भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने घरेलू क्रिकेट के नए सीजन 2025-26 के लिए एक बड़ा बदलाव किया है। अब मल्टी-डे मैचों में खिलाड़ियों को गंभीर चोट लगने पर टीमों को रिप्लेसमेंट खिलाड़ी लेने की अनुमति होगी। इस नियम को “सीरियस इंजरी रिप्लेसमेंट” नाम दिया गया है। इसका फैसला हाल ही में भारत और इंग्लैंड के बीच एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी के दौरान सामने आई चोटों के बाद लिया गया।
पंत और वोक्स की चोट ने बढ़ाई चिंता
दरअसल, इंग्लैंड-भारत टेस्ट सीरीज 2025 के चौथे और पांचवें टेस्ट में दोनों टीमों को बड़ा झटका लगा था। विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत को पैर में फ्रैक्चर हो गया, वहीं इंग्लैंड के तेज गेंदबाज क्रिस वोक्स कंधे की चोट के चलते बाहर हो गए। दोनों टीमों को पूरे मैच में 10-10 खिलाड़ियों के साथ उतरना पड़ा, जिससे संतुलन बिगड़ गया। इसी घटना ने बीसीसीआई को गंभीर चोटों के लिए रिप्लेसमेंट का विकल्प देने पर मजबूर किया।
कैसे काम करेगा नया नियम?
बीसीसीआई के नए प्लेइंग कंडीशंस के मुताबिक, अगर किसी खिलाड़ी को मैच के दौरान बाहरी चोट (जैसे फ्रैक्चर, गहरी चोट या डिसलोकेशन) लगती है, तो उसकी जगह रिप्लेसमेंट खिलाड़ी आ सकता है। हालांकि यह फैसला मैच रेफरी, ऑन-फील्ड अंपायर और डॉक्टरों की सलाह पर लिया जाएगा।
रिप्लेसमेंट खिलाड़ी वही होगा जो टॉस से पहले बताई गई सब्सटीट्यूट लिस्ट में शामिल हो। अगर मामला विकेटकीपर का है और टीम के पास कोई रिजर्व कीपर उपलब्ध नहीं है, तो बाहर से भी कीपर बुलाने की अनुमति होगी।
कौन-कौन से नियम होंगे लागू?
इस रिप्लेसमेंट नियम के तहत कई शर्तें तय की गई हैं।
- रिप्लेसमेंट खिलाड़ी को ‘लाइक-फॉर-लाइक’ होना जरूरी है।
- घायल खिलाड़ी के सभी पेनल्टी टाइम, वार्निंग और सस्पेंशन रिप्लेसमेंट पर भी लागू होंगे।
- घायल खिलाड़ी और रिप्लेसमेंट दोनों को मैच का हिस्सा माना जाएगा।
- रेफरी का फैसला अंतिम होगा और इस पर कोई अपील नहीं होगी।
कोच और खिलाड़ियों ने दी थी मिली-जुली प्रतिक्रिया
भारत के हेड कोच गौतम गंभीर ने इस नियम का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि अगर किसी खिलाड़ी को गंभीर चोट लगी है, तो टीम को सजा क्यों मिले? किसी टेस्ट मैच में 10 बनाम 11 खिलाड़ियों का खेल सही नहीं है। वहीं इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने इसका विरोध किया। उनके मुताबिक, चोटें खेल का हिस्सा हैं और रिप्लेसमेंट की इजाजत देने से गलत रास्ते खुल सकते हैं। हालांकि, स्टोक्स की टीम के ही साथी वोक्स की चोट ने इस नियम की जरूरत को और मजबूत किया।
कहां लागू होगा यह नियम?
बीसीसीआई ने साफ किया है कि “सीरियस इंजरी रिप्लेसमेंट” नियम केवल मल्टी-डे घरेलू टूर्नामेंट्स में लागू होगा। इसमें सीके नायडू ट्रॉफी (अंडर-19 टूर्नामेंट) भी शामिल है। लेकिन यह नियम फिलहाल सफेद गेंद वाले टूर्नामेंट जैसे सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी और विजय हजारे ट्रॉफी पर लागू नहीं होगा। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) भी इसकी दायरे से बाहर रहेगा।
आईसीसी की इस नियम पर नजर
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आईसीसी भी इस नियम पर विचार कर रही है। अभी तक आईसीसी ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया है, लेकिन भारत का घरेलू प्रयोग भविष्य में टेस्ट क्रिकेट को बदलने की दिशा में अहम साबित हो सकता है।
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