Sourav Ganguly Refuses to Join WBSSC Scam Protest: पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित WBSSC भर्ती घोटाले के बाद नौकरी गंवा चुके शिक्षकों का एक समूह सौरव गांगुली से समर्थन मांगने गुरुवार को उनके कोलकाता स्थित निवास पर पहुंचा। ये शिक्षक आगामी 21 अप्रैल को राज्य सचिवालय तक मार्च निकालने जा रहे हैं और इसी मार्च में शामिल होने का न्योता लेकर वे गांगुली के पास पहुंचे थे।
हालांकि, एबीपी आनंदा की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व भारतीय कप्तान ने इस निमंत्रण को विनम्रता से ठुकरा दिया और साफ कहा, “कृपया मुझे राजनीति में न घसीटें।” इस बयान से गांगुली ने एक बार फिर साफ कर दिया कि वे किसी राजनीतिक विवाद या आंदोलन का हिस्सा नहीं बनना चाहते।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला, छात्रों की पढ़ाई पर न पड़े असर
गौरतलब है कि, कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक अहम फैसला सुनाया था। कोर्ट ने माना कि साल 2016 की शिक्षक भर्ती में अनियमितताएं हुई थीं और इसी के चलते कई नियुक्तियां रद्द की गईं। हालांकि, दागी नहीं पाए गए शिक्षकों को अंतरिम राहत देते हुए कोर्ट ने कहा कि वे जब तक नई भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक पढ़ाना जारी रख सकते हैं।
यह राहत केवल कक्षा 9 से 12 तक पढ़ाने वाले शिक्षकों को दी गई है और यह स्पष्ट किया गया है कि जिन शिक्षकों के नाम किसी अनियमितता से नहीं जुड़े हैं, सिर्फ वे ही पढ़ा सकते हैं।
नई भर्ती के लिए सख्त समय सीमा
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने यह भी निर्देश दिया कि वेस्ट बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (WBSSC) को 31 मई तक नई भर्ती का विज्ञापन जारी करना होगा और 31 दिसंबर तक पूरी चयन प्रक्रिया पूरी करनी होगी। कोर्ट ने चेतावनी दी है कि अगर समयसीमा का पालन नहीं किया गया तो राज्य सरकार और आयोग के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है, जिसमें आर्थिक दंड भी शामिल है।
शिक्षकों का आंदोलन और राजनीतिक हस्तक्षेप की कोशिश
SSC घोटाले की वजह से नौकरी गंवा चुके सैकड़ों शिक्षक बीते कुछ महीनों से आंदोलनरत हैं। वे अपनी बहाली और न्याय की मांग कर रहे हैं। ऐसे में सौरव गांगुली जैसे लोकप्रिय और प्रभावशाली व्यक्ति से समर्थन की उम्मीद करना स्वाभाविक था, लेकिन गांगुली ने स्पष्ट कर दिया कि वे इस मुद्दे में किसी प्रकार की राजनीतिक भूमिका नहीं निभाना चाहते।
गांगुली का यह रुख यह दर्शाता है कि वे अपने सार्वजनिक जीवन को राजनीति से दूर रखना चाहते हैं, हालांकि इससे आंदोलन कर रहे शिक्षकों को निराशा जरूर हुई है। अब सबकी निगाहें SSC और राज्य सरकार पर टिकी हैं कि वे सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन कैसे करते हैं और कितनी पारदर्शिता के साथ नई भर्ती प्रक्रिया पूरी करते हैं।
स्पोर्ट्स से जुड़ी ताजा खबरों के लिए Sports Digest Hindi के साथ जुड़े रहें और हमें यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम, और ट्विटर (X) पर भी फॉलो करें।