पूर्व भारतीय कप्तान और कोच रवि शास्त्री ने मौजूदा दौर के क्रिकेटरों से साफ तौर पर कहा है कि वे मीडिया और तकनीक को उसी तरह अपनाएं जैसे क्रिकेट किट में हेलमेट को रखा जाता है। उनका मानना है कि अगर ये दोनों चीजें न होतीं, तो खेल आज जिस मुकाम पर है, वहां तक नहीं पहुंच पाता।
वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट (WAVES) के दौरान ‘खेल, तकनीक, उद्यमिता और मीडिया के संगम’ विषय पर हुई एक पैनल चर्चा में बोलते हुए शास्त्री ने कहा कि आज के खिलाड़ी जिस तकनीक और प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर रहे हैं, वो दरअसल खेल की तरक्की का बड़ा आधार बन चुके हैं।
“1983 के बाद भारत ने सपने देखने की ताकत दी, लेकिन इसके पीछे सहारा भी ज़रूरी था”
रवि शास्त्री ने याद किया कि उनके दौर में रेडियो और टेलीविजन सिर्फ दो माध्यम थे। लेकिन 1983 के वर्ल्ड कप के बाद से भारत में खेलों ने नई उड़ान भरी, और उसमें मीडिया की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।
उन्होंने कहा, “भारत ने पिछले 40 सालों में कई टूर्नामेंट जीते हैं। लेकिन ये सब कुछ सपनों और मेहनत के अलावा उस सहारे से भी हुआ जो मीडिया और तकनीक ने दिया।”
शास्त्री ने मीडिया की तुलना किट बैग के उस सामान से की जिसे कोई खिलाड़ी कभी भूलता नहीं। उन्होंने कहा, “जैसे पैड्स, बल्ला और हेलमेट आपकी किट में होता है, वैसे ही मीडिया और तकनीक भी अब उस किट का हिस्सा हैं। इन्हें पूरी तरह अपनाना ही पड़ेगा।”
“AI को अपनाइए, यह आपके विकास का हिस्सा है” – रवि शास्त्री
शास्त्री ने साफतौर से कहा कि आधुनिक तकनीक, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), अब खेल का अहम हिस्सा बन चुकी है। उन्होंने खिलाड़ियों को सलाह दी कि वे इस तकनीक का इस्तेमाल सिर्फ विरोधी टीमों को समझने या रणनीति बनाने के लिए नहीं, बल्कि खुद को बेहतर बनाने के लिए भी करें।
उन्होंने कहा, “आज का खिलाड़ी अपने प्रदर्शन को सौ बार देख सकता है। उसे समझ सकता है कि उसने क्या सही किया, क्या गलत। तकनीक आपको आपकी ताकत और कमज़ोरी दोनों बताती है, ताकि आप हर हालात में खुद को बेहतर बना सकें और विरोधियों को मात दे सकें।”
“ब्रांड से जुड़ाव अब सिर्फ विज्ञापन नहीं, पूरे प्लेटफॉर्म का हिस्सा” – शास्त्री
अपने अनुभव साझा करते हुए शास्त्री ने बताया कि उनके दौर में ब्रांड से जुड़ाव सिर्फ लोगो और विज्ञापन तक सीमित था। उन्होंने कहा, “आज तो सोशल मीडिया, पॉडकास्ट और तमाम डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने खिलाड़ी की पहचान को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। अब एक खिलाड़ी की मौजूदगी सिर्फ मैदान तक सीमित नहीं है, वह हर जगह है।”
उन्होंने कहा कि कोविड के दौरान जब देश लॉकडाउन में था, तब भी खेलों ने लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाने का काम किया और यह मीडिया और तकनीकी प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए संभव हुआ।
शास्त्री ने कहा, “हम 1.5 अरब लोगों का देश हैं, जिनमें 70 प्रतिशत लोग 30 साल से कम उम्र के हैं। ये युवा वर्ग खेलों से जुड़ता है, और मीडिया उसे खेल से जोड़ने का पुल बन चुका है।”
“प्लेटफॉर्म्स न होते तो खेल का विकास थम गया होता”
शास्त्री ने कहा कि अगर इन प्लेटफॉर्म्स की मौजूदगी न होती, तो खेल उस मुकाम तक नहीं पहुंच पाता जहां वह आज है। खिलाड़ियों को अपने करियर को संवारने और जनता से जुड़ने का जो अवसर आज मिला है, वह पूरी तरह इन मीडिया और तकनीकी साधनों के कारण संभव हो पाया है।
उन्होंने दोहराया, “अब कोई भी खिलाड़ी अपनी हर छोटी-बड़ी गलती को देख सकता है। पहले ऐसा नहीं था। अब खिलाड़ी अपने विरोधी को गहराई से समझ सकता है, खुद की रणनीति तय कर सकता है और उसके अनुसार मुकाबला कर सकता है।”
क्या आज के खिलाड़ी इस सलाह को गंभीरता से लेंगे?
रवि शास्त्री का यह बयान ऐसे समय आया है जब कई खिलाड़ी मीडिया से दूरी बनाए रखने की कोशिश करते हैं, या सोशल मीडिया को केवल एक औपचारिकता समझते हैं। लेकिन शास्त्री का संदेश साफ है, जो खिलाड़ी खुद को समय के साथ नहीं ढालते, वे पीछे रह जाते हैं। आज का क्रिकेट सिर्फ 22 गज की पिच तक सीमित नहीं है, यह कैमरों, डेटा, ब्रांड और फैंस के साथ एक गहरे रिश्ते में बदल चुका है।
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