ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाने को तैयार नहीं थे रविचंद्रन अश्विन, रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा
रविचंद्रन अश्विन के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के फैसले से पहले पर्दे के पीछे काफी कुछ हुआ था।
भारत के अनुभवी ऑफ स्पिनर Ravichandran Ashwin ने बुधवार को अचानक से अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया। लेकिन यदि पिछले कुछ सालों से उनके करियर को देखें तो ऐसा लगता है कि यह दिन ज्यादा दूर नहीं था।
38 साल की उम्र में, रविचंद्रन अश्विन अभी भी टेस्ट में भारत के नंबर 1 स्पिनर थे, लेकिन विदेशी सरजमीं पर अश्विन का प्रदर्शन कुछ ख़ास नहीं था और इसीलिए टीम मैनेजमेंट को इस मामले में उन पर उतना भरोसा नहीं था।
रोहित शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुलासा किया कि उन्हें अनुभवी ऑफ स्पिनर के फैसले के बारे में तब से पता था जब वह पर्थ पहुंचे थे। उन्हें अश्विन को एडिलेड टेस्ट खेलने के लिए मनाना पड़ा, जो यह साबित करता है कि अनुभवी गेंदबाज का खेल खत्म हो चुका था।
आमतौर पर ऐसे फैसलों के बारे में शीर्ष अधिकारियों को पहले ही बता दिया जाता है, लेकिन अश्विन के मामले में ऐसा नहीं हुआ। अश्विन भारत की सफलता के सबसे मजबूत स्तंभों में से एक रहे हैं और जिस किसी ने भी टीम को ऐसी अविश्वसनीय ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मदद की है, उससे अधिकारियों को कुछ संकेत देने की उम्मीद की जाती है।
हालांकि, अश्विन ने कप्तान को छोड़कर किसी को भी अपने फैसले के बारे में नहीं बताया। यहां तक कि विराट कोहली को भी इस बारे में जानकारी नहीं थी, जिनकी कप्तानी में उन्होंने सबसे ज्यादा सफलताएँ हासिल की थी।
यहां तक कि बीसीसीआई के चयन समिति को भी पहले से नहीं बताया गया था, जिससे यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि 38 वर्षीय ने अकेले ही संन्यास लेने का फैसला किया है।
बीसीसीआई के एक वरिष्ठ सूत्र ने नाम न बताने की शर्त पर पीटीआई को बताया, “चयन समिति की ओर से कोई संकेत नहीं मिला। अश्विन भारतीय क्रिकेट के दिग्गज हैं और उन्हें अपना फैसला लेने का अधिकार है।”
रिपोर्ट में इस बारे में कुछ बहुत ही रोचक जानकारियां भी दी गई है कि न्यूजीलैंड सीरीज ने अश्विन के फैसला लेने को कैसे प्रभावित किया। न्यूजीलैंड के खिलाफ एक निराशाजनक प्रदर्शन और अंतिम टेस्ट में वाशिंगटन सुन्दर के 12 विकेट के बाद ही अश्विन को लगा था कि अब उनके संन्यास लेने का समय आ गया है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि, रविचंद्रन अश्विन बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए ऑस्ट्रेलिया का दौरा करने के लिए भी तैयार नहीं थे। उन्होंने टीम मैनेजमेंट को यह पहले से ही बता दिया था कि यदि वह ऑस्ट्रेलिया दौरे पर नहीं खेलेंगे, तो उन्हें साथ लेकर ना जाया जाए।
भारत ने तीन टेस्ट मैचों में तीन अलग-अलग स्पिनरों को मौका दिया। उन्होंने पर्थ में वाशिंगटन के साथ शुरुआत की और फिर एडिलेड में अश्विन को प्लेइंग XI में जगह मिली, जबकि ब्रिसबेन में रविंद्र जडेजा ने उनकी जगह ली।
रिपोर्ट में कहा गया है, “उन्होंने टीम मैनेजमेंट को स्पष्ट कर दिया था कि यदि उन्हें ऑस्ट्रेलिया सीरीज के दौरान अंतिम XI में जगह की गारंटी नहीं दी गई तो वे ऑस्ट्रेलिया भी नहीं जाएंगे।”
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, जब रविचंद्रन को पता चला कि हेड कोच गौतम गंभीर ने पर्थ में पहले टेस्ट में प्लेइंग इलेवन में उनकी जगह सुंदर को मौका देने का फैसला किया, तो उन्हें साफ पता चल गया कि आगे क्या होने वाला है। टीम मैनेजमेंट के बीच यह बात हो रही थी कि सिडनी में भारत दो स्पिनरों के साथ उतरेगा और ये दो स्पिनर सुंदर और जडेजा होंगे। इन सभी बातों ने अश्विन के संन्यास के फैसले को और मजबूत किया।
पीटीआई की रिपोर्ट में कहा गया है, “जब अंतिम XI का चयन किया गया तब रोहित पर्थ में मौजूद नहीं थे और सुरक्षित रूप से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि यह कोच गौतम गंभीर थे, जिन्होंने यह कहा था कि आगे चलकर भारत का पहले नंबर का ऑफ स्पिनर कौन होगा और वह नाम अश्विन नहीं था।”
यदि देखा जाए तो रविचंद्रन अश्विन का संन्यास लेने का फैसला सही भी है। भारतीय टीम के आगे बढ़ने के साथ कुछ बदलावों की भी आवश्यकता है। अगले साल जुलाई में भारत के इंग्लैंड दौरे के साथ अगले वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप चक्र की शुरुआत के साथ अश्विन 2027 में तीसरे WTC फाइनल तक 40 साल के हो चुके होंगे।
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