Women’s Cricket Journey on International Women’s Day 2025: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं की उपलब्धियों को सम्मान और उन्हें हर क्षेत्र में समानता और बढ़ावा देने के प्रयास को आगे बढ़ाने का दिन है। हालांकि, बीते कुछ दशकों में खेल जगत में पुरुषों की तरह महिलाओं की भी भागीदारी तेजी से बढ़ी है। खासकर क्रिकेट जैसे पुरुष प्रधान खेल में महिलाओं ने अपनी अलग पहचान बनाई है। महिला क्रिकेट ने अपने सफर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन आज यह खेल पूरी दुनिया में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।
महिला क्रिकेट की शुरुआत भले ही धीमी और कठिन रही हो, लेकिन खिलाड़ियों की मेहनत और जुनून ने इसे एक नई दिशा दी है। बीते कुछ वर्षों में महिला क्रिकेट ने ना सिर्फ लोकप्रियता हासिल की है, बल्कि खेल के स्तर को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। आज महिला क्रिकेट कई मामलों में पुरुष क्रिकेट के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है।
महिला क्रिकेट का इतिहास
महिला क्रिकेट का इतिहास पुरुष क्रिकेट की तुलना में काफी नया है। महिलाओं के बीच पहला क्रिकेट मैच 26 जुलाई 1745 को रीडिंग मर्करी में खेला गया था। यह मैच ब्रैमली की ग्यारह नौकरानियों और हैम्बल्डन की ग्यारह नौकरानियों के बीच खेला गया था, उस मैच में सभी ने सफ़ेद कपड़े पहने हुए थे। इसके अलावा, पहला महिला क्रिकेट क्लब ‘व्हाइट हीथर क्लब’ 1887 में यॉर्कशायर में बनाया गया था।
हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महिला क्रिकेट की शुरुआत 1934 में हुई थी, जब इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहला महिला टेस्ट मैच खेला गया था। इसके अलावा, 1973 में इंग्लैंड में पहली बार महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप का आयोजन हुआ था। यह टूर्नामेंट पुरुषों के वर्ल्ड कप से भी पहले हुआ था, जो महिला क्रिकेट के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था। हालांकि, इसके बावजूद महिला क्रिकेट को उस स्तर की पहचान नहीं मिली, जिसकी वह हकदार थी।
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की शुरुआत
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की शुरुआत 1976 में हुई थी, जब भारत ने वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच खेला था। शुरुआती वर्षों में उन्हें उतना ज्यादा समर्थन नहीं मिला, लेकिन इतिहास में कई खिलाड़ियों की मेहनत ने टीम को आगे बढ़ाया।
1982 में भारतीय टीम ने अपना पहला वनडे वर्ल्ड कप खेला। इसके बाद धीरे-धीरे भारतीय टीम ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनानी शुरू की। मिताली राज और झूलन गोस्वामी जैसी खिलाड़ियों ने भारतीय महिला क्रिकेट को एक नई दिशा दी।
भारतीय महिला क्रिकेट की ऐतिहासिक उपलब्धियां

भारतीय महिला क्रिकेट ने बीते कुछ सालों में कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं। भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने 2005 और 2017 के वर्ल्ड कप में फाइनल तक का सफर भी तय किया था। हालांकि, वह दोनों बार खिताब जीतने से चूक गई थीं।
हरमनप्रीत कौर की 2017 के वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 171 रनों की पारी आज भी महिला क्रिकेट इतिहास की सबसे यादगार पारियों में गिनी जाती है। इसके अलावा, स्मृति मंधाना ने 2023 में 50 से अधिक की औसत से रन बनाकर और 2024 में रिकॉर्ड चार वनडे शतक लगाकर भारतीय टीम को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
महिला क्रिकेट में टी20 लीग्स का प्रभाव

महिला टी20 क्रिकेट लीग्स ने महिला खिलाड़ियों को एक नया मंच दिया है। 2023 में भारत में वीमेंस प्रीमियर लीग (WPL) की शुरुआत हुई थी, जिसमें भारतीय और विदेशी खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया। इस लीग ने महिला क्रिकेट को नई पहचान दिलाई और इसकी लोकप्रियता दिन-प्रतिदिन बढ़ती चली जा रही है। 2025 में इसका तीसरा सीजन खेला जा रहा है, जिसमें एक से बढ़कर एक मुकाबले खेले जा रहे हैं।
इसके अलावा, बिग बैश लीग (WBBL) और द हंड्रेड वीमेंस टूर्नामेंट जैसी लीग्स ने महिला क्रिकेट को चर्चित बनाने और आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। इन लीग्स के जरिए महिला खिलाड़ियों को अपने हुनर को दिखाने का मौका मिला है और साथ ही साथ युवा खिलाड़ियों को आगे बढ़ने का एक मंच प्रदान किया है।
दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है महिला खिलाड़ियों की लोकप्रियता
भारतीय महिला क्रिकेट में कुछ खिलाड़ियों ने अपनी अलग पहचान बनाई है। स्मृति मंधाना, हरमनप्रीत कौर, शेफाली वर्मा, दीप्ति शर्मा और जेमिमा रोड्रिग्स जैसी खिलाड़ी अब घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुकी हैं।
इसके अलावा, एलिसा हीली, एलिस पेरी, नैट सिवर-ब्रन्ट, बेथ मूनी और मेग लैनिंग जैसी विदेशी खिलाड़ी भी महिला क्रिकेट के सुपरस्टार बन चुकी हैं। इन खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन ने महिला क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।
महिला क्रिकेट में आर्थिक बदलाव
महिला क्रिकेट में आर्थिक स्थिति भी अब बदल रही है। पहले महिला खिलाड़ियों को पुरुष खिलाड़ियों की तुलना में काफी कम भुगतान किया जाता था, लेकिन अब कई देशों के क्रिकेट बोर्ड्स ने समान वेतन नीति भी लागू की है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने भी 2022 में घोषणा की थी कि महिला और पुरुष क्रिकेटरों को समान मैच फीस दी जाएगी। यह कदम महिला क्रिकेट के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
अभी भी बाकी हैं कुछ चुनौतियां
महिला क्रिकेट ने पिछले कुछ सालों में भले ही प्रगति की हो, लेकिन कई चुनौतियां अभी भी बाकी हैं। कई देशों में महिला क्रिकेट को उतना समर्थन नहीं मिलता है, जितना पुरुष क्रिकेट को मिलता है। इसके अलावा, कई देशों में महिला खिलाड़ियों को उचित सुविधाएं और इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं मिलता है। महिला क्रिकेट को और आगे ले जाने के लिए जरूरी है कि सभी क्रिकेट बोर्ड्स महिला खिलाड़ियों को समान अवसर और सुविधाएं दें।
उदाहरण के रूप में, बीसीसीआई भारतीय महिला टीम के खिलाड़ियों को भले ही पुरुषों के बराबर मैच फीस देती है, लेकिन सालाना कॉन्ट्रैक्ट में मिलने वाली सैलरी में जमीन-आसमान का अंतर है। जहां एक ओर, पुरुष खिलाड़ियों में A+ ग्रेड के खिलाड़ियों की सैलरी 7 करोड़ और A ग्रेड वाले खिलाड़ियों की सैलरी 5 करोड़ रुपये है, तो वहीं दूसरी ओर महिला टीम के लिए A+ जैसा कोई ग्रेड नहीं है और A ग्रेड में शामिल खिलाड़ियों की सैलरी मात्र 1 करोड़ रुपये है।
महिला क्रिकेट का भविष्य
महिला क्रिकेट का भविष्य उज्ज्वल नजर आ रहा है। आईसीसी महिला टी20 वर्ल्ड कप 2026 का आयोजन भारत में होगा, जिससे महिला क्रिकेट को और लोकप्रियता मिलेगी। इसके अलावा, महिला क्रिकेट लीग्स की संख्या भी बढ़ रही है। इससे युवा खिलाड़ियों को आगे आने का मौका मिलेगा। आने वाले वर्षों में महिला क्रिकेट में और अधिक प्रतिभाशाली खिलाड़ी देखने को मिल सकती हैं।
इसीलिए, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महिला क्रिकेट की उपलब्धियों को सेलिब्रेट करना जरूरी है। महिला खिलाड़ियों ने अपनी मेहनत, काबिलियत और संघर्ष से इस खेल को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।
महिला क्रिकेट का सफर भले ही चुनौतियों से भरा रहा हो, लेकिन खिलाड़ियों के जुनून और कड़ी मेहनत ने इसे सफलता की नई राह पर पहुंचाया है। आने वाले वर्षों में महिला क्रिकेट का प्रभाव और भी बढ़ेगा और यह खेल दुनिया भर में अपनी अलग पहचान बनाएगा।
स्पोर्ट्स से जुड़ी ताजा खबरों के लिए Sports Digest Hindi के साथ जुड़े रहें और हमें यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम, और ट्विटर (X) पर भी फॉलो करें।