Arati Saha: ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली सबसे युवा भारतीय खिलाड़ी, जिसने बाद में रचा इतिहास
आरती साहा ओलंपिक इतिहास में भारत की अब तक की सबसे युवा खिलाड़ी रहीं हैं।
Arati Saha: The youngest Indian player to participate in the Olympics, who later created history
भारत साल 1900 से ही लगातार समर ओलंपिक में हिस्सा ले रहा है। तब से लेकर कई युवा खिलाड़ियों ने अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी अलग छाप छोड़ी है। अभिनव बिंद्रा से लेकर मनु भाकर तक कई युवा खिलाड़ियों ने भारत के लिए अलग-अलग मेडल भी जीते हैं। लेकिन क्या आप ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली सबसे युवा भारतीय खिलाड़ी आरती साहा (Arati Saha) के बारे में जानते हैं?
दिवंगत भारतीय महिला तैराक आरती साहा (Arati Saha) ने तैराकी में भारत का नाम काफी ऊँचा किया था। उनकी इस उपलब्धि के चलते भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था। उन्होंने अपने करियर में कई बड़े रिकॉर्ड भी बनाए, जिसके बारे में जानकार सभी भारतीयों का सिर गर्व से ऊँचा हो जाएगा।
कौन थीं आरती साहा? | Who Was Arati Saha?
आरती साहा (Arati Saha) ओलंपिक इतिहास में भारत के लिए खेलने वाली सबसे युवा भारतीय खिलाड़ी रहीं हैं और आज तक उनके इस रिकॉर्ड को कोई भी भारतीय नहीं तोड़ सका है। साहा ने 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में भारत की ओर से डॉली नजीर के साथ तैराकी में हिस्सा लिया था। उस समय आरती की उम्र मात्र 11 वर्ष 10 महीने थी।
बता दें कि, आरती साहा (Arati Saha) का जन्म 24 सितम्बर 1940 को कोलकाता में हुआ था। उनके पिता पंचगोपाल साहा ब्रिटिश इंडियन आर्मी में थे, जबकि माँ का निधन उनके जन्म के ढाई साल बाद हो गया था। आरती का पालन-पोषण उनके ननिहाल में हुआ था। जब वह चार साल की उम्र की थीं, तो वह अपने मामा के साथ नहाने के लिए चंपताला घाट में जाया करती थीं, जहाँ उन्होंने तैरना भी सीखा।
जब आरती के पिता को तैराकी में उनकी रुचि के बारे में पता चला तो उन्होंने हाटखोला तैराकी क्लब में उनका एडमिशन करवा दिया। उन्होंने साल 1946 में मात्र पाँच साल की उम्र में शैलेंद्र मेमोरियल तैराकी प्रतियोगिता में 110 गज फ़्रीस्टाइल में गोल्ड मेडल जीता। यहीं से उनकी तैराकी यात्रा की असली शुरुआत हुई।
उन्होंने उसके बाद से कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और 1945 से लेकर 1951 तक कई स्टेट लेवल प्रतियोगिताएँ जीती। वह उस समय देश में सिर्फ डॉली नजीर से ही पीछे थीं, लेकिन 1951 के वेस्ट बंगाल स्टेट मीट में उन्होंने 1 मिनट 37.6 सेकंड में 100 मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक इवेंट में नजीर का आल-इंडिया रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। उसी मीट में उन्होंने 100 मीटर और 200 मीटर फ्रीस्टाइल और 100 मीटर बैकस्ट्रोक में नया स्टेट-लेवल रिकॉर्ड भी बनाया।
1952 में आरती ने ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया, जहाँ उनके साथ डॉली नजीर ने भी हिस्सा लिया था। उस ओलंपिक में सिर्फ चार महिलाओं ने हिस्सा लिया था, जिसमे से दो तैराकी में थीं। हालाँकि, ओलंपिक में उनके हाथ कोई सफलता नहीं लगी। उस ओलंपिक में भारत ने सिर्फ दो मेडल जीते थे, जिसमे से एक मेडल (गोल्ड) हॉकी टीम और एक मेडल (ब्रॉन्ज) केडी जाधव द्वारा जीता गया था।
इंग्लिश चैनल पार करने वाली पहली एशियाई महिला बनीं थीं आरती साहा
बता दें कि, आरती साहा (Arati Saha) लम्बी दूसरी की तैराकी प्रतियोगिताएं में हिस्सा लिया करती थी। बाद में उन्हें बांग्लादेश के ब्रोजेन दास से इंग्लिश चैनल पार करने की प्रेरणा मिली, जो 1958 के बटलिन इंटरनेशनल क्रॉस चैनल स्विमिंग रेस में पहले स्थान पर आए थे और यह उपलब्धि हासिल करने वाले पहले एशियाई बने थे।
1958 में संयुक्त राज्य अमेरिका की डेनिश मूल की महिला तैराक ग्रेटा एंडरसन जो बटलिन इंटरनेशनल क्रॉस चैनल स्विमिंग रेस में महिलाओं और पुरुषों में पहले स्थान पर थीं, ने अगले साल यानी 1959 के इवेंट के लिए आयोजकों के सामने आरती का नाम प्रस्तावित किया था। इसके बाद हटखोला स्विमिंग क्लब के मैनजर ने उनके लिए फंड जुटाना शुरू किया और तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भी इसमें रुचि दिखाई थी।
24 जुलाई 1959 को वह अपने मैनेजर डॉ. अरुण गुप्ता के साथ इंग्लैंड के लिए रवाना हुईं। वहाँ उन्हें डॉ. बिमल चंद्रा का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ, जो खुद 1959 बटलिन इंटरनेशनल क्रॉस चैनल स्विमिंग रेस में भी भाग ले रहे थे। उस प्रतियोगिता में 23 देशों की पाँच महिलाओं सहित कुल 58 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
यह रेस 27 अगस्त 1959 को स्थानीय समयानुसार रात 1 बजे केप ग्रिस नेज़ , फ्रांस से सैंडगेट , इंग्लैंड तक निर्धारित की गई थी। हालाँकि, आरती साहा की पायलट बोट समय पर नहीं पहुँची। सुबह 11 बजे तक, वह 40 मील से अधिक तैर चुकी थी और इंग्लैंड के तट से 5 मील के अंदर भी आ गई थी। हालाँकि, इस हार के बावजूद वह दूसरे प्रयास के लिए तैयार हुईं।
29 सितंबर 1959 को उन्होंने अपना दूसरा प्रयास किया। फ्रांस के केप ग्रिस नेज़ से शुरू करते हुए , उन्होंने 16 घंटे और 20 मिनट तक कठिन लहरों से जूझते हुए तैराकी की और इंग्लैंड के सैंडगेट तक पहुँचने के लिए 42 मील की दूरी तय की। इंग्लैंड के तट पर पहुँचकर, उन्होंने भारतीय ध्वज फहराया। इसी के साथ वह इंग्लिश चैनल पार करने वाली पहली एशियाई महिला बन गईं।
आरती साहा को मिले ये सम्मान
इंग्लिश चैनल पार करने की बड़ी उपलब्धि हासिल करने के बाद भारत सरकार द्वारा 1960 में आरती साहा (Arati Saha) को देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। वह यह पुरस्कार पाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी थीं। साल 1999 में, डाक विभाग ने ₹3 की कीमत का उनका एक डाक टिकट भी। साल 2020 में उनके 80वीं जन्म जयंती पर उन्हें गूगल डूडल के रूप में दिखाया गया।