IPL 2025 में एक अनोखा और सख्त नियम देखने को मिल रहा है, जिसमें हर बल्लेबाज़ के बैट को मैदान पर उतरने से पहले जांचा जा रहा है। यह प्रक्रिया 13 अप्रैल 2025 से शुरू हुई, जब दिल्ली में दिल्ली कैपिटल्स और मुंबई इंडियंस के मुकाबले के दौरान ऑन-फील्ड अंपायर्स विनोद सेशन और क्रिस गैफेनी ने पहली बार मैच के दौरान बैट को गेज से मापा। इस कदम ने क्रिकेट फैंस और खिलाड़ियों के बीच चर्चा छेड़ दी है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो लीग को अचानक बैट की लंबाई-चौड़ाई मापने के लिए मजबूर होना पड़ा।
IPL में अचानक यह नियम लागू क्यों किया गया?
IPL की ओर से इस नियम को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन क्रिकेट से जुड़े विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, यह फैसला बल्लेबाज़ और गेंदबाज़ के बीच संतुलन को बनाए रखने के लिए लिया गया है। IPL के कुछ अधिकारियों ने निजी तौर पर यह चिंता जताई थी कि कुछ खिलाड़ी जरूरत से बड़े बैट इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे गेंदबाज़ों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। इसी कारण IPL की गवर्निंग काउंसिल ने यह फैसला लिया कि अब हर बल्लेबाज़ के बैट की जांच मैच के दौरान की जाएगी, ताकि कोई भी खिलाड़ी नियमों से बच न सके।
पुराने नियमों में थी कई खामियां
IPL में पहले भी बैट की माप होती थी, लेकिन वह केवल अभ्यास के दौरान होती थी और वह भी सिर्फ कुछ खिलाड़ियों के बैट पर। उस समय चौथे अंपायर मैच से एक दिन पहले खिलाड़ियों के बैट नापते थे, चाहे वे खिलाड़ी अगले दिन प्लेइंग इलेवन में हों या नहीं। इतना ही नहीं, उस दौरान खिलाड़ियों के सभी बैट नहीं मापे जाते थे, जिससे उन्हें यह मौका मिल जाता था कि वे एक बैट चेक के लिए दें और मैच में कोई दूसरा बैट लेकर उतरें। इस खामी को दूर करने के लिए ही IPL ने इस बार गज़ट टेस्ट को मैच के बीच में अनिवार्य कर दिया है।
गेज टेस्ट किस नियम पर आधारित है?
IPL ने इस बार जो गेज टेस्ट लागू किया है, वह पूरी तरह MCC के नियम संख्या 5 पर आधारित है। इस नियम के अनुसार, किसी भी बैट की चौड़ाई अधिकतम 10.8 सेंटीमीटर यानी 4.25 इंच हो सकती है। वहीं, बैट की कुल गहराई 6.7 सेंटीमीटर यानी 2.64 इंच से ज्यादा नहीं होनी चाहिए, और किनारों की मोटाई 4 सेंटीमीटर यानी 1.56 इंच से अधिक नहीं हो सकती। IPL ने यह नियम इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड यानी ECB से लिया है, जिसने इसे 2018 में अपने घरेलू टूर्नामेंट में लागू किया था।
बैट गेज कैसे काम करता है?
बैट की जांच के लिए एक विशेष आयताकार गेज का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसमें घर के आकार की एक कटिंग होती है। इस गेज के अंदर बैट का निचला हिस्सा डाला जाता है और अगर वह आसानी से अंदर चला जाए तो उसे वैध माना जाता है। गेज का डिजाइन MCC के नियमों के अनुसार ही तैयार किया गया है। अगर बैट पर कवर्स, रिपेयरिंग मटेरियल या टो गार्ड लगाए गए हैं, तो उनकी मोटाई भी तय सीमा के भीतर होनी चाहिए।
मैच के दौरान कब होती है जांच?
IPL ने सभी टीमों को पहले ही इस बदलाव की जानकारी दे दी थी और उन्हें अपने खिलाड़ियों को बैट गेज भी सौंप दिए गए थे, ताकि वे मैच से पहले ही अपने बैट की जांच कर लें। मैच के दिन चौथा अंपायर दोनों ओपनर्स के बैट की जांच पारी की शुरुआत में करता है, जबकि हर नया बल्लेबाज़ जब क्रीज पर आता है, तो ऑन-फील्ड अंपायर उसका बैट गेज से जांचते हैं। अगर बल्लेबाज़ मैच के बीच में बैट बदलता है, तो नया बैट भी उसी समय जांचा जाता है।
किन खिलाड़ियों के बैट अब तक फेल हुए?
इस नियम के लागू होने के बाद अब तक तीन खिलाड़ियों के बैट गेज टेस्ट में फेल हुए हैं- ये खिलाड़ी हैं कोलकाता नाइट राइडर्स के सुनील नरेन और एनरिक नॉर्किया। इसके अलावा एक फ्रेंचाइज़ी के एक टेलेंडर खिलाड़ी के करीब सात से आठ बैट भी गेज टेस्ट में पास नहीं हो सके, जिससे वह मैच में खेलने से पहले बैट की व्यवस्था को लेकर मुश्किल में आ गए। यह स्थिति खास तौर पर उन विदेशी खिलाड़ियों के लिए परेशानी का कारण बन सकती है, जिनके बैट निर्माता भारत के बाहर स्थित हैं।
बैट चेकिंग फेल होने पर क्या सज़ा दी जा रही है?
जहां ECB ने ऐसे मामलों में सख्त रवैया अपनाया है, वहीं IPL ने अभी तक कोई बड़ी सज़ा तय नहीं की है। उदाहरण के तौर पर, 2024 काउंटी चैंपियनशिप के दौरान एसेक्स को 12 अंक का नुकसान उठाना पड़ा था, क्योंकि उनके एक बल्लेबाज़ ने ओवरसाइज़ बैट का इस्तेमाल किया था। इसके उलट IPL में अगर किसी खिलाड़ी का बैट गेज टेस्ट में फेल हो जाता है, तो बस उसे उस बैट को मैच में इस्तेमाल करने से रोक दिया जाता है। कोई जुर्माना या अंक कटौती जैसी सज़ा तय नहीं की गई है।
IPL में इस नियम का असर क्या होगा?
यह नियम लागू होने से बल्लेबाज़ों को अब केवल अपने कौशल पर निर्भर रहना पड़ेगा। पहले कई बल्लेबाज़ कस्टमाइज बैट का उपयोग करते थे, जिनमें मोटे किनारे और अतिरिक्त वजन होता था, जिससे गेंद को लंबे छक्के लगाना आसान हो जाता था। अब खिलाड़ियों को नियमों के अनुसार ही बैट इस्तेमाल करने होंगे, जिससे गेंदबाज़ों के साथ बराबरी का मुकाबला होगा और खेल अधिक संतुलित नजर आएगा। खिलाड़ियों को अपने बैट की सटीकता और तकनीकी पहलुओं पर ध्यान देना होगा।
यह बदलाव कितना जरूरी था?
क्रिकेट हमेशा से ही बैट और बॉल के बीच संतुलन का खेल रहा है। IPL जैसे हाई-स्कोरिंग टूर्नामेंट में जब बल्लेबाज़ बहुत बड़े बैट से खेलते हैं, तो गेंदबाज़ों को मार पड़ना आम बात हो जाती है। इस असंतुलन को देखते हुए IPL ने समय पर यह जरूरी कदम उठाया है। अब न केवल खिलाड़ियों को अपने बैट की वैधता की जिम्मेदारी खुद लेनी होगी, बल्कि फ्रेंचाइज़ियों को भी इस ओर सतर्क रहना होगा कि उनके खिलाड़ी नियमों के अनुसार ही मैदान पर उतरें।
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