एशियन गेम्स से पहले जब भारतीय एथलिट इसके लिए रवाना हो रहे थे, तब देश को ये ही उम्मीद थी कि इस बार हमारे हीरो 100 का आंकड़ा पार कर लेंगे। हांलाकि ये सोचने में थोड़ा ज्यादा लग रहा था लेकिन पिछले चार-पांच सालों में हमारे एथलीटों ने हमें ये विश्वास दिया है कि वो अब देश की झोली में अधिक से अधिक मेडल डाल रहे हैं। इस पर केंद्र सरकार का भी बहुत बड़ा हाथ है, क्योंकि जब से खेलों इंडिया की मुहीम लागू हुई है, तब से जमीनी स्तर के एथलीट्स को अपनी प्रतीभा दिखाने का मौका मिला है।
जैवलीन में दो भारतीयों के बीच कड़ी टक्कर
इससे पहले साल 2018 के एशियाई खेलों में भारत के नाम 70 मेडल थे। इस साल अब तक भारतीय खेमा इस स्कोर को पार कर चुका है। ये सब भारतीय एथलीटों के अटूट होसले और बेमिसाल के दम पर ही मुमकिन था। इस बार के एशियाई खेलों में सबसे खास ये था कि जैवलिन थ्रो में दो भारतीयों के बीच ही मेडल को लेकर कड़ी टक्कर देखने को मिली। ऐसा कम ही होता है कि जब एक खेल में एक देश को दो खिलाड़ियों के बीच टक्कर हो और ऐसा होना भारतीय खेल जगत के भविष्य के लिए काफी अच्छे संकेत हैं। दिग्गज नीरज को उनके ही हमवतन किशोर से कड़ी टक्कर मिली। ये ही कारण था कि नीरज ने इस बार उनका सर्वश्रेष्ठ 88.88 मीटर का थ्रो फैंक दिया।
अब तक भारत के खाते में 82 पदक
आज यानी 12वें दिन पूरा नहीं हुआ है और अब तक भारत के खाते में कुल 82 पदक आ चुके हैं। तीरंदाजी में भारत में भी हिंदुस्तान के खाते में पदक आ चुका है। महिला तीरंदाजी के कंपाउंड में ज्योति, अदिति और परनीत की तीकड़ी ने खिताबी मुकाबले में चीन ताइपे को 230-228 के अंतर से हराया।
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