Michael Clarke John Buchanan Sourav Ganguly Controversy: क्रिकेट के मैदान पर मुकाबले सिर्फ बल्ले और गेंद तक ही सीमित नहीं होते, कई बार मैदान के बाहर की लड़ाइयां भी इतिहास में दर्ज हो जाती हैं। ऐसा ही एक पुराना और बहुचर्चित विवाद माइकल क्लार्क और जॉन बुकानन के बीच रहा, जिसने ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट में खासी हलचल मचाई थी।
ये टकराव सिर्फ दो शख्सियतों की आपसी नफरत नहीं थी, बल्कि इससे टीम की संस्कृति और कप्तानी को लेकर पूरी बहस छिड़ गई थी। दिलचस्प बात ये है कि बुकानन के नाम के साथ ऐसे विवाद पहले भी जुड़े हैं और इसमें भारतीय क्रिकेट के दिग्गज सौरव गांगुली का नाम भी शामिल है।
ऑस्ट्रेलिया की सफलता बुकानन की कोचिंग की कामयाबी या बड़े खिलाड़ियों की देन?

जॉन बुकानन को ऑस्ट्रेलिया का सबसे कामयाब कोच माना जाता है। उनके कार्यकाल में टीम ने बिना कोई मैच हारे दो वर्ल्ड कप 2003 और 2007) और 2006 की चैंपियंस ट्रॉफी जीती। इसके अलावा, उनकी कोचिंग में कंगारुओं ने लगातार 16 टेस्ट मैच जीतने का रिकॉर्ड अपने नाम किया। इतना ही नहीं, 2004 में उन्होंने 36 साल भारत में टेस्ट सीरीज भी जीता।
लेकिन क्रिकेट के गलियारों में हमेशा ये सवाल उठता रहा कि ये कामयाबी बुकानन की कोचिंग की वजह से थी या फिर उस समय टीम में मौजूद रिकी पोंटिंग, एडम गिलक्रिस्ट, ग्लेन मैकग्रा और शेन वॉर्न जैसे दिग्गजों के दम पर थी।
बुकानन की कोचिंग का तरीका हमेशा आलोचना के घेरे में रहा। वो खिलाड़ियों की तकनीकी खामियों पर ज्यादा ध्यान देने के बजाय मनौवैज्ञानिक और रणनीतिक पहलुओं पर फोकस करते थे। यही वजह थी कि कई खिलाड़ी उनकी थ्योरी से इत्तेफाक नहीं रखते थे।
Michael Clarke John Buchanan Controversy: कहाँ से शुरू हुई थी क्लार्क और बुकानन की अदावत?

माइकल क्लार्क ने 2004 में ऑस्ट्रेलिया के लिए डेब्यू किया और जल्द ही टीम के पोस्टर बॉय बन गए। 2011 में कप्तानी संभालने के बाद उन्होंने ऑस्ट्रेलिया को 2015 में वर्ल्ड कप चैंपियन बनाया, लेकिन बुकानन कभी उनके बड़े फैन नहीं रहे।
बुकानन ने एक बार कहा था कि क्लार्क की कप्तानी के दौरान ऑस्ट्रेलियाई टीम की बैगी ग्रीन कल्चर कमजोर हो गई थी। ये बात क्लार्क को इतनी चुभ गई कि उन्होंने अपनी किताब ‘Ashes Diary 2015’ में बुकानन की जमकर धज्जियां उड़ाई।
क्लार्क ने लिखा था, “बुकानन उस टीम के कोच थे जिसे मेरा कुत्ता जेरी भी वर्ल्ड चैंपियन बना सकता था।”
ये बयान सीधे-सीधे बुकानन की पूरी कोचिंग की साख पर सवाल उठा रहा था। इसके बाद दोनों के बीच बयानबाजी का सिलसिला शुरू हो गया, जो सालों तक चला।
मीडिया में बयानबाजी ने और भड़काया विवाद

ये विवाद सिर्फ दोनों के बीच तक सीमित नहीं रहा, बल्कि ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने इसे और हवा दे दी। शेन वॉर्न जैसे कई पूर्व खिलाड़ियों ने क्लार्क का समर्थन किया, जबकि शेन वॉटसन जैसे खिलाड़ी बुकानन के समर्थन में उतर आए।
शेन वॉर्न ने बुकानन पर तंज कसते हुए कहा था, “अगर आपकी टीम में गिलक्रिस्ट, पोंटिंग और मैक्ग्रा जैसे खिलाड़ी हों तो कोई भी कोच हीरो बन सकता है।”
Sourav Ganguly John Buchanan Controversy: सौरव गांगुली और बुकानन का विवाद भी रहा चर्चित

बुकानन का विवादों से पुराना नाता रहा है। आईपीएल 2008 में वो कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) के कोच थे, जहां उनकी भिड़ंत सीधे-सीधे टीम के कप्तान सौरव गांगुली से हो गई। ईएसपीएन क्रिकइंफो की रिपोर्ट के अनुसार, बुकानन ने केकेआर में मल्टी-कैप्टेंसी थ्योरी लागू करने की कोशिश की थी। इस थ्योरी का मतलब था कि, अलग-अलग परिस्थितियों के अनुसार अलग-अलग कप्तान।
गांगुली ने इस थ्योरी को सिरे से खारिज कर दिया था। इसके अलावा, उस सीजन में KKR का प्रदर्शन बेहद खराब रहा और बुकानन को अगले ही साल बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
बाद में गांगुली ने कहा था, “क्रिकेट जितना आसान खेल है, उतना ही आसान रहने दो। ज्यादा दिमाग लगाओगे तो खेल बिगड़ जाएगा।”
बुकानन के विवादों में बड़े खिलाड़ी, बड़ी सोच और टकराव का एक पैटर्न साफ दिखाई देता है। माइकल क्लार्क और सौरव गांगुली जैसे दिग्गजों से भिड़ंत साबित करती है कि बुकानन की रणनीतियां भले ही अलग थीं, लेकिन खिलाड़ियों की सोच को समझने में वो अक्सर नाकाम रहे।
क्रिकेट के इतिहास में जॉन बुकानन का नाम हमेशा एक कामयाब, लेकिन विवादित कोच के रूप में याद किया जाएगा। माइकल क्लार्क और सौरव गांगुली जैसे बड़े खिलाड़ियों के साथ उनका टकराव यही बताता है कि क्रिकेट सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं है, बल्कि ये भावनाओं और टीम कल्चर का भी खेल है। शायद बुकानन यही बात कभी समझ नहीं पाए।
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