Will New Zealand Cricket Boycott Afghanistan or Play?: न्यूजीलैंड क्रिकेट (NZC) अफगानिस्तान के खिलाफ एक सीरीज खेलने पर विचार कर रहा है, जबकि तालिबान शासन के कारण कई संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इसे बॉयकॉट करने की मांग की है।
न्यूयॉर्क स्थित मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) से अपील की है कि जब तक अफगान महिलाओं को खेलों में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाती, तब तक अफगानिस्तान को निलंबित कर देना चाहिए।
NZC का मानना है कि अफगानिस्तान के खिलाफ खेलना महिलाओं के अधिकारों के मुद्दे को उजागर कर सकता है, जबकि बॉयकॉट करने से तालिबान की अलग-थलग रहने की नीति को बढ़ावा मिल सकता है।
अफगानिस्तान से मुकाबला या बॉयकॉट? न्यूजीलैंड के सामने बड़ा सवाल
न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम ब्लैक कैप्स को 2026 में अफगानिस्तान के खिलाफ एक सीरीज खेलनी है। हालांकि, इस प्रस्ताव को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। तालिबान द्वारा अफगानिस्तान में महिलाओं के खेल खेलने पर प्रतिबंध लगाने के बाद से कई देशों ने वहां खेलने से इनकार कर दिया है।
न्यूजीलैंड सरकार ने तालिबान को एक आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है और उसके शासन के तहत महिलाओं के अधिकारों पर कई तरह की कड़ी पाबंदियां लगाई गई हैं। इन कारणों से देश के भीतर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर न्यूजीलैंड क्रिकेट के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं।
ह्यूमन राइट्स वॉच ने ICC से अफगानिस्तान पर बैन लगाने की मांग की
ह्यूमन राइट्स वॉच ने ICC अध्यक्ष जय शाह को एक पत्र भेजकर अफगानिस्तान क्रिकेट टीम की सदस्यता को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने की मांग की है। पत्र में कहा गया है कि, जब तक अफगानिस्तान में महिलाओं को खेलों में भाग लेने की अनुमति नहीं मिलती, तब तक वहां की पुरुष टीम को भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से बाहर कर दिया जाना चाहिए।
पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि तालिबान ने अगस्त 2021 में सत्ता में आने के बाद महिलाओं की शिक्षा, आजादी और रोजगार पर गंभीर प्रतिबंध लगाए हैं। अफगान महिला क्रिकेट टीम की कई खिलाड़ी अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं और कई खिलाड़ियों को अपनी पहचान छुपाने के लिए अपने पुरस्कार और खेल के सामान तक नष्ट करने पड़े।
क्या न्यूजीलैंड क्रिकेट तालिबान को मजबूत कर रहा है?
न्यूजीलैंड के पूर्व मंत्री और एंटी-अपार्टहाइड कार्यकर्ता ग्राहम केली ने कहा कि न्यूजीलैंड क्रिकेट का अफगानिस्तान से खेलना नैतिक रूप से गलत होगा। उन्होंने इसे दक्षिण अफ्रीका के रंगभेद शासन के दौरान किए गए बॉयकॉट से तुलना करते हुए कहा कि खेल संगठनों को तालिबान के मानवाधिकार हनन के खिलाफ कड़ा रुख अपनाना चाहिए।
न्यूजीलैंड क्रिकेट के प्रमुख स्कॉट वेनिंक ने स्वीकार किया कि तालिबान का शासन आतंकवाद पर आधारित है और उनका मानवाधिकार रिकॉर्ड बेहद खराब है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान का बॉयकॉट करने से तालिबान को फायदा होगा क्योंकि वे पहले से ही पश्चिमी दुनिया से अलग-थलग पड़ना चाहते हैं।
खेलने से महिलाओं के मुद्दे पर ध्यान जाएगा, NZC ने दिया तर्क
न्यूजीलैंड क्रिकेट ने यह तर्क दिया कि अफगानिस्तान से खेलने से वहां की महिलाओं की स्थिति पर वैश्विक चर्चा को बल मिलेगा। NZC का मानना है कि अफगानिस्तान में क्रिकेट पुरुष खिलाड़ियों के लिए भी मुश्किल में है, क्योंकि तालिबान खुद इसे समर्थन नहीं देता। अगर क्रिकेट को और अधिक अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिलेगा, तो इससे महिलाओं के खेलों को फिर से शुरू करने के लिए दबाव बन सकता है।
NZC ने कहा कि उन्होंने अफगानिस्तान में महिलाओं की क्रिकेट टीम (जो वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया में शरण लिए हुए है), ICC, न्यूज़ीलैंड प्लेयर्स एसोसिएशन और न्यूजीलैंड सरकार से भी इस मुद्दे पर सलाह ली है।
क्या अफगानिस्तान महिला क्रिकेट टीम को समर्थन देगा न्यूजीलैंड?
न्यूजीलैंड क्रिकेट ने यह संकेत दिया कि वे अफगानिस्तान की निर्वासित महिला क्रिकेट टीम को न्यूजीलैंड में आमंत्रित कर सकते हैं और उनके साथ खेलने के लिए तैयार हैं। NZC ने कहा कि उचित समय पर वे अफगान महिला क्रिकेटरों को समर्थन देना चाहेंगे।
क्या बदलेगा यह फैसला?
NZC ने स्पष्ट किया कि बोर्ड हर बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा कर रहा है और यह फैसला समय के साथ बदल भी सकता है। अगर ICC या वैश्विक स्तर पर स्थिति बदलती है, तो न्यूजीलैंड क्रिकेट अपना रुख भी बदल सकता है।
वेनेनिक ने कहा, “हम इस मुद्दे को हल्के में नहीं ले रहे हैं। अगर हम अफगानिस्तान का बॉयकॉट कर देंगे, तो इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। बल्कि, यह तालिबान की उस रणनीति का हिस्सा बन जाएगा, जिसमें वे अंतरराष्ट्रीय संबंधों को खत्म करना चाहते हैं।”
अफगानिस्तान के खिलाफ खेलना या न खेलना, यह एक गंभीर मुद्दा बन गया है। एक तरफ मानवाधिकार संगठनों और क्रिकेट प्रेमियों का मानना है कि तालिबान के शासन को समर्थन नहीं दिया जाना चाहिए, वहीं दूसरी ओर न्यूजीलैंड क्रिकेट का मानना है कि खेलने से महिलाओं की स्थिति को उजागर करने में मदद मिलेगी। अब देखना यह होगा कि ICC इस मामले पर क्या कदम उठाता है और क्या अन्य क्रिकेट बोर्ड इस बहस में शामिल होते हैं।
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