मंजू रानी और राम बाबू की जोड़ी ने जैसे ही 19वें एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता वैसे ही भारत में ऐसी खुशी की लहर दोड़ी मानों जैसे कोई त्यौहार हो। इसके पीछे का कारण राम बाबू की मेहनत है। चलो इस पर तो तफसील से बात करेंगे, लेकिन पहले इस रेस के बारे में बता देते हैं जिससे भारत की झोली में एक पदक की संख्या में इजाफा हुआ है। मंजू रानी और राम बाबू की जोड़ी ने ये कांस्य पदक 35 किमी रेस वॉक मिक्स्ड टीम स्पर्धा में जीता है। इसके साथ ही अब भारत के खाते में कुल पदकों की संख्या 70 हो गई है। एक तरफ जहां राम बाबू ने इस रेस को 2 घंटे 42 मिनट 11 सेकेंड में पूरा किया तो वहीं मंजू रानी ने इसको 3 घंटे 9 मिनट 3 सेकेंड का समय निकाला। इन दोनों के समय को मिलाकर भारत ने इस रेस को कुल 5 घंटे 51 मिनट 14 सेकेंड में पूरा किया।
संयुक्त समय के अनुसार भारत इस रेस में तीसरे स्थान पर रहा। दूसरी तरफ गोल्ड जीतने वाले देश चीन की टीम ने से भारतीय टीम कुल 34 मिनट 33 सेकेंड पीछे रही। गौरतलब है कि 35 किमी रेस वॉक मिश्रित टीम में कोई देश एक पुरुष एक महिला या फिर दो पुरुष दो महिला प्रतिभागियों वाली टीम को रख सकता है। इस पर पदक जीतने के लिए सबसे बढ़िया दो समय मान्य होते हैं। इस रेस में चीन और जापान की दो पुरुष दो महिला प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस दौरान चीन पहले स्थान पर जापान दूसरे और भारत तीसरे स्थान पर रहा।
वेटर की नौकरी नहीं थी पंसद- रामबाबू
रामबाबू एशियाई खेलों में यूहीं नहीं पहुंचे हैं। इसके पीछे कड़ी मेहतन और कभी ना टूटने वाला विश्वास है। ये जान लीजिए कि भारत के लिए कांस्य पदक जीतने वाला ये भारत का असली हीरो कोरोना के दौरान मनरेगा के तहत मजदूरी किया करता था। इसके अलावा रामबाबू मिट्टी खोदने का भी काम किया करते थे। इससे पहले उन्होंने उत्तर प्रदेश के वाराणसी के एक होटल में वेटर के रूप में भी काम किया है। जब उनसे इस नौकरी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि वेटर की नौकरी उन्हें पसंद नहीं थी। उन्हें लगता था कि इससे अच्छा तो मिट्टी खोदने का काम है। पिछले साल के नेशनल रिकॉर्ज बनाने के बाद राम बाबू ने कहा था कि, “होटल में आने वाले लोग वेटरों से अच्छा काम नहीं करते हैं। वे उन्हें कमतर इंसान समझते हैं। जिस तर से लोग मुझे छोटू और अन्य नामों से बूलाते थे, उससे मुझे बहुत बुरा महसूस होता था। मैं इससे जल्द से जल्द बाहर निकला चाहता था।”
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During the COVID-19 lockdown 24-year old Ram Baboo dug ditches under MNREGA.
Previously he’d worked as a waiter.
But he never lost sight of his goal – to be an athlete.
Today he won Asian Games🥉 in the 35km race walk mixed team… pic.twitter.com/0HkZVDN0g0
— Nagrik 🇮🇳 – INDIA Jeetega 🇮🇳 (@indian_nagrik) October 4, 2023
फिल्मों ने किया प्रेरित
रामबाबू की कहानी में फिल्मों का भी बहुत बड़ा हाथ है। जी हां, ये वो ही फिल्में थी जिन्हें देखकर रामबाबू को कुछ अलग करने की तमन्ना जगी। खासकर खेल फिल्मों को देखना रामबाबू को बेहद पसंद हैं। इन्हीं फिल्मों को देखकर रामबाबू ने दोड़ना शुरु किया। पहले वह मैराथन करते थे लेकिन साल 2018 रामबाबू के जीवन में फिर से मुसिबत लेकर आया। इस साल रामबाबू को घुटने में चोट लग गई, जिसके कारण उनके इस नए करियर पर ब्रेक लग गया। इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और जल्द से अपनी इस चोट को ठीक कर एक बार फिर से रेस-वाकिंग सीखना शुरु कर दिया। एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने के ठीक एक साल पहले 2022 में नेशनल गेम्स के दौरान नेशनल रिकॉर्ड अपने नाम किया था।
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