Paris Olympics 2024: Why Did Abhinav Bindra Tap A Wooden Baton Thrice On Floor Before Shooting Final?
सोमवार, 29 जुलाई को पेरिस ओलंपिक 2024 (Paris Olympics 2024) में 10 मीटर एयर राइफल फाइनल के लिए रमिता जिंदल और सात अन्य निशानेबाजों द्वारा अपनी फायरिंग पोजीशन में आने के बाद 2008 बीजिंग ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट अभिनव बिंद्रा (Abhinav Bindra) निशानेबाजों के पीछे खड़े हो गए। इस दौरान वह हाथ में एक लाल लकड़ी का डंडा (Red Wooden Baton) लिये हुए थे, जिसे उन्होंने फर्श पर तीन बार पटका और फिर गेम शुरू हुआ। इसके बाद से ही लोगों के मन में इस नई परंपरा के बारे में जानने के लिए उत्सुकता बढ़ गई है, क्योंकि किसी ने भी इससे पहले कभी भी ओलंपिक में इस परंपरा को नहीं देखा था।
शूटिंग फाइनल से पहले गोल्ड मेडलिस्ट अभिनव बिंद्रा ने लकड़ी के डंडे को फर्श पर तीन बार क्यों पटका?

मौजूदा पेरिस ओलंपिक 2024 में, गेम सेशन शुरू होने से पहले लाल लकड़ी के डंडे को तीन बार पटकने का समारोह होता है, जो इस साल पहली बार शुरू किया गया है। इस समारोह में एक पूर्व या वर्तमान खिलाड़ी या कोई पब्लिक फिगर या यहां तक कि एक फैन एक लाल डंडा लेकर बाहर आता है और उसे फर्श पर तीन बार पटकता है। दरअसल, यह प्रतियोगिता शुरू होने का संकेत है। इस असामान्य समारोह को शुरू करने के पीछे का इतिहास काफी गहरा है।
पेरिस 2024 आयोजन समिति के अध्यक्ष टोनी एस्टांगुएट ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस साल के ओलंपिक गेम्स के लिए इस नई परंपरा के बारे में बात की थी। यहाँ हम आपको पेरिस ओलंपिक 2024 के आयोजकों द्वारा शुरू की गई इस परंपरा के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे हैं।

लाल डंडे को तीन बार फर्श पर पटकने की इस नई परंपरा को क्या कहा जाता है?
इवेंट शुरू होने से पहले किसी खिलाड़ी, पब्लिक फिगर या फैन द्वारा लाल डंडे को तीन बार फर्श पर पटकने की परंपरा को ‘रेड बैटन’ कहा जाता है। इसके अलावा, इसे ‘ब्रिगेडियर’ भी कहा जाता है।
रेड बैटन की परंपरा कहां से प्रेरित है?
रेड बैटन की परंपरा किसी शो को शुरू करने के लिए फ्रांसीसी थिएटर से प्रेरित एक संकेत है।
लाल डंडे को फर्श पर तीन बार क्यों पटका जाता है?
इसे फर्श पर तीन बार पटककर दर्शकों को यह संकेत दिया जाता है कि, अब गेम शुरू हो गया है और उन्हें शांत रहकर इस पर ध्यान केंद्रित करना है।
फर्श पर डंडे को तीन बार पटकने के पीछे का इतिहास और मान्यताएँ क्या है?
फर्श पर डंडे को तीन बार पटकने के पीछे का इतिहास कुछ स्पष्ट नहीं है, लेकिन ओलंपिक की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, यह परंपरा 17वीं शताब्दी के लगभग फ्रांस में शुरू हुई थी। यह परंपरा कई अलग-अलग सिद्धांतों से प्रेरित है, जिसे आयोजकों ने बड़ा ही सोच-समझकर पेरिस ओलंपिक में शुरू किया है।

पेरिस ओलंपिक में हर एक इवेंट से पहले लाल बैटन को औपचारिक रूप से तीन बार फर्श पर पटकना सदियों पुरानी परंपरा से प्रेरित है। दरअसल, यह इशारा पवित्र त्रिमूर्ति (पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा) का संकेत देता है, जिससे कलाकारों को मंच पर जाने से पहले पादरी से आशीर्वाद लेने की अनुमति मिलती थी।
इसके अलावा, कुछ लोगों का यह मानना है कि लाल डंडे के तीन नल प्रदर्शन कला में आवश्यक तत्वों की तिकड़ी को प्रदर्शित करते हैं। पहला, अभिनेता जो शो को जीवंत करते हैं, दूसरा दर्शक जो गवाह बनते हैं और तीसरा, कहानी जो उन्हें एकजुट करती है।
एक अन्य सिद्धांत यह बताता है कि, लाल डंडे को तीन बार पटकना अभिनेता की अभिनेता की मुख्य स्थितियों को दर्शाते हैं: दर्शकों का सामना करना, मंच के बाईं ओर (बगीचे की ओर) और मंच के दाईं ओर (आंगन की ओर)।