड़ियों पर फ्रेंचाइजी ने ज्यादा पैसा खर्च किया जिन्होंने अभी तक अन्तर्राष्ट्रीय टीम में डेब्यू तक नहीं किया है। 

HIL Auction: क्या है कारण ?

ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि फ्रैंचाइजी विदेशी खिलाड़ियों की तुलना में भारतीय खिलाड़ियों और घरेलू प्रतियोगिता में उनके प्रदर्शन की क्षमता पर अधिक विश्वास करती हैं या ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि खेल की परिस्थितियां ऐसी हैं जहां 11 में से 7 खिलाड़ी भारतीय होने चाहिए। फिर भी, एक प्रतिभाशाली घरेलू खिलाड़ी को नीलामी में पुरस्कृत किया जाना एक अच्छी बात है। ऐसा होने पर खिलाड़ियों का मनोबल तो बढ़ेगा ही और वो आने वाले इस प्रतिष्ठित लीग में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाएंगे। 

ड्रैगफ्लिकर्स पर भी पैसों की बारिश 

हॉकी इंडिया लीग (HIL Auction) के ऑक्शन में ड्रैगफ्लिकर्स पर भी फ्रेंचाइजी ने जमकर पैसा लुटाया है। उनमे भारतीय हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह (78 लाख), गोंज़ालो पेइलाट (68 लाख), जिप जानसेन (54 लाख), जेरेमी हेवर्ड (42 लाख), केन रसेल (30 लाख), ब्लेक गोवर्स (27 लाख) और यिब्बी जानसेन (29 लाख) जैसे खिलाड़ी शामिल हैं।

ड्रैगफ्लिकर्स का क्या मतलब है? 

हॉकी में ड्रैग फ़्लिक को ‘स्ट्रेट शॉट’ या ‘हिट’ के नाम से भी जाना जाता है। यह पेनल्टी कॉर्नर के दौरान किया जाने वाला एक आक्रामक हथियार है।

ड्रैग फ़्लिक करने का तरीका:

  • खिलाड़ी गेंद के पास नीचे झुकता है और हॉकी स्टिक की शाफ़्ट पर गेंद को उठाता है।
  • फिर गेंद को ज़मीन पर धकेला जाता है, जबकि स्टिक आगे बढ़ती है। 
  • इससे गेंद को गति मिलती है और उसे गोल की दिशा में छोड़ा जाता है। 

ड्रैग फ़्लिक को फ़ील्ड हॉकी के नियमों में पुश के रूप में विभाजित किया गया है। ड्रैग फ़्लिक को पेनल्टी कॉर्नर के पहले शॉट से ऊपर उठाने की अनुमति है। ड्रैग फ़्लिक को 1990 के दशक की शुरुआत में डच खिलाड़ी टैको हाजो वैन डेन होनर्ट ने पेश किया था। 

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