31 वर्षीय भारतीय आर्टिस्टिक जिमनास्ट दीपा करमाकर (Dipa Karmakar) ने सोमवार (09 अक्टूबर) को जिम्नास्टिक से संन्यास ले लिया। उन्होंने जिम्नास्टिक के क्षेत्र में भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया था। वह रियो ओलंपिक 2016 में वॉल्ट इवेंट में 4वें स्थान पर रहीं और मात्र 0.15 अंकों से ब्रॉन्ज मेडल जीतने से चूक गई थीं।
करमाकर ने पहली बार तब ध्यान आकर्षित किया था, जब उन्होंने 2014 में ग्लासगो आयोजित हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। इसी के साथ वह यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला जिमनास्ट बन गईं थीं। इसके अलावा, उन्होंने एशियन जिम्नास्टिक चैंपियनशिप में भी ब्रॉन्ज मेडल जीता और 2015 वर्ल्ड जिम्नास्टिक चैंपियनशिप में पाँचवाँ स्थान हासिल किया था। वह पहली भारतीय महिला जिमनास्ट थीं, जिन्होंने यह कारनामा किया था।
दीपा करमाकर ने बतौर खिलाड़ी जिम्नास्टिक को कहा अलविदा

दीपा ने सोमवार को अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट के जरिए बतौर खिलाड़ी जिम्नास्टिक को अलविदा कह दिया। उन्होंने अपने पोस्ट में अपने चाहने वाले और उनकी इस यात्रा में उनका साथ देने वाले सभी कोच, फैंस और परिवार को धन्यवाद किया।
दीपा करमाकर ने लिखा:
बहुत सोचने के बाद, मैंने ये फैसला लिया है, कि मैं जिम्नास्टिक से रिटायर हो रही हूं। ये फैसला मेरे लिए आसान नहीं था, लेकिन ये सही वक्त है। जिमनास्टिक मेरी जिंदगी का एक बहुत बड़ा हिस्सा है और मैं उतार-चढ़ाव एवं इन सबके बीच जो भी हुआ, हर चीज के लिए आभारी हूं।
मुझे वो पांच साल की दीपा याद आती है जिसे बोला था कि उसके फ्लैट फीट की वजह से वो कभी जिमनास्ट नहीं बन सकती। आज, मुझे अपनी उपलब्धियों को देख कर बहुत गर्व होता है भारत को विश्व स्तर पर प्रतिनिधित्व करना और मेडल जीतना और सबसे खास, रियो ओलंपिक में प्रोडुनोवा वॉल्ट में प्रदर्शन करना, मेरे करियर का सबसे यादगार पल रहा है। आज, मुझे उस दीपा को देखकर बहुत खुशी होती है क्योंकि उसने सपने देखे कि हिम्मत रखी।
मेरी आखिरी जीत एशियाई जिम्नास्टिक चैंपियनशिप ताशकंद, एक निर्णायक मोड़ था, क्योंकि तब तक मुझे लगा कि मैं अपनी बॉडी को और पुश कर सकती हूं, लेकिन कभी-कभी हमारी बॉडी हमें बताती है कि अब आराम का समय आ गया है, लेकिन दिल अभी भी नहीं मानता।
मैं अपने कोच बिश्वेश्वर नंदी सर और सोमा मैम को धन्यवाद बोलना चाहती हूं, जिन्होंने मुझे पिछले 25 साल से गाइड किया और मेरी सबसे बड़ी ताकत बने। मुझे जो सपोर्ट मिला उसके लिए मैं त्रिपुरा सरकार, जिमनास्टिक फेडरेशन, भारतीय खेल प्राधिकरण, गोस्पोर्ट्स फाउंडेशन और मेराकी स्पोर्ट एंड एंटरटेनमेंट को बहुत धन्यवाद देना चाहती हूं। और अंत में, मेरी फैमिली को, जो हमेशा मेरे साथ थे, मेरे अच्छे और बुरे दिनों में।
मैं भले ही रिटायर हो रही हूं, लेकिन जिम्नास्टिक से मेरा कनेक्शन कभी नहीं टूटेगा। मैं चाहती हूं कि इस खेल को कुछ वापस दे सकूं – शायद मेंटर, कोच, मेरे जैसे और बाकी लड़कियों को सपोर्ट करके।
एक बार फिर, मेरी यात्रा का हिस्सा बनने के लिए सभी को धन्यवाद।
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Dipa Karmakar ने अपने जिम्नास्टिक करियर में हासिल की हैं कई बड़ी उपलब्धियां

दीपा करमाकर ने अपने खेल करियर में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की और जिम्नास्टिक के क्षेत्र में दुनिया भर में भारत का झंडा लहराया। वह 2016 में ओलंपिक में भाग लेने वाली पहली भारतीय महिला जिमनास्ट बनीं थीं। इतना ही नहीं, वह 1964 के बाद किसी भी खेल में ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली पहली भारतीय जिमनास्ट भी थीं।
करमाकर ने अपने करियर में जिम्नास्टिक वर्ल्ड कप में एक गोल्ड मेडल (मर्सिन, 2018) और एक ब्रॉन्ज मेडल (कॉटबस, 2018), कॉमनवेल्थ गेम्स में एक ब्रॉन्ज मेडल (ग्लासगो, 2014) और एशियन चैंपियनशिप में एक ब्रॉन्ज मेडल (हिरोशिमा, 2015) और एक गोल्ड मेडल (ताशकंद, 2024) जीता था। उन्होंने ये सभी मेडल वॉल्ट इवेंट में प्रतिस्पर्धा करते हुए जीते थे।
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