BFI: भारतीय मुक्केबाजी महासंघ के अध्यक्ष अजय सिंह को हाईकोर्ट ने झटका दिया है। क्यूंकि इस बीच हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति मिनी पुष्करना ने दिल्ली एमेच्योर मुक्केबाजी संघ की याचिका पर सुनवाई करते हुए अपना आदेश दिया है कि इस समय भारतीय मुक्केबाजी महासंघ द्वारा 7 मार्च के परिपत्र के क्रियान्वयन पर हम रोक लगाते है।
हाईकोर्ट ने लगाई बीएफआई के आदेश पर रोक :-
दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय मुक्केबाजी महासंघ के उस आदेश पर रोक लगा दी है। जिसमें कहा गया था कि उसके संबद्ध राज्य इकाइयों के केवल निर्वाचित सदस्य ही आगामी चुनावों में अपने-अपने राज्यों का प्रतिनिधित्व कर सकेंगे।

इस बीच हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति मिनी पुष्करना ने दिल्ली एमेच्योर मुक्केबाजी संघ की याचिका पर सुनवाई की है। इस दौरान उन्होंने अपना आदेश दिया है कि भारतीय मुक्केबाजी महासंघ द्वारा 7 मार्च के परिपत्र के क्रियान्वयन पर हम रोक लगाते हैं। इसके अलावा हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि चुनाव की प्रक्रिया परिणामों की घोषणा के साथ जारी रहेगी।

लेकिन उनकी यह याचिका उसके निर्णय के अधीन है। इसके आगे भी हाई कोर्ट ने कहा है कि यह स्पष्ट किया जाता है कि चुनाव प्रक्रिया 7 मार्च के परिपत्र के प्रभाव और संचालन से अलग जारी रहेगी। ये चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे, जो वर्तमान याचिका के परिणाम के अधीन होंगे।

तभी तो अब दिल्ली हाई कोर्ट ने मुक्केबाजी अध्यक्ष अजय सिंह के आदेश को खारिज कर दिया है। इसमें उनके एक आदेश के कारण कुछ प्रत्याशियों को निर्वाचन मंडल में प्रवेश करने से रोका गया था। लेकिन अब उनके लिए रास्ता साफ हो गया है।
इस समय भारतीय मुक्केबाजी महासंघ के चल रहे चुनावों के संदर्भ में कहा जा रहा है कि अध्यक्ष अजय सिंह ने कार्यकारी बोर्ड से परामर्श किए बिना चुनावों की देखरेख के लिए अपनी पसंद के एक निर्वाचन अधिकारी को नियुक्त किया है। इसके बाद फिर 4 मार्च को चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद 7 मार्च को एक आदेश निकाल दिया।

जिसके चलते हुए राज्यों के कुछ प्रत्याशियों के निर्वाचन मंडल में प्रवेश पर रोक लग गई थी। इस बीच आरोप यह लगे हैं कि चुनाव प्रक्रिया में मनमाने निर्णय लिए जा रहे थे। जिस पर माननीय दिल्ली हाई कोर्ट ने अब काफी कड़ा रुख अपनाया है। इसके चलते हुए हाई कोर्ट ने बीएफआई अध्यक्ष के अवैध आदेश को खारिज कर दिया है।इस आदेश के खारिज हो जाने के बाद अब सभी को इसमें निष्पक्ष भागीदारी की अनुमति मिलेगी।

तभी तो हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा है कि बीएफआई अध्यक्ष का कदम उनकी सुविधा के आधार पर था। क्यूंकि साल 2016 के चुनावों के दौरान उनका अपना नाम उत्तराखंड बॉक्सिंग एसोसिएशन के प्रतिनिधि के रूप में निर्वाचक मंडल में शामिल किया गया था। तब वह एसोसिएशन के निर्वाचित सदस्य नहीं थे। उस समय केवल नामांकन के आधार पर ऐसा किया गया था। तभी तो हाईकोर्ट के इस निर्णय पर इस समय सभी खिलाड़ियों व खेल प्रशासकों ने अपनी खुशी जताई है।
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