बॉलीवुड अभिनेत्री और पंजाब किंग्स (PBKS) की सहमालिक प्रीति जिंटा ने एक बार फिर कंपनी के सह-डायरेक्टर्स मोहित बर्मन और नेस वाडिया के खिलाफ चंडीगढ़ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। यह मामला पंजाब किंग्स आईपीएल टीम की मालिकाना कंपनी ‘KPH ड्रीम क्रिकेट प्राइवेट लिमिटेड’ के भीतर चल रहे मतभेदों से जुड़ा है, जिसमें प्रीति जिंटा के पास 23 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
प्रीति ने अपनी याचिका में कोर्ट से अपील की है कि 21 अप्रैल को हुई कंपनी की असाधारण आम बैठक (EGM) को अवैध और अमान्य घोषित किया जाए। उनका आरोप है कि यह बैठक मोहित बर्मन द्वारा नेस वाडिया की सहमति से बुलाई गई, जो कंपनी अधिनियम, 2013 और ‘सीक्रेटेरियल स्टैंडर्ड ऑन जनरल मीटिंग्स’ के नियमों के खिलाफ है।
EGM में नियमों की अनदेखी का आरोप
प्रीति जिंटा के मुताबिक उन्होंने पहले ही 10 अप्रैल को ईमेल के जरिए इस बैठक को लेकर आपत्ति जताई थी, लेकिन इसके बावजूद बर्मन ने कंपनी के रजिस्टर्ड ऑफिस में EGM का आयोजन कर लिया। इस बैठक में प्रीति खुद भी शामिल हुई थीं और उनके साथ डायरेक्टर करण पॉल भी मौजूद थे।
बैठक की शुरुआत में ही यह मुद्दा उठा कि अध्यक्ष (चेयरपर्सन) की नियुक्ति नहीं की गई थी। प्रीति और करण पॉल ने कंपनी अधिनियम के अनुसार सुझाव दिया कि या तो करण पॉल या फिर खुद प्रीति जिंटा को बैठक की अध्यक्षता सौंपी जाए। लेकिन जब नेस वाडिया को अध्यक्ष नियुक्त करने की कोशिश की गई तो वोट बराबर हो गए।
इसके बावजूद, प्रीति के विरोध के बावजूद, बर्मन और वाडिया ने EGM को बंद किए बिना आगे बढ़ाया और मुनीश खन्ना को कंपनी का अतिरिक्त नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर नियुक्त कर दिया। प्रीति ने इसे पूरी तरह से गैरकानूनी बताया और कहा कि यह न केवल कंपनी अधिनियम का उल्लंघन है, बल्कि कंपनी के आर्टिकल्स के भी खिलाफ है, जो सभी डायरेक्टर्स के लिए बाध्यकारी होते हैं।
कोर्ट से की कई मांगें
प्रीति जिंटा ने कोर्ट से मांग की है कि वह EGM में पारित किसी भी प्रस्ताव को प्रभावी बनाने से कंपनी और दोनों डायरेक्टर्स को रोके, मुनीश खन्ना को डायरेक्टर के रूप में काम करने या खुद को पेश करने से रोका जाए और कंपनी एवं अन्य डायरेक्टर्स को बिना उनकी और करण पॉल की मौजूदगी के किसी भी बोर्ड मीटिंग या जनरल मीटिंग आयोजित करने से रोका जाए।
पहले भी दर्ज की थी याचिका
गौरतलब हो कि, यह पहली बार नहीं है जब प्रीति जिंटा ने कोर्ट का रुख किया हो। इससे पहले उन्होंने मोहित बर्मन को कंपनी में उनकी 11.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने या किसी तीसरे पक्ष को सौंपने से रोकने के लिए भी कोर्ट में याचिका दायर की थी।
अदालत ने भेजा नोटिस
कोर्ट ने इस मामले में सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए उनसे जवाब मांगा है। यह मामला अब कंपनी के भीतर चल रही गंभीर मतभेदों को उजागर करता है, जो आईपीएल फ्रेंचाइज़ी की कार्यप्रणाली पर असर डाल सकता है।
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