जिस तरह हमारे खाने में नमक को महत्वपूर्ण सामग्री माना जाता है, ठीक उसी प्रकार से एक क्रिकेट मैच के लिए उसकी पिच की भी अहमियत होती है। किसी भी मैच से पहले उस टीम को कप्तान व कोचिंग स्टाप पिच को सही तरह से जानकर अपना फैसला लेते हैं। किसी भी मैच में उसके निर्णय या फिर किसी टीम के स्कोर ज्यादा होने या कम होने में उस मैदान की पिच का अहम योगदान होता है। आज के इस लेख में हम आपको पिच के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं। यहां पर हम पिच के निर्माण से लेकर उसके प्रकार जैसी अहम बातों पर चर्चा करेंगे। तो आइए जानते है कि आखिर एक पिच कैसे तैयार होती है। ये बात कैसे तय होती है कि पिच में गेंद बाउंस करेगी या फिर टर्न।
पिच के प्रकार
जी हां, जब भी हम पिच की बात करते हैं तो हमारे मन में सबसे पहला सवाल ये ही खड़ा होता है कि आखिर पिच कितने प्रकार की होती होगी? इस बात पर जब हमने रिसर्च किया तो पाया कि इस सवाल पर लोग एकमत नहीं दिखते हैं। कोई कहता है कि पिच चार प्रकार की होती हैं तो किसी का मानना है कि इससे भी ज्यादा प्रकार की हो सकती हैं। लेकिन एक तर्कपूर्ण अध्ययन करने के बाद हमने पाया कि साधारण तौर पर पिच तीन प्रकार की होती हैं। इसमें सबसे पहले नंबर पर ग्रीन टॉप व दूसरे और तीसरे नंबर पर डस्टी और डेड पिच होती है।
ग्रीन टॉप पिच
ग्रीन टॉप पिच को मुख्य रूप से गेंदबाजों का दोस्त माना जाता है, क्योंकि ये उनके लिए बेदह मददगार साबित होती है। इस पिच में अच्छी मात्रा में घास छोड़ी जाती है, जिससे कि पूरी पिच देखने में हरी भरी लगती है। ये ही कारण है कि इसको ग्रीन टॉप के नाम से जाना जाता है। मुख्य रूप से ऐसी पिच इंग्लैंड में पाई जाती हैं।
डस्टी पिच
ये पिच भी ग्रीन टॉप की तरह गेंदबाजों के लिए मददगार साबित होती है। साधारण शब्दों में समझे तो जिस पिच पर गेंद डालने के बाद धूल उड़ती है, ऐसी पिच को साधारण तौर पर डस्टी पिच के नाम से जाना जाता है। यहां पर गेंदबाज को अच्छी गति और उछाल दोनों मिलता है। डस्टी पिच सबसे ज्यादा एशिया में बनाई जाती हैं। तेज गेंदबाज के अलाना स्पिन गेंदबाज को डस्टी पिच पर काफी मदद मिलती है, क्योंकि उनकी गेंद यहां पर शानदार तरीके से टर्न करती है।
डेड पिच
डे पिच आमतौर पर ग्रीन टॉप और डस्टी पिच से काफी भिन्न प्रकार की होती है। इस पिच में गेंदबाजों को किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिलती है। ऐसी पिच पर जब गेंदबाज गेंद डालता है तो बल्लेबाज को खेलने में ज्यादा दिक्कत नहीं होती है, क्योंकि गेंद बल्ले पर आसानी से आती है। ऐसी पिचों का इस्तेमाल लिमिडेट ओवर्स के लिए किया जाता है।
ऐसे बनती है पिच
क्रिकेट मैदान की पिच बनाने की जिम्मेदारी क्यूरेटर की होती है। उसको जिस प्रकार से आदेश मिलते हैं, वो उसके ही मूताबिक एक आर्दश पिच बनाकर देता है। एक पिच के निर्माण से लिए मैदान के बीचों बीच चुनी हुई जगह पर तीन फिट का गड्डा खोदा जाता है। इसके बाद इसमें पथ्थर और कोयले डाले जाते हैं और फिर रोलर से काली और लाल मिट्टी को इसके उपर दबाया जाता है। इसमें 90 प्रतिशत के करीब रेत और 10 प्रतिशत के करीब मिट्टी को उपयोग कर इसे रोलर से समतल किया जाता है। इसके बाद अंतिम चरण में काली या फिर लाल मिट्टी के एक लेयर बनाई जाती है। बाद में करीब 2 इंच की जगह बचने पर घास उगाई जाती है। इस दौरान क्यूरेटर पिच का pH 630 से 730 के बीच रखा जाता है।
ये भी पढ़ें: कुछ ऐसी है भारत की ओलंपिक गाथा, इस वर्ष आया आजाद हिंदुस्तान का पहला गोल्ड
स्पोर्ट्स से जुड़ी अन्य खबरें जैसे, cricket news और football news के लिए हमारी वेबसाइट hindi.sportsdigest.in पर log on करें। इसके अलावा हमें Facebook, Twitter पर फॉलो व YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें।
1 Comment
Pingback: From Siddhu to Gambhir, these players chose politics after cricket