Sunday, July 6

आज भी भारत समेत पूरी दुनिया में मेजर ध्यानचंद के फैंस मौजूद हैं। मेजर ध्याचंद को ‘हॉकी का जादूगर’ कहा जाता है। इस नाम के पीछे उनके कमाल की हॉकी खेलने की कला शामिल है। उन्होंने अपने करियर में भारत को कई यादगार मैच जिताए हैं। भारत में हॉकी के प्रति लोगों में रूची बढ़ाने का श्रेय भी मेजर ध्यानचंद को ही जाता है। महज 16 साल की उम्र में ध्यानचंद भारतीय सेना में शामिल हो गए थे। इसके बाद ही उन्होंने हॉकी खेलना शुरु किया। मेजर ध्यानचंद ने जैसे ही हॉकी की दुनिया में कदम रखा वैसे ही एक के बाद एक रिकॉर्ड बनाते गए। पूरी दुनिया उनके खेल की दिवानी होने लगी। आज के इस लेख में हम आपको एक ऐसा वाक्या बताने जा रहे हैं, जब जर्मन तानाशाह भी मेजर ध्यानचंद के खेल का दिवाना हो गया और उनको जर्मनी की टीम से खेलने का निमंत्रण दे डाला।

Image Source: X

हिटलर ने देखा भारत-जर्मनी का मैच

दरअसल, बर्लिन ओलंपिक में 14 अगस्त 1936 के दिन भारत और जर्मनी के बीच हॉकी मैच खेला जाना था। लेकिन उस दिन लगातार बारिश हो रही थी और मैच को स्थगित कर दिया गया। इसके बाद ठीक अगले दिन यानी 15 अगस्त को मैच खेला गया। इस मैच को देखने के लिए बर्लिन के स्टेडियम में करीब 40 हजार दर्शकों के साथ जर्मन तानाशाह हिटलर भी मौजूद था।

जर्मनी को 8-1 से दी थी शिकस्त

इस मैच में भारतीय टीम ने जर्मनी की हॉकी टीम को एकतरफा अंदाज में शिकस्त दी। हॉफ टाइम तक भारतीय टीम ने जर्मनी के खिलाफ सिर्फ एक गोल दागा था। लेकिन इसके बाद टीम के खिलाड़ियों ने एक के बाद एक गोल कर जर्मनी को उन्हीं के देश में शानदार अंदाज से हराया था। इस मैच में भारत ने 8-1 के अंतर से जीता था। जिसमें से 3 गोल मेजर ध्यानचंद ने किए थे। हॉफ टाइम के बाद मेजर ध्यानचंद ने उनकी स्पाइक वाले जूते को उतार दिया था और फिर नंगे पाव हॉकी के मैदान में उतर गए थे। बर्लिन ओलंपिक में मेजर ध्यानचंद के साथ खेलने वाले व उसके बाद पाकिस्तान हॉकी टीम के कप्तान बनने वाले खिलाड़ी आईएनएस दारा ने इस के बारे में लिखा था कि, “छह गोल खाने के बाद जर्मन खिलाड़ी काफी खराब हॉकी खेलने लगे। उनके गोलकीपर टिटो वार्नहोल्ज की स्टिग ध्यानचंद के मुंह पर इतनी जोर से लगी कि उनका दांत टूट गया।”

इस अंदाज में दी जर्मनी को शिकस्त

जर्मन गोलकीपर की स्टिग लगने के बाद एक बार फिर से ध्यानचंद मैदान पर उतरे। फिर उन्होंने अपनी टीम के सभी खिलाड़ियों से बात की और बताया कि अब जर्मन टीम पर एक भी गोल न लगाया जाए। जर्मन खिलाड़ियों के ये बताया जाए कि आखिर गेंद पर कैसे नियंत्रण रखा जाता है। ऐसे में ध्यानचंद की बातों को ध्याान में रखते हुए भारतीय खिलाड़ी गेंद को ‘डी’ तक ले जाते और बाद में गेंद को बैक कर देते। ये सब जर्मन खिलाड़ियों को समझ में नहीं आ रहा था। वो सोच रहे थे कि आखिर ये हो क्या रहा है।

बता दें कि इससे पहले भी भारत और जर्मन टीम के बीच एक अभ्यास मैच हुआ था। इस मैच में भारतीय टीम को जर्मनी ने हराया था। एक तरफ जहां जर्मनी की टीम ने भारत पर 4 गोल दागे थे तो दूसरी तरफ भारत सिर्फ 1 गोल लगाने में कामयबा हो पाया था। इस मैच के बारे में बात करते हुए मेजर ध्यानचंद ने अपनी आत्मकथा ‘गोल’ में लिखा है कि, “मैं जब तक जीवित रहूंगा इस हार को कभी नहीं भूलूंगा। इस हार ने हमें हिला कर रख दिया था और हम पूरी रात सो नहीं पाए थें।”

हिटलर ने ध्यानचंद को दिया ऑफर

मीडिया रिपोर्ट्स मूताबिक बर्लिन ओलंपिक मैच में भारत के द्वारा जर्मनी को हराने के बाद तानाशाह हिटलर ने मेजर ध्यानचंद को खाने के लिए आमंत्रित किया था। इस दौरान उसने ध्यानचंद के सामने जर्मनी से खेलने का प्रस्ताव रखा। इसके अलावा ये भी कहा कि यदि वो जर्मनी की टीम से खेलेंगे तो उन्हें सेना में कर्नल का भी पद दिया जाएगा। इसके जवाब में ध्यानचंद ने हिटलर को कहा था कि, “हिंदुस्तान मेरा वतन है और मैं वहां पर खुश हूं।”

ये भी पढ़ें: मेजर ध्यानचंद को देख विरोधी टीम के छूट जाते थे पसीने, भारत को दिया अहम योगदान

स्पोर्ट्स से जुड़ी अन्य खबरें जैसे, cricket news और  football news के लिए हमारी वेबसाइट hindi.sportsdigest.in पर log on

Share.

साल 2020 से स्पोर्ट्स पत्रकारिता में एक सिपाही के तौर पर कार्यरत हूं। प्रत्येक खेल में उसके सभी पहलुओं के धागे खोलकर आपके सामने रखने की कोशिश करूंगा। विराट व रोहित का बल्ला धोखा दे सकता है, लेकिन आपको यहां खबरों की विश्वसनियता पर कभी धोखा नहीं मिलेगा। बचपन से ही क्रिकेट के साथ-साथ अन्य खेलों में खास दिलचस्पी होने के कारण इसके बारे में लिखना बेहद पसंद है।

2 Comments

  1. Pingback: Why did Milkha Singh go to jail, know the whole story

  2. Pingback: World's 5 largest hockey stadiums, this beautiful ground of India is included in the list

Leave A Reply

Exit mobile version