Vandana Katariya Retirement: भारतीय महिला हॉकी की दिग्गज खिलाड़ी वंदना कटारिया ने मंगलवार को संन्यास का ऐलान कर दिया। इस बीच उन्होंने अब इंटरनेशनल हॉकी को अलविदा कह दिया है। इस महिला खिलाड़ी ने भारतीय महिला हॉकी के इतिहास में सबसे ज्यादा 320 मैच खेले हैं। इसके चलते हुए वह अब अपनी हिम्मत, समर्पण और उत्कृष्टता से कई युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनीं हैं।
इस दौरान उन्होंने अपने हॉकी करियर में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। इसमें साल 2020 के टोक्यो ओलंपिक में उनका भारतीय टीम का हिस्सा बनकर चौथे स्थान पर पहुंचना और हैट्रिक बनाना भी शामिल है। वह ऐसा करने वाली पहली और एकमात्र भारतीय महिला खिलाड़ी हैं। इसके चलते हुए कई युवा खिलाड़ी अब उनसे प्रेरणा लेकर उनकी तरह ही भारत के लिए खेलना चाहेंगी।
रिटायरमेंट के बाद बोली बंदना कटारिया :-

इस बीच भारतीय स्टार हॉकी खिलाड़ी ने अपने रिटायरमेंट लेते हुए कहा है कि, “आज मैं भारी लेकिन कृतज्ञ मन से अंतरराष्ट्रीय हॉकी से विदा ले रही हूं। वहीं यह फैसला मेरे लिए सशक्त करने वाला और दुखी करने वाला दोनों है। मैं ये सन्यास अब इसलिए नहीं ले रही हूं क्योंकि मेरे अंदर की आग मंद पड़ गई है या मेरे भीतर हॉकी नहीं बची है। बल्कि मैं ऐसा इसलिए कर रही हूं क्योंकि मैं अपने करियर के शिखर पर संन्यास लेना चाहती हूं। इस समय भी मैं अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर ही हूं।” इसके अलावा वह भारतीय महिला हॉकी टीम की ओर से पहली हैट्रिक लगाने वाली खिलाड़ी भी रही हैं।

इसके आगे उन्होंने कहा कि, “मेरी यह विदाई थकान की वजह से नहीं है। यह अंतरराष्ट्रीय मंच को अपनी शर्तों पर छोड़ने का एक विकल्प है, मेरा सिर ऊंचा रहेगा और मेरी स्टिक अभी भी आग उगल रही है। वहीं भीड़ की गर्जना, हर गोल का रोमांच और भारत की जर्सी पहनने का गर्व हमेशा मेरे मन में गूंजता रहेगा।” इस दौरान वह केवक भारत के लिए हॉकी ही नहीं खेली हैं बल्कि वह भारत सरकार के बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ अभियान से भी जुड़ी रहीं और उन्होंने सामाजिक सरोकरों के लिए भी अपना भरपूर योगदान दिया।
𝑺𝒐𝒎𝒆 𝒋𝒐𝒖𝒓𝒏𝒆𝒚𝒔 𝒕𝒓𝒂𝒏𝒔𝒄𝒆𝒏𝒅 𝒕𝒉𝒆 𝒈𝒂𝒎𝒆.🏑
Vandana Katariya ➡️320 matches, 158 goals and a legacy that will inspire generations.
From a historic hat-trick at Tokyo 2020 to countless unforgettable moments, she has redefined excellence in Indian hockey.… pic.twitter.com/9tgZPqj4KU— Hockey India (@TheHockeyIndia) April 1, 2025
इस बीच उनका यह विदाई बयान उनके बेहतरीन करियर की समाप्ति नहीं है, बल्कि एक नए अध्याय की शुरुआत को भी दर्शाता है। इस दौरान उनकी यात्रा न केवल एक खिलाड़ी के रूप में प्रेरणादायक रही है, बल्कि उनके योगदान से भारतीय महिला हॉकी को भी वैश्विक मंच पर एक नई पहचान मिली है। इसके आगे उन्होंने कहा कि, “अपनी साथी खिलाड़ियों, अपनी बहनों से मैं यही कहूंगी कि आपके लगाव और विश्वास ने मुझे बल दिया है। मेरे कोचों और मेंटर्स ने अपनी सूझबूझ और मुझ पर भरोसे के सहारे मेरे कैरियर को काफी तराशा है।”
वंदना ने अपने पिता को किया याद :-
वह हरिद्वार की रहने वाली हैं। उन्होंने फरवरी में भुवनेश्वर में हुई एफआईएच प्रो लीग में भारत के लिए अपना आखिरी मैच खेला था। इस बीच उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर लिखा है कि, “मेरे दिवंगत पिता मेरी चट्टान, मेरे मार्गदर्शक थे।

उनके बिना मेरा यह सपना कभी पूरा नहीं हो सकता था। क्यूंकि उनके बलिदानों और प्यार से ही मेरे खेल की नींव पड़ी थी। उन्होंने ही मुझे सपने देखने, लड़ने और जीतने के लिये मंच दिया था।” वहीं इस बीच हॉकी इंडिया ने भी अपने सबसे लंबे समय तक खेलने वाली दिग्गज के लिए वीडियो शेयर करते हुए लिखा है कि, “कुछ खिलाड़ी खेल से परे होते हैं।”
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