6 Times Test Cricketers Played Through Pain for Their Team: टेस्ट क्रिकेट को अक्सर एक ‘जेंटलमैन’ गेम कहा जाता है, लेकिन इस खेल में कई बार ऐसे जज्बाती और साहसी पल देखने को मिलते हैं जो इतिहास में दर्ज हो जाते हैं। इनमें सबसे खास होते हैं वो पल जब खिलाड़ी गंभीर चोट के बावजूद मैदान पर डटे रहते हैं, सिर्फ इसलिए कि उनकी टीम को उनकी जरूरत है।
ये कहानियां सिर्फ तकनीकी कमाल या तेज़ रन बनाने की नहीं होतीं, बल्कि इनमें हिम्मत, आत्मविश्वास और टीम के लिए खुद को झोंक देने का जज्बा होती है। ऐसे कई मौके रहे हैं जब खिलाड़ियों ने घायल हालत में खेलकर टेस्ट क्रिकेट के असली मायने दिखाए हैं। आइए नजर डालते हैं उन 6 यादगार मौकों पर जो दर्द से भरी थीं, लेकिन इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गईं।
ये हैं वो 6 मौके जब टेस्ट क्रिकेटर्स ने दर्द में भी टीम के लिए नहीं छोड़ा मैदान
1. अनिल कुंबले बनाम वेस्टइंडीज, एंटीगा, 2002
इस मैच में भारतीय टीम के दिग्गज स्पिनर अनिल कुंबले जब बल्लेबाजी कर रहे थे, तभी मर्विन डिलन की एक बाउंसर उनकी जबड़े पर जा लगी। बाद में पता चला कि उनका जबड़ा टूट चुका है। आमतौर पर ऐसी चोट के बाद खिलाड़ी अस्पताल चला जाता, लेकिन कुंबले ने ऐसा नहीं किया।
उन्होंने न सिर्फ बल्लेबाज़ी की, बल्कि जब टीम को गेंदबाज की जरूरत पड़ी, तो वो पट्टी बांधकर मैदान में वापस आए और लगातार 14 ओवर गेंदबाज़ी भी की। इस दौरान उन्होंने ब्रायन लारा जैसे महान बल्लेबाज़ को आउट किया। उनका स्पेल 17-6-32-1 का रहा।
विव रिचर्ड्स तक ने उसके बाद कुंबले की तारीफ करते हुए कहा था कि “यह मैदान पर देखी गई सबसे बहादुर चीज़ों में से एक थी।”
2. ग्रेम स्मिथ बनाम ऑस्ट्रेलिया – सिडनी, 2009
साउथ अफ्रीका के कप्तान ग्रेम स्मिथ का सिडनी टेस्ट में खेलना क्रिकेट के इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। उनके बाएं हाथ की हड्डी टूट चुकी थी और दाहिनी कोहनी भी चोटिल थी। डॉक्टर्स ने उन्हें बाहर बैठने की सलाह दी थी।
लेकिन जब साउथ अफ्रीका 9 विकेट गंवा चुका था और मैच खत्म होने में थोड़े ही ओवर बचे थे, तो स्मिथ नंबर 11 पर बल्लेबाजी करने उतरे। उन्होंने एक हाथ से ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों का सामना किया और 17 गेंदों तक डटे रहे। आखिर में मिशेल जॉनसन ने उन्हें बोल्ड कर दिया, लेकिन स्मिथ की हिम्मत ने करोड़ों क्रिकेट फैंस को प्रेरित किया।
3. वीवीएस लक्ष्मण बनाम ऑस्ट्रेलिया – मोहाली, 2010
वीवीएस लक्ष्मण का टेस्ट करियर कई यादगार पारियों से भरा है, लेकिन मोहाली में खेली गई उनकी 73 रनों की नाबाद पारी बिल्कुल अलग थी। उस मैच में वह पीठ की गंभीर ऐंठन से परेशान थे और ठीक से चल भी नहीं पा रहे थे।
भारत 216 रनों का पीछा कर रहा था और स्कोर 124 पर 8 विकेट हो चुका था। उस समय सिर्फ इशांत शर्मा और प्रज्ञान ओझा बल्लेबाजी के लिए बचे थे। ऐसे में लक्ष्मण ने सिर्फ स्ट्राइक रोटेट करके और चौके लगाकर भारत को रोमांचक जीत दिलाई। उनकी रनिंग लगभग बंद थी, लेकिन उनकी तकनीक, मैच सेंस और हिम्मत ने भारत को एक ऐतिहासिक जीत दिलाई।
4 . मैल्कम मार्शल बनाम इंग्लैंड – लीड्स, 1984
वेस्टइंडीज के तेज़ गेंदबाज़ मैल्कम मार्शल अपनी रफ्तार के लिए मशहूर थे, लेकिन 1984 में उन्होंने अपनी बहादुरी से सबको हैरान कर दिया।
लीड्स टेस्ट में उनकी बाईं अंगुली बुरी तरह टूट गई थी। इसके बावजूद वह बल्लेबाजी के लिए नंबर 11 पर आए। उनके हाथ पर पट्टी बंधी थी और उन्होंने बैट एक हाथ से पकड़ रखा था। मार्शल ने उस पारी में एक चौका लगाते हुए 13 रनों की पार्टनरशिप की, जिससे लैरी गोम्स का शतक पूरा हो पाया।
इतना ही नहीं, बाद में गेंदबाजी करते हुए मार्शल ने इंग्लैंड की दूसरी पारी में 53 रन देकर 7 विकेट झटके, जिसमें एक कैच एंड बोल्ड भी शामिल था। यह प्रदर्शन टेस्ट क्रिकेट के सबसे साहसी ऑलराउंड परफॉर्मेंस में गिना जाता है।
5. रिक मैकॉस्कर बनाम इंग्लैंड – मेलबर्न, 1977
1977 के मेलबर्न में खेले गए सदी के टेस्ट (Centenary Test) में ऑस्ट्रेलिया के ओपनर रिक मैकॉस्कर को इंग्लैंड के गेंदबाज़ बॉब विलिस की बाउंसर से जबड़े में गंभीर चोट लगी थी। उनका जबड़ा टूट चुका था।
लेकिन जब टीम को जरूरत पड़ी, तो उन्होंने दूसरी पारी में चेहरे पर पट्टी बांधकर नंबर 10 पर बल्लेबाज़ी की। उन्होंने 25 रन बनाए और रॉडनी मार्श के साथ 54 रनों की अहम साझेदारी की। ऑस्ट्रेलिया ने ये मैच 45 रनों से जीता – ठीक उतने ही अंतर से जितना पहला टेस्ट मैच 100 साल पहले हुआ था।
6. क्रिस वोक्स बनाम भारत – ओवल, 2025
भारत और इंग्लैंड के बीच पांचवां टेस्ट बेहद रोमांचक मोड़ पर पहुंच चुका था। इंग्लैंड जीत के करीब था लेकिन तभी ऑलराउंडर क्रिस वोक्स का कंधा गंभीर रूप से चोटिल हो गया। वह सही से बल्लेबाज़ी नहीं कर सकते थे।
फिर भी, जब आखिरी दिन मैच फंसा हुआ था, तो वोक्स एक हाथ में स्लिंग बांधे नॉन-स्ट्राइकर एंड पर खड़े हो गए, ताकि साथी बल्लेबाज़ को स्ट्राइक दी जा सके। उन्होंने खुद कोई गेंद नहीं खेली, लेकिन उनकी मौजूदगी ही टीम को भरोसा दे रही थी।
हालाँकि, अंत में इंग्लैंड को 6 रनों से करीबी हार झेलनी पड़ी, लेकिन वोक्स की हिम्मत और टीम के लिए समर्पण ने सभी दर्शकों का दिल जीत लिया।
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