Who is Danish Malewar: रणजी ट्रॉफी 2024-25 के फाइनल में 21 वर्षीय दानिश मालेवर ने अपनी शानदार बल्लेबाजी से विदर्भ को शुरुआती झटकों से उबारते हुए केरल के खिलाफ दमदार शतक जड़ा। नागपुर के VCA स्टेडियम, जामठा में खेले जा रहे इस बड़े मुकाबले के पहले दिन उन्होंने 168 गेंदों में अपना शतक पूरा किया और टीम को मुश्किल स्थिति से बाहर निकाला।
मुश्किल परिस्थितियों में खेली दमदार पारी
फाइनल मुकाबले में विदर्भ को पहले बल्लेबाजी का मौका मिला, लेकिन हरी घास से सजी पिच पर केरल के तेज गेंदबाजों ने शुरुआती झटके देकर टीम को बैकफुट पर धकेल दिया। टीम मैनेजमेंट ने बल्लेबाजी क्रम में बदलाव करते हुए निचले क्रम के पार्थ रेखाडे और दर्शन नलकंडे को ऊपर भेजने का फैसला किया, ताकि वे नई गेंद का सामना कर सकें। लेकिन यह दांव उल्टा पड़ गया और 12 ओवर के भीतर ही विदर्भ ने 24 रन पर 3 विकेट गंवा दिए।
ऐसे मुश्किल हालात में चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करने आए दानिश मालेवर और अनुभवी करुण नायर ने मोर्चा संभाला। दोनों ने लंच तक कोई और नुकसान नहीं होने दिया और 100+ रनों की साझेदारी कर टीम को संभाला। इसके बाद मालेवर ने अपने नैसर्गिक अंदाज में बल्लेबाजी जारी रखी और इस सीजन का अपना दूसरा शतक पूरा किया। उन्होंने 99 तक पहुंचने के लिए लेफ्ट आर्म स्पिनर आदित्य सर्वटे की गेंद पर छक्का लगाया और अगली ही गेंद पर चौका जड़कर शतक पूरा किया।
डेब्यू सीजन में ही मालेवर ने किया कमाल
दानिश मालेवर का यह रणजी ट्रॉफी में पहला ही सीजन है, लेकिन उन्होंने अपने शानदार प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया है। उन्होंने आंध्र के खिलाफ नागपुर में फर्स्ट क्लास डेब्यू किया था और दूसरी पारी में नंबर 3 पर बल्लेबाजी करते हुए 61 रन बनाए थे। इसके बाद उन्होंने लगातार 56, 42 और 59 रन की पारियां खेलीं। फिर गुजरात के खिलाफ अपने घरेलू मैदान नागपुर में 115 रनों की पारी खेलकर अपना पहला फर्स्ट क्लास शतक जड़ा।
नॉकआउट स्टेज में मालेवर का प्रदर्शन और भी निखर कर आया। उन्होंने क्वार्टरफाइनल में तमिलनाडु के खिलाफ 75 रन बनाए। सेमीफाइनल में मुंबई के खिलाफ 79 और 29 रनों की अहम पारियां खेलीं। अब फाइनल में फिर से शानदार शतक ठोककर विदर्भ के लिए मजबूत नींव रख दी।
पिता का सपना पूरा कर रहे हैं दानिश मालेवर
दानिश मालेवर के पिता विष्णु मालेवर खुद क्रिकेट के बड़े फैन रहे हैं। उन्होंने शादी से पहले ही ठान लिया था कि अगर बेटा हुआ तो उसे क्रिकेटर बनाएंगे। हालांकि, निचले मध्यम वर्गीय परिवार से होने के कारण यह सफर आसान नहीं था।
मालेवर बताते हैं, “पापा हमेशा चाहते थे कि मैं क्रिकेटर बनूं, इसलिए सात साल की उम्र में ही उन्होंने मुझे अकादमी में डाल दिया था। परिवार की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी, लेकिन उन्होंने कभी मेरी क्रिकेट की जरूरतों में कमी नहीं आने दी। जब मैं जूनियर क्रिकेट में रन बनाता था, तो कुछ लोग मुझे बैट, पैड्स और ग्लव्स गिफ्ट में दे देते थे। अंडर-19 के बाद ही क्रिकेट से पैसे आने लगे।”
दानिश मालेवर इस समय विदर्भ क्रिकेट के सबसे उभरते हुए सितारों में से एक हैं। उन्होंने अपने पहले ही रणजी सीजन में बेहतरीन प्रदर्शन कर यह साबित कर दिया है कि वह भविष्य में टीम इंडिया के लिए खेलने की काबिलियत रखते हैं। रणजी ट्रॉफी 2025 के फाइनल में उनका यह शानदार शतक निश्चित रूप से विदर्भ के लिए ऐतिहासिक साबित हो सकता है।
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