पाकिस्तान सुपर लीग 2025 में हिस्सा ले रहे विदेशी खिलाड़ियों को उस समय बेहद डरावने अनुभवों से गुजरना पड़ा, जब भारत और पाकिस्तान के बीच हालात अचानक तनावपूर्ण हो गए। बांग्लादेश के लेग स्पिनर रिशाद हुसैन, जो लाहौर कलंदर्स की ओर से खेल रहे थे, ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर एक भावुक और झकझोर देने वाला बयान दिया है।
उन्होंने बताया कि जब PSL को बीच में ही रोकने का फैसला लिया गया और विदेशी खिलाड़ी पाकिस्तान से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे, तब हालात इतने बिगड़ चुके थे कि कई खिलाड़ियों की हालत रोने जैसी हो गई थी। रिशाद हुसैन के मुताबिक इंग्लैंड के तेज गेंदबाज टॉम करन तो एयरपोर्ट बंद होने की खबर सुनकर बच्चों की तरह रोने लगे थे।
PSL के बीच बुरी तरह डर गए विदेशी खिलाड़ी
रिशाद हुसैन ने यूएई पहुंचने के बाद मीडिया से बातचीत में बताया कि पाकिस्तान छोड़कर दुबई पहुंचना सभी के लिए एक राहत की बात थी, लेकिन उस राहत के पीछे डर और तनाव की एक लंबी कहानी थी। उन्होंने कहा कि जब PSL को अचानक सस्पेंड किया गया, तब विदेशी खिलाड़ी बुरी तरह डर गए थे और जल्द से जल्द पाकिस्तान से बाहर निकलना चाहते थे।
उन्होंने कहा, “सैम बिलिंग्स, डैरिल मिचेल, कुशल परेरा, डेविड विसे, टॉम करन… ये सभी बहुत ज्यादा डरे हुए थे। डैरिल मिचेल ने तो मुझसे कहा कि वो अब दोबारा पाकिस्तान नहीं आएंगे, खासतौर पर इस तरह के हालात में। सभी खिलाड़ी बुरी तरह घबरा चुके थे।”
टॉम करन को संभालने के लिए दो-तीन लोगों की जरूरत पड़ी
इंग्लैंड के अनुभवी तेज गेंदबाज टॉम करन को लेकर रिशाद ने एक बेहद भावुक किस्सा साझा किया। उन्होंने बताया, “टॉम करन एयरपोर्ट पहुंचे लेकिन उन्हें बताया गया कि एयरपोर्ट बंद है। ये सुनते ही वह बच्चों की तरह रोने लगे। उन्हें चुप कराने के लिए दो-तीन लोगों की जरूरत पड़ी।”
नाहिद राणा को भी ढांढस बंधाया
बांग्लादेश के एक और खिलाड़ी नाहिद राणा, जो पेशावर जाल्मी की टीम का हिस्सा थे, भी इस मुश्किल समय में खामोश और चिंतित दिखे।
रिशाद ने बताया, “नाहिद राणा बहुत शांत थे, शायद हालात के कारण। मैंने उन्हें ढांढस बंधाया और कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है। अलहमदुलिल्लाह, हम सुरक्षित दुबई पहुंच चुके हैं।”
खिलाड़ियों के परिवार भी तनाव में थे
इस तनावपूर्ण सफर के बारे में बात करते हुए रिशाद ने कहा कि जब वे दुबई पहुंचे, तब उन्हें पता चला कि उनके उड़ान भरने के 20 मिनट बाद ही पाकिस्तान एयरपोर्ट पर मिसाइल गिराई गई थी। यह खबर उनके लिए जितनी डरावनी थी, उतनी ही दुखद भी।
उन्होंने कहा, “जब भी मैं खेलने बाहर जाता हूं, मेरा परिवार चिंता करता है कि हालात कैसे हैं। अब जब पाकिस्तान को लेकर बम धमाकों और मिसाइल हमलों की खबरें आईं, तो स्वाभाविक था कि वे चिंतित हो जाएं। मैंने उन्हें समझाया कि घबराने की जरूरत नहीं है और अब वे भी थोड़ा सामान्य हो गए हैं।”
PSL और IPL दोनों पर पड़ा असर
भारत और पाकिस्तान के बीच अचानक बढ़े तनाव का असर क्रिकेट पर भी साफ दिखाई दिया। PSL को बीच में ही सस्पेंड कर दिया गया, वहीं बीसीसीआई ने IPL 2025 को भी एक हफ्ते के लिए स्थगित करने का फैसला लिया। इन दोनों लीगों में दुनियाभर के खिलाड़ी शामिल होते हैं और अचानक स्थिति बिगड़ने से उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता और बढ़ गई।
रिशाद हुसैन की मानें तो खिलाड़ियों ने सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं छोड़ा, बल्कि जान बचाने की दौड़ में एक-दूसरे को सहारा दिया। यह क्रिकेट के मैदान से कहीं आगे की कहानी थी, जहां डर, इंसानियत और उम्मीद का मिला-जुला रूप दिखाई दिया।
खिलाड़ियों की मनोदशा से उभरा पाकिस्तान का डर
इस पूरे घटनाक्रम के बाद साफ है कि PSL में विदेशी खिलाड़ियों का भविष्य अब असमंजस में है। जब अनुभवी खिलाड़ी जैसे डैरिल मिचेल यह कहें कि वो अब पाकिस्तान नहीं आएंगे, और टॉम करन जैसे खिलाड़ी बच्चों की तरह रोने लगें, तो इससे यह संकेत मिलता है कि पाकिस्तान क्रिकेट को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक बार फिर से भरोसा जीतने की जरूरत है।
खिलाड़ियों की सुरक्षा को लेकर उठे सवालों के बीच यह भी ध्यान देने योग्य है कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) ने अब तक इस पूरे मामले पर कोई औपचारिक बयान नहीं जारी किया है। हालांकि भारत और पाकिस्तान के बीच अब युद्धविराम की घोषणा हो चुकी है, लेकिन क्रिकेट जगत में जो डर और चिंता फैल चुकी है, उसे मिटाने में काफी समय लग सकता है।
फिलहाल हालात सामान्य लेकिन भरोसे की कमी
हालांकि, फिलहाल भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की घोषणा हो चुकी है, और तनाव में कमी आई है, लेकिन खिलाड़ी और उनके परिवार इस पूरे घटनाक्रम से जितने भयभीत हुए हैं, उसका असर लंबे समय तक बना रह सकता है। ऐसे में PSL के भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं।
रिशाद हुसैन की यह आपबीती बताती है कि क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं रह गया, यह खिलाड़ियों की जान से जुड़ा हुआ मामला बन चुका है। उनकी बातें यह साफ करती हैं कि जब तक सुरक्षा व्यवस्था और राजनीतिक स्थिरता का भरोसा नहीं बनता, तब तक PSL जैसी लीगों में विदेशी खिलाड़ियों की भागीदारी सीमित रह सकती है।
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