IPL 2025 में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) ने जिस उम्मीद के साथ घरेलू मैदान पर कदम रखा था, वह लगातार तीन हारों के बाद निराशा में बदल गया है। टीम की रणनीति, बल्लेबाज़ी का रवैया और स्थितियों को एडजस्ट ना कर पाने की कमी तीनों ने मिलकर एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम को उनके लिए एक दुश्मन सा बना दिया है।
पंजाब किंग्स (PBKS) के खिलाफ हालिया मैच की शुरुआत में विराट कोहली की स्लिप पर दी गई इशारों वाली सलाह एक रणनीतिक मास्टरप्लान जैसी दिखी। लेकिन उसका रिजल्ट भी टीम के हाल की तरह अधूरा ही रहा। गेंदबाज़ों की अच्छी लाइन-लेंथ के बावजूद कैच गिरा और RCB की गिरती कहानी जारी रही।
RCB की बॉलिंग स्ट्रेटजी पुरानी, नुकसान फिर से वही
RCB की बॉलिंग स्ट्रेटजी मिड-ऑन और मिडविकेट को अंदर रखकर स्क्वायर के आगे का क्षेत्र खाली छोड़ना और बल्लेबाज़ों को पुल और कट जैसे शॉट्स के लिए उकसाना विरोधियों के लिए नहीं, खुद RCB के लिए नुकसानदेह साबित हो रही है। दिल्ली कैपिटल्स और अब पंजाब किंग्स के खिलाफ, विरोधी टीमों ने इसी रणनीति को RCB के खिलाफ इस्तेमाल किया और टीम की कमजोरी को उजागर कर दिया।
दिल्ली कैपिटल्स (DC) के खिलाफ पिछली घरेलू भिड़ंत में 27 बैक-ऑफ-गुड-लेंथ डिलीवरी सिर्फ 26 रन देकर दो विकेट ले गईं। फिर भी पंजाब के खिलाफ RCB के बल्लेबाज़ वही गलती दोहराते नज़र आए। अर्शदीप सिंह ने फिल सॉल्ट को स्विंग पर फंसाया, फिर कोहली को मिड-ऑन पर कैच कराया। ज़ेवियर बार्टलेट के खिलाफ लिविंगस्टोन और क्रुणाल पांड्या ने भी पुल खेलने की कोशिश की और आउट हो गए।
गिरता स्कोर, बढ़ती उलझन
पंजाब किंग्स के तेज गेंदबाजों ने 47 गेंदें गुड लेंथ या बैक-ऑफ-गुड लेंथ पर फेंकी, जिनसे सिर्फ 50 रन बने और पांच विकेट गिरे। सातवें ओवर की शुरुआत तक स्कोर 33/5 हो चुका था। टीम एक बार फिर पावरप्ले के बाद ही मैच से बाहर हो गई।
जोश हेज़लवुड ने बाद में इस विकेट के बारे में कहा कि यह अब पहले जैसा नहीं रहा। अब छह से आठ मीटर की लेंथ पर अगर गेंदबाज़ी की जाए तो बल्लेबाज़ों के लिए रन बनाना मुश्किल हो जाता है। RCB की परेशानी भी यहीं शुरू होती है, उनका आक्रामक बल्लेबाज़ी रवैया इस सतह पर फिट नहीं बैठ रहा।
कहां पिछड़ रही है RCB?
RCB को अक्सर यह आलोचना झेलनी पड़ी थी कि उन्होंने अपने बल्लेबाज़ों को पूरा मौका नहीं दिया। लेकिन इस बार जब टीम ने पूरी आक्रमकता से बल्लेबाज़ी की योजना बनाई, तो हालातों ने उनकी चाल उलटी कर दी। बल्लेबाज़ी में संयम और हालात के हिसाब से ढलना अब ज़रूरी हो गया है।
KL राहुल की चेज़िंग में दिखाई गई सोच (धीमी शुरुआत और फिर तेज़ी) या फिर टिम डेविड का हारप्रीत बराड़ के खिलाफ 21 रन वाला ओवर यह दिखाता है कि रन मिल सकते हैं, बशर्ते सही समय और गेंदबाज़ चुना जाए।
RCB के विपरीत, टीम के स्पिन हिटर माने जाने वाले रजत पाटीदार भी दो बार स्पिन के खिलाफ आउट हुए, जबकि पिच पर असली चुनौती तेज़ गेंदबाज़ों से थी। और सबसे मज़ेदार विडंबना यह रही कि मैच समाप्त करने वाला आखिरी शॉट (एक क्रॉस बैटेड हिट) मार्कस स्टोइनिस ने लगाया, वही शॉट जो RCB के लिए बार-बार मुसीबत बना है।
अभी भी बाकी है उम्मीद
RCB अब तक अपने तीन घरेलू मुकाबले हार चुकी है और यह हारें मामूली नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से गंभीर संकेत देने वाली रही हैं। टीम के डायरेक्टर ऑफ क्रिकेट मो. बोबट ने कहा भी है कि घर के मैदान में जीत के लिए एक्स्ट्रा पॉइंट्स नहीं मिलते, लेकिन हार से दबाव ज़रूर बढ़ता है।
अच्छी बात ये है कि टीम के पास अभी चार और घरेलू मुकाबले बाकी हैं, जिनमें तीन आखिरी मैच होंगे। अगर टीम को प्लेऑफ़ की दौड़ में बने रहना है, तो उसे चिन्नास्वामी में अब जीत दर्ज करनी ही होगी। वरना उनके हाथ सिर्फ पछतावा और ‘अगर ऐसा होता’ वाली सोच ही लगेगी।
स्पोर्ट्स से जुड़ी ताजा खबरों के लिए Sports Digest Hindi के साथ जुड़े रहें और हमें यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम, और ट्विटर (X) पर भी फॉलो करें।