IPL 2025 में चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) जैसी बड़ी टीम की शुरुआत उम्मीदों के मुताबिक नहीं रही है। पांच बार की चैंपियन इस सीजन अब तक पावरप्ले में सबसे कम रन बनाने वाली टीम रही है। पावरप्ले में उनका औसत रनरेट महज़ 7.85 रहा है, जबकि पूरे सीजन में यह आंकड़ा 9.55 है। टॉप आर्डर में स्टैबिलिटी की कमी ने पूरे बैटिंग ऑर्डर पर दबाव डाला है और मिडिल ऑर्डर के भरोसेमंद बल्लेबाज़ शिवम दुबे का फीका प्रदर्शन भी टीम की मुश्किलें बढ़ा रहा है।
शिवम दुबे का लगातार गिरता स्ट्राइक रेट और धीमी शुरुआत
IPL 2025 में दुबे का स्ट्राइक रेट 133.72 रहा है, जो पिछले तीन सीजनों की तुलना में साफ तौर पर गिरा है। 2022 से टीम से जुड़े दुबे ने 2023 में 156.22, 2024 में 158.33 और 2022 में 162.30 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए थे। उनकी धीमी शुरुआत इस गिरावट का एक बड़ा कारण है। खासकर, पारी के शुरुआती 10 गेंदों में उनका स्ट्राइक रेट काफी खराब रहा है।
इस सीजन दुबे ने अपनी पहली 10 गेंदों पर सिर्फ 115.58 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं, जिनमें 41.5% डॉट गेंदें रही हैं। जबकि 2023 में यही आंकड़ा 146.56 और 2024 में 144.16 था। तुलना करें तो IPL 2023 और 2024 में सभी मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज़ों (नंबर 3 से 7) का औसत स्ट्राइक रेट शुरुआती 10 गेंदों में 131.62 था।
स्पिन के खिलाफ कम हुआ असर
दुबे को CSK में एक स्पिन-हिटर के तौर पर देखा जाता है, लेकिन इस सीजन वह उस भूमिका में भी फीके नजर आए हैं। 2023 में उनका स्पिन के खिलाफ स्ट्राइक रेट 176.47 और 2024 में 155.35 रहा था। वहीं 2025 में यह गिरकर सिर्फ 114.86 रह गया है। पहले जहां वह हर पांचवीं गेंद पर बाउंड्री लगाते थे, लेकिन अब उन्हें आठ गेंदें लग रही हैं।
ऐसे में मिडिल ओवर्स में चेन्नई की रन गति काफी धीमी हो गई है। मुंबई इंडियंस के खिलाफ हुए हालिया मुकाबले में भी यही देखने को मिला। आयुष म्हात्रे की 15 गेंदों में 32 रन की तेज पारी ने भले पारी को थोड़ा आगे बढ़ाया, लेकिन उनके आउट होते ही रन रुक गए। शेख रशीद ने 20 गेंदों में 100 से कम के स्ट्राइक रेट से बल्लेबाज़ी की और रविंद्र जडेजा को अपनी पहली बाउंड्री लगाने के लिए 14 गेंदें लग गईं।
दुबे की धीमी गति से कैसे हो रही है नुकसान?
मुंबई के खिलाफ मैच में दुबे अपनी पहली 10 गेंदों पर सिर्फ तीन सिंगल ही ले पाए थे। उनका स्ट्राइक रेट 100 के पार तब गया जब वो 20 गेंदें खेल चुके थे। ऐसा नहीं कि ये पहली बार हुआ हो। पिछले साल बैंगलोर में हुए एक अहम मुकाबले में जब टीम को प्लेऑफ की रेस में बने रहने के लिए 10.5 की रन रेट से रन चाहिए थे, तब दुबे को शॉर्ट गेंदों से खूब परेशान किया गया। उस मैच में वो 15 गेंदों में सिर्फ 7 रन बनाकर आउट हुए थे और रन रेट 12 से ऊपर चला गया था।
जीत और हार में दुबे की भूमिका का फर्क
अगर चेन्नई के जीत और हार वाले मुकाबलों की बात करें तो यह फर्क और भी साफ नजर आता है। जीत वाले मैचों में दुबे ने पहली 10 गेंदों में 148.94 के स्ट्राइक रेट और सिर्फ 33.1% डॉट बॉल्स के साथ 283 रन बनाए हैं। वहीं हार वाले मैचों में यही आंकड़ा गिरकर 263 रन, 115.85 स्ट्राइक रेट और 38.7% डॉट गेंदें हो जाता है। बाउंड्री प्रतिशत भी जीत में 17.36% से गिरकर हार में 13.21% तक आ जाता है।
मुंबई के खिलाफ मैच में चेन्नई ने मिडिल ओवर्स (ओवर 7 से 15) में सिर्फ 7.77 रन प्रति ओवर की दर से रन बनाए, जबकि मुंबई ने इसी फेज में 10.55 की रफ्तार से रन बनाए।
मैच के बाद चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान एमएस धोनी ने भी माना कि, “मुंबई ने डेथ ओवर्स की शुरुआत जल्दी कर दी, हमें भी अपनी स्लॉग ओवर्स की शुरुआत जल्दी करनी चाहिए थी। हमें वो रन पहले ही बना लेने चाहिए थे।”
मुंबई के खिलाफ इसी विकेट पर, जहां इस सीजन RCB और मुंबई की टीमों ने मिलकर 430 रन बनाए थे, वहीं चेन्नई की पारी तब जाकर थोड़ी तेज हुई, जब दुबे ने 15वें ओवर में अश्विनी कुमार को लगातार दो छक्के मारे। इसके बाद जडेजा ने उसी ओवर में छक्का लगाकर कुल 24 रन बटोर लिए। हालांकि, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
चेन्नई की बल्लेबाज़ी की यह रफ्तार और दुबे की धीमी शुरुआत टीम की परेशानियों की बड़ी वजह बन चुकी है। अगर चेन्नई को इस सीजन वापसी करनी है, तो उन्हें अपने मिडिल ऑर्डर से तेज और असरदार पारियों की जरूरत होगी। इस जिम्मेदारी का सबसे बड़ा हिस्सा शिवम दुबे के कंधों पर है।
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