Wheelchair Tennis Paralympics: गूगल ने डूडल के जरिए व्हीलचेयर टेनिस पैरालंपिक्स का किया समर्थन, जानिए क्या है इसका इतिहास
जानिए व्हीलचेयर टेनिस पैरालंपिक्स का इतिहास…
पेरिस पैरालंपिक 2024 (Paris Paralympics 2024) की शुरुआत 28 अगस्त से हो चुकी है और इसका समापन 09 सितंबर को होगा। इस पैरालंपिक में व्हीलचेयर टेनिस (Wheelchair Tennis Paralympics) भी खेला जा रहा है, जिसका समर्थन गूगल ने डूडल के जरिए किया है। बता दें कि, व्हीलचेयर टेनिस रोलांड गैरोस में 30 अगस्त से 07 सितम्बर के बीच खेला जाएगा।
रोलांड गैरोस के क्ले कोर्ट पर व्हीलचेयर टेनिस प्रतियोगिता में पुरुष, महिला और क्वाड्स कैटेगरी में सिंगल्स और डबल्स मैच खेले जाएंगे। नियमानुसार, सभी राष्ट्रीय पैरालंपिक समितियों को अधिकतम 11 क्वालिफिकेशन स्लॉट ही मिल सकते हैं। इसमें सिंगल्स इवेंट्स के लिए ज्यादा से ज्यादा चार पुरुष और चार महिला खिलाड़ी, क्वाड सिंगल्स के लिए तीन खिलाड़ी, पुरुष और महिला डबल्स के लिए दो-दो टीमें और क्वाड डबल्स के लिए एक टीम शामिल है। बता दें कि, ये सभी स्लॉट सीधे खिलाड़ियों को ही दिए जाते हैं।
व्हीलचेयर टेनिस पैरालंपिक में खिलाड़ियों को रैंकिंग व्हीलचेयर टेनिस सिंगल्स वर्ल्ड रैंकिंग के अनुसार ही स्लॉट मिलते हैं। इसके अलावा, खिलाड़ी का दो बार वर्ल्ड कप खेलना आवश्यक होता है। पेरिस पैरालंपिक में भी इन्हीं योग्यताओं के आधार पर खिलाड़ियों को स्लॉट निर्धारित किए गए थे।
व्हीलचेयर टेनिस पैरालंपिक का संक्षिप्त इतिहास | Wheelchair Tennis Paralympics History
गौरतलब हो कि, व्हीलचेयर टेनिस की शुरुआत 1976 में अमेरिकी फ्रीस्टाइल स्कीयर ब्रैड पार्क्स ने की थी। 1980 के दशक में यह खेल धीरे-धीरे लोगों को पसंद आने लगा, लेकिन फ्रांस द्वारा जब व्हीलचेयर टेनिस के लिए स्पेशल प्रोग्राम चलाया गया, तो यह धीरे-धीरे पूरी दुनिया में चर्चितं हो गया। अंततः इसे 1992 के बार्सिलोना पैरालंपिक में शामिल किया गया। इसके बाद से हर पैरालंपिक में यह खेल खेला जाता है।
इस खेल के नियम सामान्य टेनिस की तरह ही होते हैं, लेकिन खिलाड़ियों की शारीरिक क्षमता को देखते हुए कुछ नियम अलग से भी बनाए गए हैं, जैसे खिलाड़ियों को बॉल को रिटर्न करने से पहले दो बार उछालने की अनुमति होती है। पैरालंपिक गेम्स के चलते व्हीलचेयर टेनिस के खिलाड़ियों को काफी लाभ मिला है। इस खेल ने दुनिया के कई दिव्यांग खिलाड़ियों को काफी प्रेरित किया है।
पैरालंपिक गेम्स का महत्त्व
पैरालंपिक गेम्स ने दुनिया भर के सभी दिव्यांग युवाओं को प्रेरित करने का काम किया है। पहले के समय में सभी का यह सोचना होता था कि, दिव्यांग व्यक्ति किसी खेल में नहीं जा सकता है, लेकिन पैरालंपिक ने दिव्यांग युवाओं को खेल में करियर बनाने और दुनिया भर में पहचान बनाने के लिए एक मंच प्रदान करता है। यदि सभी देश की सरकारें पैरा खिलाड़ियों पर भी सामान्य खेल की तरह उन पर निवेश करें, तो वह दुनिया भर में अपने देश का नाम रोशन करेंगे।
उदाहरण के रूप में, पेरिस पैरालंपिक में सिर्फ 12 खेलों में हिस्सा ले रहे भारत ने अब तक 15 मेडल जीत लिए हैं, जिसमें 3 गोल्ड मेडल, 5 सिल्वर मेडल और 7 ब्रॉन्ज मेडल शामिल हैं। दूसरी ओर, पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत को सिर्फ 6 मेडल मिले थे, जिसमें सिर्फ एक सिल्वर और 5 ब्रॉन्ज मेडल शामिल थे। ऐसे में यह साफ़ पता चलता है कि, पैर खिलाड़ियों का समर्थन करने पर वह निश्चित ही देश का नाम रोशन करेंगे और किसी सामान्य व्यक्ति के मुकाबले ज्यादा मेहनत भी करेंगे।