Paris Olympics: बचपन में पिता को खोने के बाद माँ के संघर्षों ने बनाया पहलवान, जानिए विनेश फोगाट की दर्द भरी कहानी  

पेरिस ओलंपिक के फाइनल में विनेश फोगाट को बाहर का रास्ता देखना पड़ा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि विनेश का बचपन कितनी मुश्किलों में बीता है।

Mother’s Struggles Made Her a Wrestler After Losing Her Father in Childhood, Know the Painful Story of Vinesh Phogat

भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट अब गोल्ड मेडल जीतने की रेस से बाहर हो गई हैं।  लेकिन क्या आप जानते हैं कि विनेश का बचपन कितनी मुश्किलों में बीता है।  

पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट ने फाइनल में पहुंचकर इतिहास रच दिया था, लेकिन दुर्भाग्य से वह ओलंपिक से बाहर हो गई। अब विनेश अपने ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतने से एक कदम दूर थीं लेकिन दुर्भाग्य से वह फाइनल में डिसक्वालीफाई हो गई। विनेश ने पेरिस ओलंपिक के 11वें दिन तीन पहलवानों को पटखनी दी थी।

 

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सेमीफाइनल में क्यूबा की पहलवान को हराकर फाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली थी। सेमीफाइनल में अपनी जीत दर्ज करने के बाद विनेश को अपनी माँ से वीडियो कॉल पर बातचीत करते हुए देखा गया था। इस दौरान विनेश को अपनी माँ से वादा करते हुए सुना गया कि गोल्ड आना है गोल्ड। वहीं विनेश फोगाट का बचपन बहुत ही परेशानियों से भरा रहा हुआ था।

कौन हैं विनेश फोगाट

Mother's Struggles Made Her a Wrestler After Losing Her Father in Childhood, Know the Painful Story of Vinesh Phogat
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विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) एक भारतीय पहलवान हैं। वें हरियाणा के चरखी दादरी जिले से आती हैं, एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली विनेश फोगाट पहली महिला पहलवान हैं। वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर विनेश टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली पहलवान बनी थी। 

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विनेश ने सुनाई बचपन की दर्द भरी कहानी

“विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि, उनकी माँ 32 साल की उम्र में ही विधवा हो गई थी। मै तब सिर्फ 9 साल की थी जब मेरे पिता जी का देहांत हुआ था। उस समय मेरी माँ को समाज वाले भी बहुत ताना मारते थे कि ये कैसे अपने बच्चों को बड़ा करेगी और भी बहुत कुछ मेरी माँ को सुनना पड़ता था”।

“मुझे यह सब देखकर बहुत तकलीफ होती थी। मेरी माँ ने बहुत ही संघर्ष किया है माँ के संघर्ष के बीच हम कब इतने बड़े हो गए पता ही नही चला। पिता की मौत से पहले मेरी माँ कभी भी अपने घर से भी बाहर नही निकली थी, उनको उस समय बाहर की दुनिया के बारे में कुछ भी नही पता था”। 

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विनेश ने बताया मां को था कैंसर:

 विनेश कहती हैं कि जिस समय मेरी माँ को कैंसर था तो उनको कीमोथेरेपी के लिए रोहतक जाना पड़ता था। उनको यह भी पता था कि कहां बैठना है और कहां उतरना है।

उस वक्त मेरी माँ का किसी ने भी साथ नही दिया था हमने अपनी माँ को संघर्ष करते हुए देखा है जिससे हमें काफी हौसला मिलता है कि अगर एक अकेली अनपढ़ महिला अकेले दम पर पूरे समाज से लड़कर हमें पहलवान बना सकती है तो हम क्यों ऐसा नही कर सकते। 

अवार्ड्स

भारत सरकार ने विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) को साल 2016 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया था, जो एथलीटों को दिया जाने वाला सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है। जब जनवरी 2020 में जारी नागरिक पुरस्कारों की सूची में उनका नाम शामिल नही किया गया तो फोगाट ने सरकारी पुरस्कार चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाए। 

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Vinesh Phogat: विनेश द्वारा जीते गए पदक

  • स्वर्ण: 2018 एशियाई खेल, जकार्ता 50 किलो ग्राम भार वर्ग
  • स्वर्ण: 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स, गोल्ड कोस्ट 50 किलो ग्राम भार वर्ग
  • स्वर्ण: 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स, ग्लासगो 48 किलो ग्राम भार वर्ग
  • रजत: 2018 एशियाई चैंपियनशिप, बिश्केक 50 किलोग्राम
  • रजत:  2018 एशियाई चैंपियनशिप, बिश्केक 50 किलोग्राम
  • रजत: 2015 एशियाई चैंपियनशिप, दोहा 48 किलो ग्राम भार वर्ग
  • रजत: 2013 राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप, जोहान्सबर्ग 51 किलो ग्राम भार वर्ग
  • कांस्य: 2020 एशियाई चैम्पियनशिप, नई दिल्ली 53 किलो ग्राम भार वर्ग
  • कांस्य: 2019 विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप कज़ाकिस्तान 53 किलो ग्राम भार वर्ग
  • कांस्य: 2019 एशियाई चैम्पियनशिप, शीआन 53 किलो ग्राम भार वर्ग
  • कांस्य: 2016 एशियाई चैम्पियनशिप, बैंकॉक 53 किलो ग्राम भार वर्ग
  • कांस्य: 2014 एशियाई खेल, इंचियोन 48 किलो ग्राम भार वर्ग
  • कांस्य: 2013 एशियाई चैम्पियनशिप, नई दिल्ली 51 किलो ग्राम भार वर्ग

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