Sunday, July 6

फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह भारत के सबसे बड़े एथलीट में से एक हैं। इस महान धावक ने भारत का नाम हर मंच में रोशन किया है। मिल्खा सिंह को फ्लाइंग सिख बनने के लिए बहुत बड़े-बड़े बलिदान देने पड़े। मिल्खा सिंंह जब बेहद कम उम्र के थे इसी वक्त उनकी आंखों के सामने उनके माता-पिता का कत्ल कर दिया गया। इस हादसे में परिवार के अन्य सदस्य भी मारे गए। ऐसे में बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाकर मिल्खा सिंह दिल्ली भागकर आए। इसके बाद उनके रिश्तेदारों ने उन्हें जिंदगी जीने का सहारा दिया।

इस वजह से गए थे जेल

जैसे ही मिल्खा सिंह दिल्ली पहंचु तो वो अपनी शादीशुदा बहन के यहां पर रहने लगे। दरअसल, मिल्खा सिंह आज के पाकिस्तान की राजधानी लाहौर से भागकर दिल्ली आ गए थे। इसके बाद दिल्ली पहुंंचकर मिल्खा सिंह को पकड़कर जेल में डाल दिया गया। इसके पीछे का कारण ये था कि वो बिना टिकट के लाहौर से दिल्ली पहुंचे थे। जिस वजह से उन्होंने 10 दिन जेल में गुजारे। इस बात का जिक्र उन्होंने कई बार इंटरव्यू के दौरान किया है। जेल से छूटने के लिए मिल्खा सिंह की बहन ने अपने गहने बेचे जिसके बाद वो रिहा हो पाए।

एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय

मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवंबर 1935 में आज के पाकिस्तान में हुआ था और मृत्यू 18 जून 2021 में हुई। दुनिया उनको एक मशहूर एथलीट के नाम से जानती है। उनका निक नेम ‘फ्लाइंग सिख’ है। वो साल 1958 और 1962 के दौरान एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाले भारत के एक स्टार एथलीट है। इसके अलावा मिल्खा सिंह भारत की तरफ से कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले एथलीट हैं। इसके अलावा उन्होंने साल 1965 और 1960 में ओलंपिक गेम्स के दौरान भारत का प्रतिनिधित्व भी किया है। मिल्खा सिंह को पद्मश्री भी मिल चुका है।

आर्मी में शामिल होने के बाद बने बेहतरीन धावक

रिश्तेदारों के द्वारा मिल्खा सिंह को सहारा देने के बाद उनकी जिंदगी धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी। बाद में वो इंडियन आर्मी का हिस्सा बने। इसी दौरान उन्हें स्पोर्ट्स में जाने की इच्छा जगी। इसके बाद मिल्खा सिंह ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। भारतीय सेना में शामिल होने के कुछ दिनों बाद उनकी मुलाकात कई ऑफिसर्स के साथ हुई फिर उन्होंने मिल्खा सिंह को धावक बनने के लिए कहा। फिर मिल्खा ने दौड़ की दुनिया में मिल्खा सिंह ने कई नए किर्तीमान स्थापित किए। वो भारत के लिए कई मेडल लाए, कई रिकॉर्ड बनाए।

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साल 2020 से स्पोर्ट्स पत्रकारिता में एक सिपाही के तौर पर कार्यरत हूं। प्रत्येक खेल में उसके सभी पहलुओं के धागे खोलकर आपके सामने रखने की कोशिश करूंगा। विराट व रोहित का बल्ला धोखा दे सकता है, लेकिन आपको यहां खबरों की विश्वसनियता पर कभी धोखा नहीं मिलेगा। बचपन से ही क्रिकेट के साथ-साथ अन्य खेलों में खास दिलचस्पी होने के कारण इसके बारे में लिखना बेहद पसंद है।

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