सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) क्रिकेट इतिहास के सबसे महान बल्लेबाजों में से एक हैं। उन्हें भारत में क्रिकेट का भगवान भी कहा जाता है। उन्होंने अपने अन्तर्राष्ट्रीय करियर में 34 हजार से भी ज्यादा रन बनाए और 100 शतक भी लगाए। उनके इस रिकॉर्ड को तोड़ना कई सारे खिलाड़ियों के लिए लगभग नामुमकिन जैसा लगता है।
तेंदुलकर की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, 2013 में बतौर खिलाड़ी क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भी वह ब्रांड एंडोर्समेंट के जरिए मोटी कमाई करते हैं। वह वर्तमान समय में ब्रांड वैल्यू के मामले में भारत में टॉप 10 में अपनी जगह रखते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि, इतना ख्याति प्राप्त करने के बाद भी उन्होंने कभी किसी नशीली पदार्थ का विज्ञापन नहीं किया?
हालाँकि, नियमों के अनुसार टीवी पर नशीली पदार्थों जैसे तम्बाकू, एल्कोहल, इत्यादि का टीवी या अखबारों में विज्ञापन करना गैरकानूनी है। ऐसी स्थिति में नशीले पदार्थं बनाने वाली कम्पनियाँ उस नाम से किसी दूसरे प्रोडक्ट को बेचती हैं, ताकि वह इन नियमों को तोड़े बिना अपने मुख्य उत्पाद का विज्ञापन कर सकें। आज के समय में आपने कई सारे खिलाड़ियों और पूर्व खिलाड़ियों को ऐसे विज्ञापनों में जरूर देखा होगा, लेकिन सचिन तेंदुलकर को नहीं।
Sachin Tendulkar ने कभी नहीं किया नशीले पदार्थों का विज्ञापन
सचिन तेंदुलकर ने अपने पूरे करियर में कभी भी नशीले पदार्थों या उस कंपनी से जुड़े किसी भी प्रोडक्ट जैसे पान मसाला, सिल्वर कोटेड इलायची, सोडा वॉटर, इत्यादि का प्रचार नहीं किया। उन्हें कई बार तम्बाकू/पान मसाला कंपनियों की तरफ से ब्रांड डील ऑफर की गई थी, लेकिन उन्होंने उन्हें ठुकरा दिया था।
सचिन ने एक इंटरव्यू में इस मामले का जिक्र करते हुए बताया था कि, शुरूआती दिनों में उन्हें तम्बाकू उत्पादों के विज्ञापन करने के ढेर सारे ऑफर आए थे, लेकिन अपने पिता की सीख के चलते उन्होंने उन विज्ञापनों को करने से मना कर दिया था। उनके पिता यह चाहते थे कि, एक खिलाड़ी होने के नाते वह अपनी जिम्मेदारी को समझें और देश के भविष्य को गलत राह पर ना लेकर जाएँ। तेंदुलकर ने अपने पिता की बात को आत्मसाध किया और अब तक के जीवन में कभी भी नशीली चीजों को प्रमोट नहीं किया।
साल 1996 के वर्ल्ड कप के मुख्य प्रायोजक विल्स, जो कि एक सिगरेट बनाने वाली कंपनी है, ने सचिन तेंदुलकर को अपने बैट पर उनकी कपनी का स्टिकर लगाने का ऑफर दिया था, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया था। तेंदुलकर ने पूरा वर्ल्ड कप बिना स्टिकर के बैट से ही खेला था। उस दौरान सचिन की उम्र मात्र 23 वर्ष की थी।

इतना ही नहीं, जब सचिन ने अपना करियर शुरू किया था, तो उनके पास कोई स्पॉन्सर नहीं था। उस दौरान उनके पास कई तम्बाकू और सिगरेट बनाने वाली कंपनियों के ऑफर आए थे, लेकिन उन्होंने उन सभी ऑफर्स को ठुकरा दिया और अपने पिता द्वारा दी गई सीख का मान रखा। हालाँकि, एक समय ऐसा था जब विल्स टीम इंडिया की जर्सी को स्पॉन्सर करती थी, जिसके चलते उन्हें उसकी टी शर्ट पहननी पड़ी थी।
जब सचिन तेंदुलकर ने ठुकरा दी थी 20 करोड़ रूपए की बड़ी ब्रांड डील
क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) को साल 2010 में एक शराब कंपनी की ओर से उनके सोडा वॉटर का विज्ञापन करने का ऑफर दिया गया था, जिसे उन्होंने तुरंत ठुकरा दिया था। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि, वह ब्रांड डील 20 करोड़ रूपए की थी, जो आज से 14 साल पहले उनके जैसे चर्चित हस्ती के लिए एक बड़ी रकम थी।
दरअसल, शराब या किसी प्रकार के एल्कोहल प्रोडक्ट बनाने वाली कम्पनियाँ नियमों के चलते सीधे अपने एल्कोहल प्रोडक्ट का विज्ञापन नहीं करती हैं, बल्कि वह उसी नाम से सोडा वॉटर या नॉर्मल वॉटर बनाकर उसका प्रचार करती हैं। कुछ ऐसा ही काम गुटखा बनाने वाली कम्पनियां भी करती हैं। वह भी गुटखा की जगह उसी नाम से पान मसाला और सिल्वर कोटेड इलायची प्रोडक्ट बनाकर उसके नाम पर विज्ञापन चलाती हैं।
हालाँकि, सचिन ने अपने पूरे करियर में ऐसे किसी भी ब्रांड से अपना नाता नहीं जोड़ा और ना आगे कभी जोड़ेंगे। दूसरी ओर, इसी देश में कई सारे पूर्व क्रिकेटर इस तरह के ब्रांड्स के साथ जुड़ते और उनका प्रचार करते भी देखे जाते हैं। वह भी अपने बचाव में सोडा वॉटर या सिल्वर कोटेड इलायची का हवाला देते हैं।
नोट: पान मसाला, सिगरेट, शराब या इस तरह के किसी नशीले पदार्थों का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
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