ISSF World Cup 2025: पेरू की राजधानी लीमा में आयोजित ISSF वर्ल्ड कप 2025 में भारतीय निशानेबाजों ने धमाकेदार प्रदर्शन किया। महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में 18 साल की युवा शूटर सुरुचि सिंह ने स्वर्ण पदक जीता, जबकि दिग्गज खिलाड़ी मनु भाकर को रजत पदक से संतोष करना पड़ा।
243.6 के स्कोर से मारी बाज़ी

फाइनल मुकाबले में सुरुचि सिंह ने 243.6 का जबरदस्त स्कोर किया और ओलंपियन मनु भाकर को पीछे छोड़ दिया। मनु भाकर ने 242.3 का स्कोर किया और सिल्वर मेडल अपने नाम किया। वहीं, चीन की याओ कियानक्सुन ने 219.5 के स्कोर के साथ कांस्य पदक जीता।
मिक्स्ड इवेंट में भी गोल्डन शूटिंग
इसके अगले ही दिन सुरुचि सिंह ने सौरभ चौधरी के साथ मिलकर मिक्स्ड एयर पिस्टल स्पर्धा में भी भारत को गोल्ड दिलाया। इस जोड़ी ने चीन के याओ कियानक्सुन और हू काई को 17-9 के अंतर से हराकर मुकाबला अपने नाम किया। इस जीत के साथ सुरुचि के नाम अब तीन वर्ल्ड कप गोल्ड मेडल हो चुके हैं, दो व्यक्तिगत और एक मिक्स्ड इवेंट में।
ब्यूनस आयर्स से लेकर लीमा तक सुनहरा सफर
इससे पहले सुरुचि सिंह ने पिछले सप्ताह ब्यूनस आयर्स में भी गोल्ड मेडल जीता था, जहां उन्होंने 244.6 का स्कोर किया था। वो उनका पहला इंटरनेशनल पोडियम फिनिश था। अब लीमा में लगातार दो इवेंट में गोल्ड जीतकर उन्होंने साबित कर दिया है कि वो सिर्फ उभरती नहीं, चमकती हुई स्टार हैं।
मनु भाकर ने की तारीफ
सिर्फ दर्शकों ने ही नहीं, बल्कि खुद मनु भाकर ने भी सुरुचि के प्रदर्शन की तारीफ की। उन्होंने कहा, “सुरुचि ने बहुत बेहतरीन प्रदर्शन किया। इस उम्र में इतना धैर्य और आत्मविश्वास देखना बेहद प्रेरणादायक है। भारतीय शूटिंग का भविष्य उज्ज्वल है।”
कौन हैं सुरुचि सिंह?
हरियाणा के भिवानी की रहने वाली सुरुचि सिंह ने शुरुआत में कुश्ती में करियर बनाने की कोशिश की थी। लेकिन किस्मत उन्हें गुरु द्रोणाचार्य शूटिंग अकैडमी ले आई, जहां कोच सुरेश सिंह की देखरेख में उन्होंने शूटिंग की बारीकियां सीखीं।
आज वो भारत की उन गिनी-चुनी युवा निशानेबाजों में हैं जिन्होंने इतनी कम उम्र में इंटरनेशनल लेवल पर तीन गोल्ड अपने नाम किए हैं। उनका फोकस, आत्मविश्वास और प्रदर्शन भारत को भविष्य में ओलंपिक मेडल दिला सकता है।
शूटिंग में भारत को मिली नई स्टार
सुरुचि सिंह अब सिर्फ एक युवा शूटर नहीं, बल्कि भारतीय शूटिंग की नई स्टार बन चुकी हैं। जिस तरह उन्होंने बड़े मंचों पर परिपक्वता दिखाई है, वो काबिल-ए-तारीफ है। आने वाले सालों में ओलंपिक जैसे बड़े मंचों पर उनसे गोल्ड की उम्मीद करना कोई सपना नहीं रहेगा।
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